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राष्ट्रपति मुर्मू ने किसानों के अधिकारों पर पहले वैश्विक सेमिनार का उद्घाटन किया

Utkarsh Classes Last Updated 16-01-2024
President Murmu inaugurates 1st global seminar on farmers' rights Summit and Conference 4 min read

राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मु ने 12 सितंबर 2023 को किसानों के अधिकारों पर चार दिवसीय वैश्विक संगोष्ठी का शुभारंभ पूसा, नई दिल्ली में किया।

केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर ने समारोह की अध्यक्षता की। इस अवसर पर विभिन्न श्रेणियों में 26 पादप जीनोम संरक्षक पुरस्कार किसानों व संगठनों को प्रदान किए गए। 

  • इस समारोह में राष्ट्रपति ने प्लांट अथॉरिटी भवन का उद्घाटन किया और पौधों के किस्मों के के पंजीकरण के लिए आनलाइन पोर्टल लांच किया।

वैश्विक संगोष्ठी का आयोजन: 

  • खाद्य एवं कृषि के लिए वैश्विक संगोष्ठी का आयोजन पादप आनुवंशिक संसाधनों पर अंतरराष्ट्रीय संधि (आईटीपीजीआरएफए), खाद्य व कृषि संगठन (एफएओ), रोम एवं केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय द्वारा किया गया। 
  • राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा कि जैव विविधता, वन्य जीवन, विभिन्न विदेशी पौधों व प्राणियों की विस्तृत श्रृंखला ने हमेशा हमारे जीवन को समृद्ध किया है और इस ग्रह को सुंदर बनाया है।
  • उन्होंने कहा कि सभ्यता की शुरूआत से ही हमारे किसान ही असली इंजीनियर व वैज्ञानिक हैं, जिन्होंने मानवता के लाभ के लिए प्रकृति की ऊर्जा व उदारता का उपयोग किया है।
  • राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा कि वर्ष 2001 में हस्ताक्षरित खाद्य व कृषि के लिए पादप आनुवंशिक संसाधनों पर अंतर्राष्ट्रीय संधि, भोजन और कृषि के लिए पादप आनुवंशिक संसाधनों के संरक्षण, उपयोग व प्रबंधन के लिए सदस्य देशों के बीच सबसे महत्वपूर्ण अंतरराष्ट्रीय समझौतों में से एक थी।

पौधों की विविधता और किसान अधिकार संरक्षण अधिनियम (पीपीवीएफआर)-2001

  • भारत ने पौधों की विविधता और किसान अधिकार संरक्षण अधिनियम (पीपीवीएफआर)-2001 को पेश करने में अग्रणी भूमिका निभाई थी, जो किसानों की सुरक्षा के लिए खाद्य व कृषि हेतु पादप आनुवंशिक संसाधनों पर अंतरराष्ट्रीय संधि से जुड़ा है।

भारत में किसानों को कई प्रकार के अधिकार प्राप्त हैं:  

  • राष्ट्रपति मुर्मु ने कहा कि हमारा देश किसानों को कई प्रकार के अधिकार प्रदान करता है। भारतीय किसान खुद की किस्मों को पंजीकृत कर सकते हैं, जिन्हें सुरक्षा मिलती है। 
  • जलवायु परिवर्तन से उत्पन्न चुनौतियों के मद्देनजर व मानवता के प्रति सामूहिक जिम्मेदारी के रूप में संयुक्त राष्ट्र के सतत विकास लक्ष्यों (एसडीजी) को पूरा करने के लिए इसका महत्व और बढ़ जाता है। 
  • मिलेट्स (श्री अन्न) सहित वे किस्में, जो न केवल हमारे इकोसिस्टम पर विभिन्न तनावों के प्रति अंतर्निहित सहनशीलता से संपन्न हैं, बल्कि क्षमता भी रखती हैं। 
  • संयुक्त राष्ट्र द्वारा वर्ष 2023 को अंतरराष्ट्रीय मिलेट्स वर्ष घोषित करना इसी दिशा में एक कदम है।

FAQ

Ans. - नई दिल्ली

Ans. - वर्ष 2023
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