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आरबीआई, 2023-24 के लिए भारत सरकार को रिकॉर्ड 2.11 लाख करोड़ रुपये का लाभांश देगा

Utkarsh Classes Last Updated 22-05-2024
Record Rs 2.11 lakh crore RBI dividend to central government for 2023-24 Banking and Finance 5 min read

भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई ) के केंद्रीय निदेशक मंडल ने वित्तीय वर्ष 2023-24 के लिए भारत सरकार को लाभांश के रूप में 2.11 लाख करोड़ रुपये के हस्तांतरण को मंजूरी दे दी है। 22 मई 2024 को मुंबई में अपने केंद्रीय निदेशक मंडल की बैठक के बाद आरबीआई ने इसकी घोषणा की। भारत सरकार के पास आरबीआई का  सम्पूर्ण  स्वामित्व है।

2023-24 के लिए आकस्मिक बफर जोखिम को 6.5% तक बढ़ाए जाने के बावजूद यह आरबीआई द्वारा घोषित शायद अब तक का सबसे बड़ा  लाभांश है।

लाभांश किसी कंपनी द्वारा अपने शेयरधारक को वितरित लाभ का हिस्सा होता है।

आकस्मिक बफर जोखिम क्या है?

आकस्मिक बफर जोखिम से तात्पर्य उस धनराशि से है जो आरबीआई को अपनी वर्तमान देनदारियों (जैसे दिन-प्रतिदिन की लागत, कर्मचारी वेतन, आदि) को पूरा करने और मौद्रिक और विदेशी मुद्रा कार्यों जैसे अपने वैधानिक कर्तव्यों को पूरा करने के लिए बनाए रखना होता है। आकस्मिक बफर जोखिम आरबीआई के आर्थिक पूंजी ढांचे का हिस्सा है। 

आरबीआई ने भारत सरकार के परामर्श से 2018 में आरबीआई के आर्थिक पूंजी ढांचे की समीक्षा के लिए एक समिति का गठन किया। समिति की अध्यक्षता बिमल जालान ने की।

आर्थिक पूंजी ढांचे आरबीआई अधिनियम 1934 की धारा 47 के तहत जोखिम प्रावधान के उचित स्तर को ध्यान में रखने के बाद आरबीआई के लाभ वितरण का प्रावधान करता है।

बिमल जालान समिति ने सिफारिश की थी  कि आरबीआई को एक आकस्मिक बफर जोखिम बनाए रखना होगा जो उसके बैलेंस शीट का 6.5 प्रतिशत से 5.5 प्रतिशत होगा। आकस्मिक बफर जोखिम बनाने के बाद बची आरबीआई की  बाकी मुनाफा केंद्र सरकार को लाभांश को रूप में हस्तांतरित कर देना चाहिए।

बिमल जालान समिति की रिपोर्ट को आरबीआई ने 26 अगस्त 2019 को अपनाया था।

कोरोना महामारी के कारण, आरबीआई  ने 2018-19 से 2021-22 तक अपनी बैलेंस शीट का 5.5 प्रतिशत का आकस्मिक बफर जोखिम बनाए रखा।

मजबूत आर्थिक विकास के कारण, आकस्मिक बफर जोखिम को 2022-23 में 6 प्रतिशत और 2023-24 में 6.5 प्रतिशत तक बढ़ा दिया गया था।

सरकारी राजस्व को बढ़ावा

आरबीआई  द्वारा हस्तांतरित धन वित्तीय वर्ष 2024-25 के लिए भारत सरकार के खाते में दिखाई देगा। 2024-25 के अंतरिम बजट में भारत सरकार ने 1.02 लाख करोड़ रुपये के लाभांश का बजट रखा था।

आरबीआई से उम्मीद से अधिक लाभांश  प्राप्त होने से सरकार की आर्थिक तरलता में सुधार होगा तथा सरकार अधिक खर्च कर सकेगी जिसे भारतीय अर्थव्यवस्था पर सकारात्मक प्रभाव पड़ेगा।

आरबीआई का केंद्रीय बोर्ड

आरबीआई का केंद्रीय बोर्ड आरबीआई की सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था है। केंद्रीय बोर्ड के सदस्यों की नियुक्ति आरबीआई अधिनियम 1934 के तहत भारत सरकार द्वारा की जाती है।

केंद्रीय बोर्ड की संरचना

बोर्ड के सदस्यों को निदेशक कहा जाता है। आरबीआई अधिनियम 1934 के प्रावधानों के अनुसार, 21 निदेशक हो सकते हैं। ये निदेशक हैं:

  • आरबीआई गवर्नर और आरबीआई के चार डिप्टी गवर्नर,
  • केंद्र सरकार द्वारा नामित किए जाने वाले चार निदेशक, चार स्थानीय बोर्डों में से प्रत्येक से एक,
  • केंद्र सरकार द्वारा नामित किए जाने वाले दस निदेशक, और
  • केंद्र सरकार द्वारा नामित किए जाने वाले दो सरकारी अधिकारी

आरबीआई  की स्थापना आरबीआई अधिनियम 1934 के तहत की गई थी, और इसने 1 अप्रैल 1935 को कार्य करना शुरू किया।

आरबीआई के गवर्नर - शक्तिकांत दास

आरबीआई के डिप्टी गवर्नर - माइकल देबब्रत पात्रा, एम. राजेश्वर राव, टी. रबी शंकर, स्वामीनाथन जे

आरबीआई का मुख्यालय: मुंबई

FAQ

उत्तर: 2.11 लाख करोड़ रुपये -

उत्तर: आरबीआई का 100 प्रतिशत स्वामित्व भारत सरकार के पास है।

उत्तर : बिमल जालान

उत्तर: आरबीआई की बैलेंस शीट का 6.5 प्रतिशत।

उत्तर : 21 सदस्य। -

उत्तर: शक्तिकांत दास
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