केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमन ने दक्षिणी क्षेत्र के क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों (आरआरबी) को डिजिटलीकरण की ओर बढ़ने के सरकार के प्रयास के अनुरूप डिजिटल रूप से सक्रिय ग्राहकों को बढ़ाने पर ज्यादा जोर देने के लिए कहा।
निर्मला सीतारमण 4 अगस्त 2023 को चेन्नई में आयोजित दक्षिणी क्षेत्र के क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों के अध्यक्षों और वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक में शामिल हुई। बैठक में भारतीय रिजर्व बैंक, और आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, केरल पुडुचेरी, कर्नाटक और तमिलनाडु के बैंकों के वरिष्ठ अधिकारियों ने भाग लिया। इसी बैठक में सीतारमन जी ने क्षेत्रीय ग्रामीण बैंकों को डिजिटलीकरण पर जोर देने के लिए दिशानिर्देशित किया।
निर्मला सीतारमण ने इस बात पर भी जोर दिया कि दक्षिणी क्षेत्र के आरआरबी में प्रौद्योगिकी, ऋण प्रबंधन प्रणाली और कोर बैंकिंग प्रणाली को समयबद्ध तरीके से अपनाया जाना चाहिए।
क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक (आरआरबी) की स्थापना ग्रामीण ऋण पर बनी नरसिम्हम समिति-1975 की सिफारिश पर की गई थी। भारत सरकार ने 1975 में क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक अध्यादेश लागू किया था जिसे क्षेत्रीय ग्रामीण बैंक अधिनियम -1976 द्वारा प्रतिस्थापित किया गया था।
2 अक्टूबर 1975 को गाँधी जयंती के अवसर पर भारत में पाँच आरआरबी स्थापित किये गये। पहला, प्रथमा बैंक, सिंडिकेट बैंक द्वारा प्रायोजित उत्तरप्रदेश के मुरादाबाद में स्थापित किया गया था। वर्तमान में भारत में 43 आरआरबी संचालित हैं।
आरआरबी की स्थापना की शक्ति भारत में केंद्र सरकार में निहित है। केंद्र सरकार प्रायोजक बैंक के अनुरोध पर किसी राज्य या केंद्र शासित प्रदेश में एक या अधिक आरआरबी स्थापित कर सकती है।
आरआरबी को भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा विनियमित किया जाता है जबकि राष्ट्रीय कृषि और ग्रामीण विकास बैंक (नाबार्ड) आरआरबी की निगरानी करता है।
आरआरबी अधिनियम 1976 के अनुसार आरआरबी की अधिकृत पूंजी 5 करोड़ रुपये थी। आरआरबी का स्वामित्व केंद्र सरकार, संबंधित राज्य सरकार और प्रायोजक वाणिज्यिक बैंकों के पास निम्नलिखित अनुपात में होता है;
केंद्र सरकार 50%,
राज्य सरकार 15% और
प्रायोजक वाणिज्यिक बैंक 35% हैं।
आरआरबी की आधिकृत पूंजी को 5 करोड़ रुपये से बढ़ाकर 2000 करोड़ रुपये कर दी गई है।
आरआरबी की न्यूनतम जारी पूंजी 25 लाख रुपये से बढ़ाकर 1 करोड़ रुपये कर दी गई है।
यह केंद्र सरकार को संबंधित राज्य सरकार और प्रायोजक बैंकों के पूर्व परामर्श से केंद्र सरकार, संबंधित राज्य सरकार और प्रायोजक बैंक की शेयरधारिता को कम करने की शक्ति देता है।
इसमें प्रावधान है कि केंद्र सरकार और प्रायोजक बैंकों की संयुक्त हिस्सेदारी किसी भी स्थिति में 51% से कम नहीं होगी।
आरआरबी की स्थापना ग्रामीण क्षेत्रों में छोटे और सीमांत किसानों, कृषि मजदूरों, कारीगरों और छोटे उद्यमियों को ऋण, बचत और अन्य बैंकिंग सुविधाएं प्रदान करने के उद्देश्य से की गई थी।
भारत में आरआरबी की वर्तमान स्थिति
31 मार्च 2021 तक, 26 राज्यों और 3 केंद्र शासित प्रदेशों (जम्मू और कश्मीर, लद्दाख और पुदुचेरी) में 12 वाणिज्यिक बैंकों द्वारा प्रायोजित 43 आरआरबी कार्यरत हैं।
सिक्किम और गोवा राज्य में कोई आरआरबी नहीं है।
11 सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक और एक निजी क्षेत्र का बैंक जम्मू और कश्मीर बैंक आरआरबी के प्रायोजक हैं।
पंजाब एंड सिंध बैंक एकमात्र सार्वजनिक क्षेत्र का बैंक है जिसने किसी भी आरआरबी को प्रायोजित नहीं किया है।