चुनावी राज्य मध्य प्रदेश के दौरे पर पीएम मोदी ने रामभद्राचार्य महाराज द्वारा लिखित 'पाणिनि अष्टाध्याई भाष्य', 'रामानंदाचार्य चरितम्' और 'भगवान श्रीकृष्ण की राष्ट्रलीला' नामक तीन पुस्तकों का विमोचन किया।
इस मौके पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि संस्कृत न सिर्फ परंपराओं की भाषा है, बल्कि ये देश की प्रगति और अस्मिता की भी भाषा है।
यात्रा के दौरान, प्रधानमंत्री श्री राम संस्कृत महाविद्यालय भी गए और दिवंगत उद्योगपति अरविंद भाई मफतलाल की 'समाधि' पर श्रद्धांजलि अर्पित की।
प्रधानमंत्री ने कहा कि अमृत काल में देश, विकास और विरासत को एक साथ लेकर चल रहा है। चित्रकूट में प्राकृतिक सौन्दर्य के साथ-साथ आध्यात्मिक ज्ञान की जड़ें भी विद्दमान हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तीर्थाटन के विकास पर जोर देने का भी जिक्र किया।
उन्होंने केन-बेतवा लिंक परियोजना, बुन्देलखण्ड एक्सप्रेस-वे और डिफेंस कॉरिडोर का जिक्र किया और कहा कि इससे क्षेत्र में नये रोजगार और विकास के अवसर पैदा होंगे।
जगद्गुरु रामानंदाचार्य 'स्वामी रामभद्राचार्य' चित्रकूट में रहने वाले कथा वाचक हैं। रामभद्राचार्य महाराज चार मौजूदा जगद्गुरु रामानंदाचार्य में से एक हैं, और उन्होंने 1988 से यह उपाधि धारण की है। वह 1987 में स्थापित तुलसी पीठ के संस्थापक और प्रमुख हैं। वे बचपन में दो महीने की उम्र से अंधे हैं, और उन्होंने ब्रेल का उपयोग किए बिना, चार महाकाव्य कविताओं सहित 100 से अधिक किताबें और 50 पेपर लिखा है 2015 में उन्हें भारत सरकार ने पद्म विभूषण से सम्मानित किया था।
जगतगुरु का अर्थ है ब्रह्मांड का गुरु। इस शब्द का प्रयोग हिंदू धर्म में वेदांत विचारधारा से संबंधित आचार्यों के लिए किया जाता है। उन्होंने ब्रह्म सूत्र, भगवत गीता और महाभारत (संयुक्त रूप से प्रस्थानत्रयी कहा जाता है) पर संस्कृत टिप्पणियाँ लिखी हैं। परंपरागत रूप से, जगद्गुरु शीर्षक का उपयोग, रामानुजाचार्य, निम्बकाचार्य, आदि शंकराचार्य, माधवाचार्य और वल्लभाचार्य जैसे पारंपरिक जगद्गुरुओं द्वारा स्थापित मठों के सभी पीठाधिपतियों के लिए किया जाता है।
अमृत काल वर्ष 2047 तक प्रधानमंत्री का 'न्यू इंडिया' अर्थात विकसित भारत का दृष्टिकोण है, जो देश के लिए एक नई सुबह की शुरुआत होगी। जो विकास में तेजी और भारतीयों की जीवन स्थितियों को बेहतर करने के माध्यम से भारतीय अर्थव्यवस्था के सभी हिस्सों को पुनर्गठित करके देश की जरूरतों और आकांक्षाओं को पूरा करने की दिशा में एक कदम होगा। वर्ष 2047 तक बुनियादी ढाँचे और तकनीकी प्रगति, को विकसित करते हुए भारत की महत्ता और गौरव को सम्पूर्ण विश्व में फिर से स्थापित करना है।
अमृत काल के पंच प्राण में भारत को विकसित करने का लक्ष्य, औपनिवेशिक मानसिकता के निशान को पूर्णतः समाप्त करना, अपनी परंपरा और जड़ों के प्रति सम्मान और गौरव का भाव, एकता के साथ विकास और नागरिकों के बीच कर्तव्य की भावना का लक्ष्य हासिल करना शामिल है।
केन-बेतवा लिंक परियोजना (केबीएलपी) नदी जोड़ो परियोजना है और इसका उद्देश्य सूखाग्रस्त बुंदेलखंड क्षेत्र को सिंचित करने के लिए मध्य प्रदेश में केन नदी से अधिशेष पानी को उत्तर प्रदेश में बेतवा नदी में स्थानांतरित करना है।
इस परियोजना में एक बहुउद्देशीय बाँध भी बनाया जाएगा, जो 103 मेगावाट जल विद्युत का उत्पादन करेगा और 62 लाख लोगों को पीने का पानी उपलब्ध कराएगा।
केन और बेतवा, ये दोनों नदियाँ यमुना की सहायक नदी हैं और इनका उद्गम मध्य प्रदेश से हुआ है।
केन उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के पास यमुना नदी में मिलती है और बेतवा उत्तरप्रदेश के हमीरपुर जिले में यमुना नदी में मिलती है।
केन नदी पन्ना टाइगर रिजर्व के मध्य से गुजरती है।
मध्य प्रदेश की राजधानी: भोपाल
मध्य प्रदेश की ऊर्जा राजधानी: सिंगरौली
मध्य प्रदेश के मुख्यमंत्री: शिवराज सिंह चौहान
मध्य प्रदेश के राज्यपाल: मंगुभाई सी. पटेल
मध्य प्रदेश को "भारत का बाघ राज्य" कहा जाता है(भारत मे बाघों की संख्या सर्वाधिक होने के कारण)।
मध्य प्रदेश में तीन यूनेस्को विश्व धरोहर स्थल हैं: भीमबेटका(2003), सांची(1989) और खजुराहो(1986)।
यूनेस्को बायोस्फीयर रिजर्व: पंचमढ़ी
लगभग 10000 से 35000 वर्ष पुराने भीमबेटका शैल चित्र मध्य प्रदेश में भोपाल के पास पाए गए हैं।
उज्जैन को भारत का ग्रीनविच कहा जाता है क्योंकि देशांतर की पहली मध्याह्न रेखा यहीं से होकर गुजरती है।
दुनिया का सबसे बड़ा धार्मिक आयोजन, सिंहस्थ (कुंभ मेला), हर 12 साल में एक बार क्षिप्रा नदी के तट पर महाकाल की नगरी उज्जैन में आयोजित किया जाता है।