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नासा-इसरो सिंथेटिक एपर्चर रडार (निसार) का प्रक्षेपण 2024 में होगा

Utkarsh Classes Last Updated 07-02-2025
NASA-ISRO Synthetic Aperture Radar (NISAR) Launch To Be Held In 2024 Space 5 min read

नासा-इसरो सिंथेटिक एपर्चर रडार (निसार) 2024 को पहली तिमाही में लॉन्च किये जाने की संभावना है। निसार को श्रीहरिकोटा के सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से इसरो जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल मार्क-II द्वारा लॉन्च किया जाएगा। इसरो के अनुसार निसार, नासा के सहयोग से बनाई जा रही एक लो अर्थ ऑर्बिट (एलईओ) वेधशाला है।

नासा-इसरो सिंथेटिक एपर्चर रडार (निसार)-

  • निसार 2,800 किलोग्राम एसयूवी आकार के उपग्रह के साथ, नासा-इसरो द्वारा विकसित लो अर्थ ऑर्बिट (एलईओ) वेधशाला है।
  • 2014 में सम्पन्न एक सहयोग समझौते के तहत निसार को अमेरिकी और भारतीय अंतरिक्ष एजेंसियों द्वारा बनाया गया है।
  • जनवरी 2024 में, इसे सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से निकट-ध्रुवीय कक्षा में लॉन्च किया जाएगा।
  • उपग्रह का जीवन-चक्र या मिशन अवधि तीन साल की है।
  • तीन साल तक यह मिशन अनवरत प्रत्येक 12 दिनों में पृथ्वी की सम्पूर्ण भूमि और बर्फ से ढके क्षेत्रों की सघन जांच करेगा।
  • यह 90-दिवसीय उपग्रह कमीशनिंग अवधि के बाद शुरू होगा।

निसार की विशेषताएं

  • निसार, दो अलग-अलग रडार आवृत्तियों (एल-बैंड और एस-बैंड) का उपयोग करके हमारे ग्रह की सतह में परिवर्तन का आकलन करने वाला पहला उपग्रह होगा।
  • निसार एक दोहरी-आवृत्ति इमेजिंग रडार उपग्रह है क्योंकि इसमें एल-बैंड और एस-बैंड सिंथेटिक एपर्चर रडार (एसएआर) उपकरण दोनों शामिल हैं।
  • इसरो (भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन) के द्वारा एस-बैंड रडार, जियोसिंक्रोनस सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल (जीएसएलवी) लॉन्च व्हीकल और अंतरिक्ष यान उपलब्ध कराया गया है।
  • नासा ने एल-बैंड रडार, जीपीएस, डेटा भंडारण के लिए एक उच्च क्षमता वाला सॉलिड-स्टेट रिकॉर्डर और एक पेलोड डेटा सबसिस्टम प्रदान किया है।
  • निसार, एक सिंथेटिक एपर्चर रडार उपकरण (एसएआर), एक एल-बैंड एसएआर, एक एस-बैंड एसएआर और एक एंटीना रिफ्लेक्टर से सुसज्जित होगा।
  • इंटीग्रेटेड रडार इंस्ट्रूमेंट स्ट्रक्चर (आईआरआईएस) और अंतरिक्ष यान बस पर स्थापित एसएआर पेलोड को वेधशाला के रूप में जाना जाता है।
  • इसमें सोने की परत चढ़े तार की जाल से बना 39 फुट का एक विशाल स्थायी एंटीना रिफ्लेक्टर भी शामिल है। जिसका उपयोग उपकरण संरचना के ऊपर की ओर फ़ीड द्वारा उत्सर्जित और प्राप्त रडार संकेतों को केंद्रित करने के लिए किया जाएगा।

निसार के मिशन की विशेषताएं

कक्षा ऊँचाई

747 km

कक्षा झुकाव

98.4°

चक्र

बारह दिन

नोडल क्रॉसिंग का समय

6 AM/ 6 PM

कक्षा नियंत्रण

< 500 m

इंगित नियंत्रण

<273 आर्कसेक 

बिंदु

बाएँ (दक्षिण)

एल/एस ड्यूटी साइकिल

> 50%/10%

मिशन अवधि

3 साल

उपभोग्य

5 साल

डेटा और उत्पाद पहुँच

मुफ़्त और खुला

वेवलेंथ

एल-बैंड: 24 सेमी

एस-बैंड: 9.3 सेमी

एसएआर संकल्प

3–10 m  

इसरो के बारे में

  • भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो), भारत की अंतरिक्ष एजेंसी है जिसे 1969 में स्वदेशी भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम के विकास में सहायता के लिए स्थापित गया था।
  • इसरो, भारत की प्रमुख अंतरिक्ष एजेंसी के रूप में कार्य करती है जिसका उद्देश्य, अंतरिक्ष वैज्ञानिक अनुसंधान और ग्रहों की खोज के साथ-साथ अंतरिक्ष प्रौद्योगिकी में रोजगार के माध्यम से राष्ट्रीय विकास में सुधार करना है।
  • एंट्रिक्स कॉर्पोरेशन लिमिटेड (एसीएल) इसरो की विपणन शाखा है, जो अंतरिक्ष वस्तुओं के प्रचार और व्यावसायीकरण, तकनीकी परामर्श सेवाओं और इसरो द्वारा विकसित प्रौद्योगिकी के हस्तांतरण के लिए जिम्मेदार है।
  • संस्थापक: विक्रम साराभाई
  • स्थापना: 15 अगस्त 1969
  • मुख्यालय - बेंगलुरु।
  • इसरो के वर्तमान अध्यक्ष- श्री एस.सोमनाथ।

राष्ट्रीय वैमानिकी एवं अंतरिक्ष प्रशासन (नासा)

  • नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन (नासा) संयुक्त राज्य अमेरिका की एक स्वायत्त अंतरिक्ष एजेंसी है।
  • 1958 के राष्ट्रीय वैमानिकी और अंतरिक्ष अधिनियम के माध्यम से नासा की स्थापना की गई।
  • संस्थापक: ड्वाइट डी. आइजनहावर
  • स्थापना: 29 जुलाई 1958, 
  • मुख्यालय: वाशिंगटन, डी.सी., संयुक्त राज्य अमेरिका

FAQ

उत्तर. इसरो का पूरा नाम भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन है।

उत्तर. नासा का पूरा नाम नेशनल एरोनॉटिक्स एंड स्पेस एडमिनिस्ट्रेशन है।

उत्तर. निसार (एनआईएसएआर) का पूरा नाम नासा-इसरो सिंथेटिक एपर्चर रडार है।

उत्तर. भारत और अमेरिका के सहयोग से निसार को लॉन्च किया जाएगा।

उत्तर. निसार 2,800 किलोग्राम एसयूवी आकार के उपग्रह के साथ नासा-इसरो द्वारा संयुक्त रूप से विकसित एक लो अर्थ ऑर्बिट (एलईओ) वेधशाला है।
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