भारत सरकार की प्रधानमंत्री मुद्रा योजना ने 8 अप्रैल 2025 को 10 साल पूरे कर लिए। प्रधानमंत्री मुद्रा योजना और माइक्रो यूनिट्स डेवलपमेंट एंड रिफाइनेंस एजेंसी लिमिटेड (मुद्रा) को 8 अप्रैल 2015 को प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा शुभारंभ किया गया था।
इस योजना और मुद्रा का उद्देश्य देश में छोटे और सूक्ष्म व्यवसाय उद्यमों को आसान ऋण तक पहुंच प्रदान करना था, विशेष रूप से समाज के कमजोर वर्ग को।
प्रधानमंत्री मुद्रा योजना के तहत गैर-कॉर्पोरेट, गैर-कृषि लघु/सूक्ष्म उद्यमों को ऋण प्रदान किया जाता है। इन ऋणों को मुद्रा ऋण कहा जाता है।
ये ऋण भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा विनियमित वाणिज्यिक बैंकों, क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (आरआरबी), लघु वित्त बैंकों, सूक्ष्म वित्तीय संस्थानों (एमएफआई) और गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) द्वारा प्रदान किए जाते हैं।
शुरू में, मुद्रा ऋण केवल विनिर्माण, सेवाओं, खुदरा और कृषि और संबद्ध गतिविधियों के लिए प्रदान किया जाता था। बाद में इसमे संबद्ध आय सृजन के लिए ऋण को शामिल करते हुए, इसका दायरा बढ़ा दिया गया।
व्यावसायिक उद्यमों को उनके विभिन्न विकास चरणों के दौरान मदद करने के लिए मुद्रा ऋण को चार श्रेणियाँ में बांटा गया हैं।
शिशु चरण
किशोर चरण
तरुण चरण
तरुण प्लस
पीएमजेडीवाई के तहत ओवरड्राफ्ट मुद्रा लोन के अंतर्गत
माइक्रो यूनिट्स डेवलपमेंट एंड रिफाइनेंस एजेंसी लिमिटेड (मुद्रा) की स्थापना 2015 में कंपनी अधिनियम 2013 के तहत एक कंपनी के रूप में की गई थी।
यह भारतीय लघु उद्योग विकास बैंक (सिडबी) की सहायक कंपनी है।
यह भारतीय रिजर्व बैंक के साथ एनबीएफ़सी के रूप में पंजीकृत है।
मुद्रा का कार्य