कृषि अनुसंधान केंद्र के प्रधान वैज्ञानिक डॉ. पी वी सत्यनारायण, को वर्ष 2021-2022 की अवधि के लिए कृषि के क्षेत्र में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए डॉ. एमएस स्वामीनाथन पुरस्कार से सम्मानित किया गया है।
आचार्य एन.जी. रंगा कृषि विश्वविद्यालय, हैदराबाद से संबद्ध रहे डॉ. पी वी सत्यनारायण को कृषि के क्षेत्र में उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए प्रतिष्ठित 8वें डॉ. एमएस स्वामीनाथन पुरस्कार दिया गया।
- यह पुरस्कार 3 सितंबर 2023 को हैदराबाद के भारतीय चावल अनुसंधान संस्थान (आईआईआरआर) में एक कार्यक्रम में प्रदान किया गया।
- डॉ. सत्यनारायण के अग्रणी कार्य में उच्च उपज देने वाली चावल की किस्मों का विकास शामिल है जो बीपीएच, बीएलबी, ब्लास्ट, जलमग्नता और लवणता सहित विभिन्न कीटों और पर्यावरणीय चुनौतियों के विरुद्ध लचीलापन प्रदर्शित करते हैं।
- इसके अतिरिक्त, डॉ. सत्यनारायण ने बढ़िया अनाज वाली किस्मों और संकर चावल में महत्वपूर्ण योगदान दिया है, जिसने पूरे भारत में कृषि में क्रांति ला दी है।
- डॉ. पी वी सत्यनारायण की कुछ उल्लेखनीय उपलब्धियों में 2015 में सर्वश्रेष्ठ स्वर्ण जयंती एआईसीआईपी केंद्र पुरस्कार के लिए टीम लीडर के रूप में राष्ट्रीय पुरस्कार दिया गया।
- 2021 में सीडमैन एसोसिएशन द्वारा सर्वश्रेष्ठ वैज्ञानिक पुरस्कार और कई अन्य प्रतिष्ठित पुरस्कार शामिल हैं।
डॉ. एमएस स्वामीनाथन पुरस्कार:
- सेवानिवृत्त आईसीएआर (भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद) कर्मचारी संघ (आरआईसीएआरईए) और नुजिवीडु सीड्स लिमिटेड (एनएसएल) द्वारा संयुक्त रूप से गठित इस द्विवार्षिक राष्ट्रीय पुरस्कार में नकद पुरस्कार में 2 लाख रुपये और एक स्वर्ण पदक दिया जाता है।
- प्रथम एमएस स्वामीनाथन पुरस्कार द्विवार्षिक 2004-2005 के लिए स्वामीनाथन पुरस्कार 27 अक्टूबर 2005 को प्रमुख पोल्ट्री वैज्ञानिक डॉ. गेंदा लाल जैन को प्रदान किया गया।
डॉ. एमएस स्वामीनाथन:
- डॉ. स्वामीनाथन को "भारत में हरित क्रांति के जनक" के रूप में जाना जाता है। क्योंकि भारत में हरित क्रांति का नेतृत्व मुख्य रूप से डॉ. एम.एस. स्वामीनाथन द्वारा किया गया।
- डॉ. स्वामीनाथन को सरकार द्वारा वर्ष 1972 में "पद्म भूषण" और 1989 में "पद्म विभूषण" से सम्मानित किया गया था।
हरित क्रांति:
- 1960 के दशक में हरित क्रांति नॉर्मन बोरलॉग (मेक्सिको) द्वारा आरंभ किया गया एक प्रयास था। इन्हें विश्व में 'हरित क्रांति के जनक' के रूप में जाना जाता है।
- वर्ष 1970 में नॉर्मन बोरलॉग को उच्च उपज देने वाली किस्मों को विकसित करने के उनके कार्य हेतु नोबेल शांति पुरस्कार प्रदान किया गया।
- हरित क्रांति के परिणामस्वरूप खाद्यान्न (विशेषकर गेहूंँ और चावल) के उत्पादन में वृद्धि हुई। इसकी शुरुआत 20वीं शताब्दी के मध्य में विकासशील देशों में नए, उच्च उपज देने वाले किस्म के बीजों के प्रयोग के कारण हुई।