प्रधान मंत्री श्री नरेंद्र मोदी 26 दिसंबर, 2023 को नई दिल्ली के भारत मंडपम में 'वीर बाल दिवस' के अवसर पर आयोजित कार्यक्रम में भाग लेंगे। प्रधानमंत्री इस विशेष दिन पर दिल्ली में एक युवा मार्च का भी नेतृत्व करेंगे। इस दिन के महत्व को रेखांकित करने के लिए, देश भर के स्कूलों और बाल देखभाल संस्थानों में साहिबजादों की प्रेरक जीवन कहानी और बलिदान का विवरण देने वाली एक डिजिटल प्रदर्शनी प्रदर्शित की जाएगी।
वीर बाल दिवस
- वीर बाल दिवस प्रतिवर्ष 26 दिसंबर को मनाया जाता है।
- यह उत्सव, सिक्खों के 10वें गुरु गोविंद सिंह जी के साहिबजादे बाबा फतेह सिंह और जोरावर सिंह की शहादत के सम्मान में मनाया जाता है।
- प्रधानमंत्री मोदी ने 9 जनवरी, 2022 को गुरु गोबिंद सिंह जी के प्रकाश पर्व के दिन घोषणा की थी कि, 26 दिसंबर को "वीर बाल दिवस" के रूप में मनाया जाएगा।
- श्री गुरु गोबिंद सिंह के पुत्रों, साहिबजादा, बाबा जोरावर सिंह जी और बाबा फतेह सिंह जी की शहादत की याद में वीर बाल दिवस का आयोजन किया जाता है।
वीर बाल दिवस-इतिहास
- पंजाब में सिखों के नेता गुरु गोबिंद सिंह के चार बेटे थे। उन्हें चार साहिबजादे खालसा कहा जाता था।
- गुरु गोबिंद सिंह ने 1699 में खालसा पंथ की स्थापना की।
- इसकी स्थापना, सिखों को उनके धर्म के आधार पर भेदभाव की समाप्ति के उद्देश्य से की गई थी।
- गुरु गोबिंद सिंह की तीन पत्नियों से चार बेटे थे: अजीत, जुझार, जोरावर और फतेह, जो सभी खालसा का हिस्सा थे। उन चारों को 19 साल की उम्र से पहले ही मुगल सेना ने मार डाला था।
साहिबज़ादा ज़ोरावर सिंह और फ़तेह सिंह के बारे में
- साहिबज़ादे ज़ोरावर सिंह और फ़तेह सिंह सिख धर्म के दो सबसे प्रसिद्ध शहीद हैं।
- बादशाह औरंगजेब के निर्देश पर सन 1704ई में मुगल सेना ने आनंदपुर साहिब को घेर लिया।
- इस घटना में गुरु गोबिंद सिंह के दो पुत्रों को कैद कर लिया गया।
- और उनके सामने यह शर्त रखी गई कि यदि वे इस्लाम कबूल कर लेते हैं तो उन्हें नहीं मारा जाएगा।
- धर्मान्तरण के इस प्रस्ताव को अस्वीकार करने के बाद दोनों साहिबजादों को मौत की सजा दी गई और ईंट की दीवार में जिंदा चुनवा दिया गया।
- इन दोनों शहीदों ने धर्मान्तरण की बजाय मौत को गले लगा लिया।
गुरु गोविंद सिंह के बारे में
- दस सिख गुरुओं में से अंतिम गुरु, गुरु गोबिंद सिंह का जन्म 22 दिसंबर, 1666 को पटना, बिहार में हुआ था।
- गुरु गोविंद सिंह की जयंती की गणना के लिए नानकशाही कैलेंडर का उपयोग किया जाता है।
- गुरु गोबिंद सिंह अपने पिता 'गुरु तेग बहादुर' यानी नौवें सिख गुरु की मृत्यु के बाद 9 साल की उम्र में 10वें सिख गुरु बने थे।
- वर्ष 1708 में उनकी हत्या कर दी गई।