अपनी पीढ़ी के सबसे प्रसिद्ध तबला वादकों में से एक, उस्ताद जाकिर हुसैन का 14 दिसंबर, 2024 को संयुक्त राज्य अमेरिका के सैन फ्रांसिस्को शहर में निधन हो गया। वह 73 वर्ष के थे।
उस्ताद जाकिर हुसैन को सैन फ्रांसिस्को के एक अस्पताल की गहन चिकित्सा इकाई में भर्ती कराया गया था और इडियोपैथिक पल्मोनरी फाइब्रोसिस से उत्पन्न जटिलताओं के कारण उनकी मृत्यु हो गई।
जाकिर हुसैन प्रसिद्ध तबला वादक उस्ताद अल्लाह रक्खा खान के बेटे थे और उनका जन्म 9 मार्च 1951 को मुंबई में हुआ था।
सात साल की उम्र से ही जाकिर हुसैन ने तबला वादक के तौर पर मंच पर प्रस्तुति देना शुरू कर दिया था।
जाकिर हुसैन उन अग्रणी भारतीय संगीतकारों में से एक थे जिन्होंने भारतीय शास्त्रीय संगीत को विश्व मंच पर स्थापित।
उन्होंने सितार वादक रविशंकर, सरोद वादक अली अकबर खान और संतूर वादक पंडित शिव कुमार शर्मा जैसे संगीत के दिग्गजों के साथ प्रस्तुति दी। उन्होंने जॉर्ज हैरिसन, एडगर मेयर, रिकी हार्ट और जॉन मैकलॉघलिन जैसे पश्चिमी कलाकारों के साथ भी काम किया।
अंग्रेजी गिटारवादक जॉन मैकलॉघलिन और वायलिन वादक एल.शंकर के साथ उनका ‘प्रोजेक्ट शक्ति’ एक पथप्रदर्शक परियोजना थी जिसमें भारतीय शास्त्रीय संगीत और जैज़ संगीत का अनोखा फ़्यूज़न संगीत विश्व में प्रस्तुत किया।
उनके इस प्रयास ने विश्व मंच पर भारतीय शास्त्रीय संगीत के लिए एक नया दर्शक वर्ग तैयार किया। वे पंडित रविशंकर के साथ-साथ दुनिया भर में भारत के सांस्कृतिक प्रतीक के रूप में उभरे।
उस्ताद ज़ाकिर हुसैन ने फ़िल्मों के लिए संगीत भी तैयार किया था ।
ज़ाकिर हुसैन ने मंटो और मिस्टर एंड मिसेज अय्यर जैसी फ़िल्मों के संगीतकार थे।
उन्होंने हीट एंड डस्ट, साज़ और परफेक्ट मर्डर जैसी फ़िल्मों में भी बतौर अभिनेता छोटी भूमिकाएँ भी निभाईं हैं।
1988 में ताज महल चाय के विज्ञापन में भी नज़र आए, जिससे वह घर-घर में मशहूर हो गए।
उस्ताद जाकिर हुसैन को उनके शानदार संगीत करियर के दौरान कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया।
उन्हें 1988 में पद्म श्री, 2002 में पद्म भूषण और 2023 में पद्म विभूषण से सम्मानित किया गया।
उन्होंने चार ग्रैमी पुरस्कार, जिन्हें दुनिया का सर्वोच्च संगीत पुरस्कार माना जाता है,जीते हैं।
तीन ग्रैमी पुरस्कार प्राप्त करने वाले पहले भारतीय हैं जो उन्हें 2024 में 66वें ग्रैमी पुरस्कार में प्राप्त किया।
उन्होंने सर्वश्रेष्ठ समकालीन वाद्य एल्बम (एज़ वी स्पीक), सर्वश्रेष्ठ वैश्विक संगीत (दिस मोमेंट) और सर्वश्रेष्ठ वैश्विक संगीत प्रदर्शन (पश्तो) में पुरस्कार जीते।
उन्हें 2006 में मध्य प्रदेश सरकार का कालिदास सम्मान मिला।
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