मध्य प्रदेश के जल संसाधन मंत्री तुलसीराम सिलावट ने कहा कि मध्य प्रदेश में 8 लाख 11 हजार हेक्टेयर क्षेत्र में सिंचाई सुविधा उपलब्ध कराने वाली केन-बेतवा लिंक राष्ट्रीय परियोजना का काम जल्द शुरू होगा।
मंत्री सिलावट ने कहा कि केन-बेतवा लिंक राष्ट्रीय परियोजना न केवल बुंदेलखण्ड अपितु पूरे मध्यप्रदेश के लिये वरदान है। इस परियोजना से 41 लाख आबादी को पेयजल मिलेगा। साथ ही 103 मेगावॉट बिजली का उत्पादन होगा। इससे मध्यप्रदेश के 10 जिलों के 2040 गाँव लाभान्वित होंगे। केन-बेतवा लिंक परियोजना का कार्य शीघ्र शुरू किया जाएगा।
परियोजना में बांध निर्माण के लिये भू-अर्जन अधिनियम-2013 के अंतर्गत पन्ना एवं छतरपुर जिले में प्रभावित ग्रामों की सम्पत्ति एवं निजी भूमि का सर्वे एवं सत्यापन कार्य संबंधित जिला प्रशासन द्वारा पूर्ण कर लिया गया है।
विस्थापितों के समुचित पुनर्वास के लिये उपयुक्त भूमि का चयन किया जा रहा है। परियोजना से प्रभावित कुल 21 ग्रामों में से 14 ग्रामों के अंतर्गत आने वाली लगभग 3,500 हेक्टेयर शासकीय भूमि पन्ना टाइगर रिजर्व को हस्तांतरित किये जाने की प्रक्रिया संबंधित जिला प्रशासन द्वारा पूर्ण कर ली गई है।
केन बेतवा लिंक परियोजना के बारे में
- केन-बेतवा लिंक परियोजना (केबीएलपी) राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य योजना (एनपीपी) के प्रायद्वीपीय नदी विकास के तहत नियोजित 16 समान परियोजनाओं में से पहली नदी इंटरलिंकिंग परियोजना है।
- यह यमुना नदी की सहायक नदियों, अर्थात् मध्य प्रदेश के पन्ना जिले में केन नदी और उत्तर प्रदेश में बेतवा नदी को जोड़ेगा।
- बुन्देलखण्ड क्षेत्र मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश राज्यों में फैला हुआ है।
- इस परियोजना में दौधन बांध और दो नदियों को जोड़ने वाली नहर, लोअर ओर्र परियोजना, कोठा बैराज-और बीना कॉम्प्लेक्स बहुउद्देशीय परियोजना के माध्यम से केन से बेतवा नदी तक पानी का स्थानांतरण शामिल है।
- यह परियोजना मध्य प्रदेश और उत्तर प्रदेश में फैले पानी की कमी वाले बुन्देलखण्ड क्षेत्र के लिए अत्यधिक लाभकारी होगी। इस परियोजना से मध्य प्रदेश के पन्ना, टीकमगढ़, छतरपुर, सागर, दमोह, दतिया, विदिशा, शिवपुरी और रायसेन तथा उत्तर प्रदेश के बांदा, महोबा, झाँसी और ललितपुर जिलों को अत्यधिक लाभ मिलेगा।
- यह परियोजना 10.62 लाख हेक्टेयर की वार्षिक सिंचाई, लगभग 62 लाख की आबादी को पेयजल आपूर्ति प्रदान करेगी और 103 मेगावाट जल विद्युत और 27 मेगावाट सौर ऊर्जा भी उत्पन्न करेगी। इस परियोजना को अत्याधुनिक तकनीक के साथ 8 वर्षों में लागू करने का प्रस्ताव है।
- इस परियोजना से पिछड़े बुन्देलखण्ड क्षेत्र में कृषि गतिविधियों में वृद्धि और रोजगार सृजन के कारण सामाजिक-आर्थिक समृद्धि को बढ़ावा मिलने की उम्मीद है। इससे इस क्षेत्र से संकटपूर्ण प्रवासन को रोकने में भी मदद मिलेगी।
- यह परियोजना व्यापक रूप से पर्यावरण प्रबंधन और सुरक्षा उपाय भी प्रदान करती है। इस प्रयोजन के लिए भारतीय वन्यजीव संस्थान द्वारा एक व्यापक परिदृश्य प्रबंधन योजना को अंतिम रूप दिया जा रहा है।
- राष्ट्रीय परिप्रेक्ष्य योजना (एनपीपी) के तहत, राष्ट्रीय जल विकास एजेंसी (एनडब्ल्यूडीए) ने व्यवहार्यता रिपोर्ट (एफआर) तैयार करने के लिए 30 लिंक (प्रायद्वीपीय घटक के तहत 16 और हिमालयी घटक के तहत 14) की पहचान की है। आठ लिंक की विस्तृत परियोजना रिपोर्ट (डीपीआर) पूरी हो चुकी है।