प्रसिद्ध गुसाडी लोक नर्तक कनक राजू जिन्हें गुसाडी राजू के नाम से भी जाना जाता है, का उम्र संबंधी बीमारियों के कारण 25 अक्टूबर 2024 को निधन हो गया। वह 84 वर्ष के थे।
प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और तेलंगाना के मुख्यमंत्री ए रेवंत रेड्डी ने प्रसिद्ध गुसाडी लोक नृत्य गुरु कनक राजू के निधन पर शोक व्यक्त किया।
कनक राजू का जन्म तेलंगाना के कोमाराम भीम आसिफाबाद जिले के जैनूर मंडल के मारलावई गांव में हुआ था।
राज गोंड जनजाति से संबंध रखने वाले कनक राजू ने आठ साल की उम्र से ही अपने आदिवासी समुदाय को नृत्य करते हुए देखकर, स्वयं गुसाडी नृत्य सीखा था।
गुसाड़ी नृत्य केवल राज गोंड जनजाति के पुरुषों द्वारा किया जाता है। यह नृत्य एक स्थानीय देवता को समर्पितनृत्य है जिसका मंचन डंडारी उत्सव के दौरान किया जाता है। डंडारी उत्सव दीपावली के बाद मनाया जाता है और लगभग 10 दिनों तक चलता है।
गुसाडी नृत्य राज गोंड जनजातियों के मातृसत्तात्मक समाज में एक प्रेमालाप अनुष्ठान है जहां नृत्य भावी दुल्हन और उसके परिवार को प्रभावित करने की कोशिश करता है।
नर्तकों को घुसरक्स या घुसदी ताड़ो के नाम से भी जाना जाता है, वे लगभग 1,500 मोर पंखों से बनी टोपी पहनते हैं, जिन्हें माल बूरा के नाम से जाना जाता है, और अपनी कमर के चारों ओर जानवरों की खाल लपेटते हैं। नृत्य के दौरान नर्तक गाय, सांप, घोड़े, आदिवासी, डंडारी और उनकी दिव्यता की नकल करते हैं।
कनक राजू ने गुसाडी नृत्य शैली में हजारों युवा आदिवासी नर्तकियों को प्रशिक्षित किया है और पारंपरिक आदिवासी लोक नृत्य को जीवित रखने mein बेहद अहम भूमिका निभाई थीं।
नृत्य शैली के संरक्षण में उनके प्रयास के लिए उन्हें 2021 में देश के चौथे सर्वोच्च नागरिक पुरस्कार, पद्म श्री से सम्मानित किया गया।
तेलंगाना राज्य सरकार ने आदिलाबाद जिले में कनक राजू गुसाडी नृत्य स्कूल शुरू किया है जहां कनक राजू को मुख्य नृत्य मास्टर बनाया गया था।