आंध्र प्रदेश राज्य की पांच जातियों को पिछड़ा वर्ग के केंद्रीय सूची में शामिल करने हेतु राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (एनसीबीसी) ने नई दिल्ली में इस विषय पर जनसुनवाई की हैI
आंध्र प्रदेश सरकार से प्राप्त पांच जातियों तुरुपुकापुस, सिस्टाकर्नाम, कलिंगा कोमती/ कलिंगा व्यास, सोंड़ी/सुंडी और आरव को केंद्रीय पिछड़ा वर्ग की सूची में जोड़ने के लिए न्यू महाराष्ट्र सदन कांफ्रेंस हॉल में जनसुनवाई की गईI
- जनसुनवाई के दौरान आंध्र प्रदेश के मुख्य सचिव या अतिरिक्त मुख्य सचिव अथवा सचिव स्तर के किसी अधिकारी की अनुपस्थिति पर आयोग ने राज्य सरकार के प्रति नाराजगी जाहिर कीI
- इसके साथ ही उपस्थित निदेशक स्तर के अधिकारी को जनसुनवाई में शामिल होने से रोकते हुए आयोग ने जन-प्रतिनिधियों तथा सम्बंधित जातियों के प्रतिनिधियों की प्रतिष्ठा को ध्यान में रखते हुए जन सुनवाई की तथा सभी पक्षों को सौहार्दपूर्ण माहौल में सुनाI
- कुछ जानकारी दस्तावेज एक सप्ताह में राज्य सरकार से मांगे गए उसके बाद अगली प्रक्रिया चलाने का आदेश दिया गयाI
राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (एनसीबीसी):
- स्वतंत्रता के पश्चात् सरकार ने वर्ष 1950 और 1970 के दशक में काका कालेलकर (काका कालेलकर आयोग देश का प्रथम पिछड़ा वर्ग आयोग) और बी.पी. मंडल की अध्यक्षता में क्रमशः दो पिछड़ा वर्ग आयोगों की नियुक्ति की थी।
- वर्ष 1992 के इंद्रा साहनी मामले में सर्वोच्च न्यायालय ने सरकार को निर्देश दिया कि सभी पिछड़े वर्गों के समावेशन एवं बहिष्करण पर विचार करने हेतु एक स्थायी निकाय का गठन करे।
- सर्वोच्च न्यायालय के इन निर्देशों के अनुपालन में संसद ने वर्ष 1993 में राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग अधिनियम पारित किया और राष्ट्रीय पिछड़ा वर्ग आयोग (एनसीबीसी) का गठन किया।
सरकार द्वारा पिछड़े वर्गों के कल्याण हेतु उठाए गए कदम:
- पिछड़े वर्गों के हितों की अधिक प्रभावी ढंग से रक्षा करने हेतु वर्ष 2017 में 123वाँ संविधान संशोधन विधेयक संसद में पेश किया गया।
- अगस्त 2018 में राष्ट्रपति की स्वीकृति के बाद एनसीबीसी को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया गया। अर्थात 102वाँ संविधान संशोधन अधिनियम, 2018 द्वारा एनसीबीसी को संवैधानिक दर्जा प्रदान किया गया।
- एनसीबीसी को सामाजिक और शैक्षिक रूप से पिछड़े वर्गों के बारे में शिकायतों तथा कल्याणकारी उपायों की जाँच संबंधी अधिकार प्राप्त है।
- इससे पूर्व एनसीबीसी सामाजिक न्याय एवं अधिकारिता मंत्रालय के तहत एक सांविधिक निकाय था।
एनसीबीसी की संरचना:
- एनसीबीसी में पाँच सदस्य होते हैं, जिनमें एक अध्यक्ष, उपाध्यक्ष और तीन अन्य सदस्य शामिल होते हैं।
- इनकी सेवा शर्तों तथा कार्यकाल का निर्धारण राष्ट्रपति द्वारा किया जाता है। साथ ही इनकी नियुक्ति राष्ट्रपति के सहमति से की जाती है।