सोसाइटी ऑफ इंडियन ऑटोमोटिव मैन्युफैक्चरर्स (सीयम) के अनुसार, 2024-25 में भारत से ऑटोमोबाइल निर्यात में पिछले वर्ष की तुलना में 19.2% की वृद्धि हुई है । निर्यात, जिसमें यात्री वाहन, दोपहिया और वाणिज्यिक वाहन शामिल हैं, 2024-25 में 53,63,089 इकाई रहा, जबकि 2023-24 में यह 45,00,494 इकाई था।
निर्यात मुख्य रूप से अफ्रीकी और लैटिन अमेरिकी देशों को किया गया, साथ ही इस वित्तीय वर्ष में कुछ विकसित देशों में भी निर्यात किया गया है।
2024-25 में ऑटोमोबाइल निर्यात का ब्यौरा
सीयम के अनुसार, 2024-25 में भारत से निर्यात की जाने वाली ऑटोमोबाइल इकाइयों का ब्यौरा इस प्रकार है।
2024-25 के दौरान कुल वाहन निर्यात 53,63,089 इकाइयाँ,
- 2024-25 में यात्री वाहनों (कार, वैन, एमपीवी और एसयूवी) का निर्यात 2023-24 में 6,72,105 इकाइयों की तुलना में 2024-25 में 7,70,364 इकाई था, जो 15% की वृद्धि दर्शाता है।
- 2024-25 में दोपहिया वाहनों का निर्यात 41,98,403 इकाई था, जो पिछले वित्तीय वर्ष की तुलना में 21% की वृद्धि दर दर्शाता है।
- 2024-25 में वाणिज्यिक निर्यात 80,986 इकाई था, जो पिछले वर्ष की तुलना में 23% की वृद्धि है।
अग्रणी निर्यातक कंपनियाँ
यात्री वाहन
- मारुति सुजुकी इंडिया लिमिटेड भारत से यात्री वाहनों का अग्रणी निर्यातक था। इसने 2024-25 में 332,585 इकाइयों का निर्यात किया, जबकि 2023-24 में यह 283,067 था। मारुति के मुख्य बाजार अफ्रीका, पश्चिम एशिया, लैटिन अमेरिका और जापान थे।
- दूसरे स्थान पर हुंडई इंडिया लिमिटेड थी। इसने 2024-25 में 1,58,686 इकाइयों का निर्यात किया। हुंडई के मुख्य बाजार सऊदी अरब, दक्षिण अफ्रीका, मैक्सिको, चिली और पेरू थे। इसने भारत से अब तक 15 लाख से अधिक i10 मॉडल निर्यात किए हैं।
दोपहिया वाहन निर्यातक
- दोपहिया वाहन खंड में बजाज ऑटो, टीवीएस और होंडा मोटरसाइकिल एंड स्कूटर्स इंडिया लिमिटेड शीर्ष तीन निर्यातक कंपनी थे।
- अफ्रीकी क्षेत्र और लैटिन अमेरिका प्रमुख निर्यात बाजार थे।
भारत से निर्यात में वृद्धि का कारण
निर्यात में वृद्धि भारत में निर्मित वाहनों की बढ़ती वैश्विक स्वीकृति को दर्शाती है। निर्यात में वृद्धि के कुछ मुख्य कारण इस प्रकार हैं:
- बहुराष्ट्रीय ऑटोमोबाइल कंपनियां वाहनों के निर्यात के लिए भारत को आधार के रूप में उपयोग कर रही हैं।
- भारत एक लागत-कुशल विनिर्माण केंद्र के रूप में उभरा है, जिससे यह अंतर्राष्ट्रीय बाजार में प्रतिस्पर्धी बन गया है।
- उत्पादन-लिंक्ड प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना ने भी ऑटोमोबाइल निर्यात को बढ़ाने में योगदान दिया है। ऑटोमोटिव कल पुर्जे क्षेत्र में पीएलआई निवेश ने भारत में ऑटो कल पुर्जे क्षेत्र में तकनीकी प्रगति को बढ़ावा दिया है, जिससे भारतीय ऑटोमोबाइल उत्पादों की समग्र गुणवत्ता में वृद्धि हुई है।
- पिछले कुछ वर्षों में, भारतीय ऑटोमोबाइल सेक्टर को सेमीकंडक्टर की कमी के कारण नुकसान उठाना पड़ा था लेकिन पिछले साल ऐसी कोई समस्या नहीं थी।
- अफ्रीका और लैटिन अमेरिका जैसे भारतीय उत्पादों के प्रमुख बाजार, जिसमे कोविड-19 के कारण आर्थिक संकट आया था ,अब इस संकट से लगभग उबर चुके हैं।
- नए मॉडल पेश करने और इलेक्ट्रिक वाहनों (ईवी) के निर्माण को बढ़ावा देने से भी दोपहिया वाहनों के निर्यात को बढ़ाने में योगदान मिला है।