भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने 13 सितंबर 2023 को जारी एक परिपत्र में बैंकों और अन्य विनियमित संस्थाओं को उधारकर्ता द्वारा ऋण की पूरी चुकौती के 30 दिनों के भीतर सभी मूल चल और अचल संपत्ति दस्तावेजों को वापस करने का निर्देश दिया है।
आरबीआई ने यह भी कहा कि अगर बैंक और विनियमित संस्थाएं निर्देश का पालन नहीं करते हैं तो उन्हें देरी के प्रत्येक दिन के लिए 5000 रुपये प्रतिदिन का जुर्माना देना होगा।
आरबीआई के अनुसार, उधारकर्ता को मूल चल/अचल संपत्ति दस्तावेजों को या तो उस बैंकिंग आउटलेट/शाखा से इकट्ठा करने का विकल्प दिया जाएगा जहां ऋण खाता सेवित किया गया था या उधारकर्ता के पसंद के अनुसार विनियमित संस्थाओं के किसी अन्य कार्यालय से दस्तावेज उपलब्ध कराया जाए ।
आरबीआई के ये निर्देश उन सभी मामलों पर लागू होंगे जहां मूल चल/अचल संपत्ति दस्तावेजों की रिहाई 1 दिसंबर, 2023 को या उसके बाद होनी है।
सामान्यतः संपत्तियाँ दो प्रकार की होती हैं मूर्त और अमूर्त। जिस संपत्ति का जिसका भौतिक अस्तित्व होता है उसे मूर्त संपत्ति कहते हैं । मूर्त संपत्ति को फिर चल और अचल संपत्तियों के रूप में वर्गीकृत किया गया है।
चल संपत्तियाँ वे संपत्तियाँ हैं जिन्हें एक स्थान से दूसरे स्थान पर ले जाया जा सकता है। इसमें लकड़ी, सोना, फसलें, आभूषण, फर्नीचर, शेयर, बांड आदि शामिल हैं।
अचल संपत्तियाँ वे संपत्तियाँ हैं जिन्हें आसानी से एक स्थान से दूसरे स्थान पर नहीं ले जाया जा सकता है। इसमें भूमि या वे चीजें शामिल हैं जो स्थायी रूप से जमीन से जुड़ी हुई हैं जैसे मकान, कारखाने, रियल एस्टेट आदि।
अमूर्त संपत्तियाँ वे संपत्तियाँ हैं जिनका कोई भौतिक अस्तित्व नहीं होता है जैसे पेटेंट, कॉपीराइट, ट्रेडमार्क, सेवा चिह्न आदि।
बैंकिंग विनियमन अधिनियम 1949 के तहत, आरबीआई के पास भारत में बैंकों को विनियमित करने की शक्ति है।
यहां अन्य विनियमित संस्थाओं से तात्पर्य गैर बैंकिंग वित्त कंपनी (एनबीएफसी) से है। भारतीय रिजर्व बैंक अधिनियम 1934 के तहत, आरबीआई उन एनबीएफसी को नियंत्रित करता है जो ऋण प्रदान करने के व्यवसाय में हैं।
आरबीआई के गवर्नर: शक्तिकांत दास