7 फरवरी 2025 को नई दिल्ली में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की अध्यक्षता में हुई बैठक में केंद्रीय मंत्रिमंडल ने केंद्रीय क्षेत्र की योजना "कौशल भारत कार्यक्रम" का पुनर्गठन कर इसका विस्तार 2025-26 तक कर दिया है।
देश में उद्योगों की जरूरतों को पूरा करने और देश के आर्थिक विकास में मदद करने के लिए भारत में एक प्रशिक्षित कार्यबल तैयार करने के लिए प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने 2015 में कौशल भारत मिशन शुरू किया गया था।
भारत सरकार ने बाद में कौशल भारत मिशन के उद्देश्यों को साकार करने के लिए विभिन्न योजनाएं शुरू कीं।
केंद्र सरकार की तीन प्रमुख कौशल योजनाएं - प्रधान मंत्री कौशल विकास योजना 4.0, प्रधान मंत्री राष्ट्रीय प्रशिक्षुता संवर्धन योजना (पीएम-एनएपीएस), और जन शिक्षण संस्थान योजना को एक व्यापक "कौशल भारत कार्यक्रम" में समेकित कर दिया है।
कौशल भारत कार्यक्रम के लिए परिव्यय
- 2022-23 से 2025-26 की अवधि के लिए कौशल भारत कार्यक्रम का परिव्यय 8,800 करोड़ रुपये है।
कौन सा मंत्रालय कौशल भारत कार्यक्रम लागू करता है?
कौशल भारत कार्यक्रम, केंद्रीय कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय द्वारा क्रियान्वित किया जा रहा है।
केंद्रीय कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय 9 नवंबर 2014 को अस्तित्व में आया।
'कौशल भारत कार्यक्रम' के घटक
कौशल भारत कार्यक्रम के घटक हैं -प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना 4.0, प्रधानमंत्री राष्ट्रीय प्रशिक्षुता संवर्धन योजना (पीएम-एनएपीएस), और जन शिक्षण संस्थान।
प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई) 4.0:
- प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई) 2015 में भारत सरकार द्वारा शुरू की गई थी।
- उद्योग और अर्थव्यवस्था की जरूरतों के आधार पर सरकार द्वारा पीएमकेवीवाई योजना के नई संस्करण को समय-समय से शुरू किया गया है।
- वातमान संकरण , पीएमकेवीवाई 4.0 की घोषणा 2023-24 के केंद्रीय बजट में की गई थी और इसे 1 अप्रैल 2022 से 31 मार्च 2026 तक लागू किया जा रहा है।
- यह योजना नौकरी प्रशिक्षण, उद्योग साझेदारी और उद्योग की जरूरतों के साथ पाठ्यक्रमों के संरेखण पर जोर देती है।
- पीएमकेवीवाई 4.0 उद्योग 4.0 के लिए कोडिंग, एआई, रोबोटिक्स, मेक्ट्रोनिक्स, आईओटी, 3डी प्रिंटिंग, ड्रोन और सॉफ्ट स्किल जैसे नए युग के पाठ्यक्रमों पर केंद्रित है।
पीएम राष्ट्रीय शिक्षुता संवर्धन योजना (पीएम-एनएपीएस)
भारत सरकार ने अगस्त 2016 में राष्ट्रीय शिक्षुता संवर्धन योजना (एनएपीएस) शुरू की। वर्तमान में राष्ट्रीय शिक्षुता संवर्धन योजना (एनएपीएस)-2 कार्यान्वयनाधीन है।
यह योजना 14 से 35 वर्ष की आयु के व्यक्तियों के लिए है।
उद्देश्य
- किसी उद्योग या प्रतिष्ठान द्वारा 1961 के प्रशिक्षु अधिनियम के तहत लगे प्रशिक्षुओं को आंशिक वजीफा सहायता प्रदान करके देश में प्रशिक्षुता प्रशिक्षण को बढ़ावा देना।
- नौकरी के दौरान कर्मचारियों को दिये गए प्रशिक्षण से प्रशिक्षु को बहुमूल्य ज्ञान प्राप्त होता है और देश को एक कुशल कार्यबल मिलता है।
- भारत सरकार, प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण (डीबीटी) के माध्यम से उद्योग या प्रतिष्ठान को प्रति प्रशिक्षु, वजीफा का 25% या अधिकतम 1,500 रुपये तक का वजीफा प्रदान करती है।
जन शिक्षण संस्थान (जेएसएस) योजना:
- जन शिक्षण संस्थान की योजना 1967 में श्रमिक विद्यापीठ के रूप में शुरू की गई थी।
- 2000 में इसका नाम बदलकर जन शिक्षण संस्थान कर दिया गया और 2018 में इसे केंद्रीय शिक्षा मंत्रालय से कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय में हस्तांतरित कर दिया गया।
- जन शिक्षण संस्थान योजना के तहत गैर-सरकारी संगठनों (एनजीओ) के एक नेटवर्क के माध्यम से कार्यान्वित किया जाता है।
- यह योजना एक समुदाय-केंद्रित कौशल पहल है, जो 15 -45 वर्ष की आयु के महिलाओं, ग्रामीण युवाओं और आर्थिक रूप से वंचित समूहों के लिए व्यावसायिक प्रशिक्षण को सुलभ बनाती है।
उद्देश्य
- गैर/नवसाक्षरों और 8वीं कक्षा तक प्राथमिक स्तर की शिक्षा वाले व्यक्तियों और 8वीं कक्षा के बाद यानी 12वीं कक्षा तक स्कूल छोड़ने वाले अन्य लोगों के व्यावसायिक कौशल और तकनीकी ज्ञान में सुधार करना।
- उनकी दक्षता बढ़ाना, उनकी उत्पादक क्षमता बढ़ाना और उनकी आजीविका के अवसरों को बढ़ाने के लिए स्किलिंग/अपस्किलिंग के माध्यम से जिलों में पारंपरिक कौशल की पहचान करना और उसे बढ़ावा देना।
- एक प्रशिक्षण/अभिविन्यास कार्यक्रम के माध्यम से कौशल विकास के विभाग/एजेंसियों में काम करने वाले मास्टर प्रशिक्षकों का एक पूल तैयार करना।