पूंजी बाजार नियामक, भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड (सेबी) ने 9 अगस्त 2023 को जारी एक परिपत्र में सार्वजनिक निर्गम(पब्लिक इश्यू) के बंद होने के बाद प्रतिभूतियों की लिस्टिंग की समय सीमा को मौजूदा छह दिनों से घटाकर तीन दिन कर दिया है। प्रतिभूतियों को वर्तमान टी+6 दिनों के स्थान पर अब टी+3 दिनों पर सूचीबद्ध करना होगा।
1 सितंबर 2023 के बाद खुलने वाले पब्लिक इश्यू के लिए यह वैकल्पिक होगा लेकिन सेबी ने 1 दिसंबर 2023 के बाद खुलने वाले पब्लिक इश्यू के लिए इसे अनिवार्य कर दिया है।
प्रतिभूतियाँ एक प्रकार का परक्राम्य उपकरण है जो बाज़ार से धन जुटाने के लिए कंपनियों द्वारा जारी किया जाता है । प्रतिभूतियों को बाज़ार में खरीदा और बेचा जा सकता है। शेयर, बांड, डिबेंचर आदि प्रतिभूतियों के उदाहरण हैं।
पूंजी बाजार में टी का मतलब लेनदेन की तारीख है। यह वह तारीख है जिस दिन लेनदेन हुआ है। 1,2,3 दिन को दर्शाता है। यह इस बात का सूचक है कि निपटान कितने दिनों के बाद होगा।
उदाहरण के लिए, यदि कोई कंपनी XYZ,अपने व्यवसाय के लिए पूंजी जुटाने के लिए एक सार्वजनिक निर्गम लेकर आती है और जनता को 100 रुपये प्रति शेयर की कीमत पर कंपनी के एक लाख शेयर बेचने की पेशकश करती है ।
कंपनी सार्वजनिक निर्गम की शुरुआती तारीख 1 अगस्त और समापन की तारीख 5 अगस्त तय करती है। इसका मतलब यह है कि अगर कोई निवेशक कंपनी का शेयर खरीदना चाहता है तो उसे 1-5 अगस्त के बीच आवेदन करना होगा।
एक निवेशक मिस्टर एक्स 100 शेयरों के लिए आवेदन करता है। इसका मतलब है कि उसे आवेदन पत्र के साथ कंपनी को 10,000 रुपये का भुगतान करना होगा।
5 अगस्त को इश्यू बंद होने के बाद कंपनी उन सफल निवेशकों को शेयर आवंटित करेगी, जिन्होंने शेयरों के लिए आवेदन किया है। इसका मतलब है कि कंपनी मिस्टर एक्स के 10,000 रुपये अपने पास रख लेगी और उसे 100 शेयर आवंटित करेगी।
सफल आवेदकों को शेयर आवंटित करने के बाद कंपनी अपने एक लाख शेयर एनएसई, बीएसई जैसे स्टॉक एक्सचेंज पर सूचीबद्ध करेगी। अब अगर कोई कंपनी के शेयर खरीदना या बेचना चाहता है तो वह स्टॉक एक्सचेंज के जरिए ऐसा करेगा।
वर्तमान में कंपनी को अपने शेयर T+6 दिन पर लिस्ट कराने होते हैं । यहां टी तारीख 5 अगस्त है इसलिए कंपनी द्वारा जनता को बेचे गए शेयर 11 अगस्त को सूचीबद्ध किए जाएंगे। अब इसे घटाकर टी+3,यानि 8 अगस्त को सूचीबद्ध को सूचीबद्ध करने का प्रस्ताव है।
कंपनी को टी+1 दिन ,शाम 6 बजे से पहले शेयरों के आवंटन को अंतिम रूप देना होगा।
कंपनी को असफल निवेशकों का पैसा टी+2 दिन पर लौटाना होता होगा ।
कंपनी को कंपनी के शेयरों को टी+3 दिनों पर सूचीबद्ध करना होगा।
सेबी के अनुसार सूचीबद्ध के समय सीमा में कटौती से हितधारकों को लाभ होगा। अब प्रतिभूति जारीकर्ता कंपनी को उनके फंड और आवंटियों को कम समय अवधि में उनके शेयर प्राप्त होंगे।
जिन निवेशकों को शेयर आवंटित नहीं किए गए, उन्हें उनका पैसा अब जल्द वापस मिल जाएगा।
जब कंपनी नए निवेशकों को अपनी प्रतिभूतियाँ (शेयर, बांड, डिबेंचर) बेचती है तो इसे सार्वजनिक निर्गम कहा जाता है।
सार्वजनिक निर्गमों को आरंभिक सार्वजनिक पेशकश (आईपीओ) और फॉलो-ऑन पब्लिक ऑफरिंग या फ़र्दर ऑन पब्लिक ऑफरिंग (एफपीओ) में वर्गीकृत किया गया है।
जब कोई गैर-सूचीबद्ध कंपनी पहली बार जनता को प्रतिभूतियां बेचती है तो इसे प्रारंभिक सार्वजनिक पेशकश (आईपीओ) कहा जाता है।
आईपीओ के सफल समापन के बाद कंपनी द्वारा बेचे गए प्रतिभूतियों को एक मान्यता प्राप्त स्टॉक एक्सचेंज पर सूचीबद्ध किया जाता है।
वह कंपनी जिसके शेयर, बांड या डिबेंचर किसी भी स्टॉक एक्सचेंज पर सूचीबद्ध नहीं होते हैं, असूचीबद्ध कंपनी कहलाती है।
जब कोई सूचीबद्ध कंपनी जनता को प्रतिभूतियां बेचती है तो इसे फ़र्दर ऑन पब्लिक ऑफरिंग (एफपीओ) कहा जाता है।
वह कंपनी जिसके शेयर, बांड या डिबेंचर किसी स्टॉक एक्सचेंज पर सूचीबद्ध होते हैं, सूचीबद्ध कंपनी कहलाती है।
भारतीय प्रतिभूति विनिमय बोर्ड (सेबी) की स्थापना 12 अप्रैल 1988 को हुई थी और इसे 30 जनवरी 1992 को सेबी अधिनियम 1992 द्वारा वैधानिक दर्जा दिया गया था।
यह भारत सरकार के वित्त मंत्रालय के अधीन आता है।
यह भारत में पूंजी बाजार और कमोडिटी बाजार का नियामक है।
सेबी के पहले अध्यक्ष डॉ एस ए दवे (1988-90) थे।
माधबी पुरी बुच सेबी की वर्तमान और 10वीं अध्यक्ष हैं।
मुख्यालय: मुंबई
परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण फुल फॉर्म
सेबी/SEBI : सिक्युरटीज़ इक्स्चेन्ज बोर्ड ऑफ इंडिया ( Securities Exchange Board of India)
आईपीओ/आईपीओ : इनिश्यल पब्लिक ऑफरिंग (Initial Public Offering)
एफ़पीओ/FPO : फ़र्दर ऑन पब्लिक ऑफरिंग (Further on Public Offering)