बंगाल की खाड़ी में मिला आईएएफ का एएन-32 विमान का मलबा
Utkarsh ClassesLast Updated
07-02-2025
Defence
4 min read
भारतीय वायुसेना के एक ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट एएन-32 का मलबा करीब साढ़े 7 वर्ष बाद बंगाल की खाड़ी में मिला है। इसे समुद्र में करीब 3.4 किलोमीटर की गहराई में ढूंढा गया है।
एएन-32 विमान वर्ष 2016 से था लापता:
भारतीय वायुसेना का एएन-32 विमान वर्ष 2016 में एक मिशन के दौरान लापता हो गया था। उस समय एएन-32 विमान में कुल 29 लोग सवार थे।
ऑटोनॉमस अंडर वाटर व्हीकल (एयूवी) से मिली जानकारी:
नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओशन टेक्नोलॉजी ने एक ऑटोनॉमस अंडर वाटर व्हीकल (एयूवी) से कुछ तस्वीरें प्राप्त की थीं।
एएन-32 विमान का मलबा चेन्नई के समुद्री तट से करीब 310 किलोमीटर दूर बंगाल की खाड़ी में मिला है।
रक्षा मंत्रालय ने भी स्पष्ट किया है कि एयूवी से जो तस्वीरें मिली हैं, वो एयरफोर्स के ट्रांसपोर्ट एयरक्राफ्ट एएन-32 की ही हैं।
क्रैश साइट की सर्चिंग के दौरान यह भी जानकारी सामने आई कि यहां पहले कोई विमान दुर्घटना नहीं हुई थी। इसलिए संभवत: यह मलबा 2016 में क्रैश हुए वायुसेना के विमान एएन-32 का ही है।
पृथ्वी विज्ञान मंत्रालय की एजेंसी नेशनल इंस्टीट्यूट ऑफ ओसीयन टेक्नोलॉजी ने हाल ही में लापता विमान के संभावित क्रैश साइट पर गहरे समुद्र में एक एयूवी तैनात किया था।
एएन-32 की खोज में कई तकनीक का प्रयोग:
रक्षा मंत्रालय के अनुसार एएन-32 का मलबा करीब 3,400 मीटर यानी 3.4 किलोमीटर की गहराई पर मिला। एएन-32 की खोज में कई आधुनिकतम तकनीक का प्रयोग किया गया। जिनमें प्रमुखतः
मल्टी-बीम सोनार (साउंड नेविगेशन एंड रेंजिंग)
सिंथेटिक अपर्चर सोनार
हाई-रिज़ॉल्यूशन फोटोग्राफी
एएन-32 विमान दुर्घटना की प्रष्ठभूमि:
22 जुलाई 2016 को आईएएफका एक प्लेन एएन-32 चेन्नई से पोर्ट ब्लेयर जा रहा था। एएन-32 ने चेन्नई के तांबरम एयरपोर्ट से सुबह उड़ान भरी थी। टेक ऑफ के 16 मिनट बाद विमान रडार से गायब हो गया। इसे 11.30 बजे इसे पोर्ट ब्लेयर उतरना था, लेकिन बाद में इसका पता नहीं चल पाया।
इसमें कुल 29 लोग सवार थे। इनमें 6 क्रू मेंबर थे।
एएन-32 के बारे में:
एएन-32 दो इंजन वाला एयरक्राफ्ट है। इसका उपयोग कार्गो प्लेन के तौर पर किया जाता है।
इस एयरक्राफ्ट की ट्रांसपोर्ट कैपेसिटी 7.5 टन या 50 पैसेंजर ले जाने की है।
एएन-32 दस प्रकार के हैं।
एएन-32 की अधिकतम स्पीड 530 किमी प्रति घंटा है। इसका वजन 16 हजार 800 Kg है। इसका अधिकतम टैकऑफ वेट 27000 Kg होता है।
इसे सिविलियन और मिलिटरी दोनों के हिसाब से डिजाइन किया गया है।
एएन-32 के प्रोटोटाइप ने 1976 में पहली उड़ान भरी थी।
एएन-32 से जुड़ी दुर्घटनाएँ:
25 मार्च 1986 को हिंद महासागर के ऊपर एएन-32 लापता हो गया था। अभी तक प्लेन का पता नहीं चला। उसमें 4 पैसेंजर और 3 क्रू मेंबर्स सवार हैं।
एएन-32 ,1999 में एक प्लेन हादसे का शिकार हो चुका है।
दिल्ली एयरपोर्ट पर लैंडिंग के कुछ देर पहले क्रैश होने से 21 लोगों की मौत हुई ।
10 जून 2009 को 13 लोगों को लेकर जा रहा यह प्लेन अरुणाचल प्रदेश में उड़ान भरने के कुछ देर बाद ही क्रैश हो गया था।
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