भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) ने 28 अगस्त 2023 को घोषणा की है कि वह 2 सितंबर 2023 को अपना पहला अंतरिक्ष आधारित सौर मिशन, आदित्य एल-1 लॉन्च करेगा। सफल चंद्रयान-3 मिशन के बाद यह इसरो का दूसरा महत्वाकांक्षी मिशन है।
आदित्य, जिसका अर्थ संस्कृत और हिंदी में सूर्य है, को इसरो के रॉकेट पीएसएलवी एक्स एल (पोलर सैटेलाइट लॉन्च व्हीकल- एक्स्ट्रा लार्ज) पर ले जाया जाएगा। रॉकेट आंध्र प्रदेश के श्रीहरिकोटा में स्थित सतीश धवन अंतरिक्ष केंद्र से सुबह 11:50 बजे अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किया जाएगा ।
आदित्य एल1 का अंतरिक्ष में जगह
इसरो के अनुसार, आदित्य उपग्रह को सूर्य-पृथ्वी प्रणाली के लंग्राजी बिंदु 1 (एल 1) के आसपास एक हेलो कक्षा में रखा जाएगा, जो पृथ्वी से लगभग 15 लाख किमी दूर है।
एल1 बिंदु के चारों ओर प्रभामंडल कक्षा में रखे गए आदित्य को ग्रहण या गुप्त घटना से बाधित हुए बिना लगातार सूर्य का निरीक्षण करने में सक्षम बनाएगा। इससे वैज्ञानिकों को वास्तविक समय में सौर गतिविधियों और अंतरिक्ष मौसम पर उनके प्रभाव का अध्ययन करने में सहायता मिलेगी।
आदित्य एल1 क्या करेगा?
इसका उद्देश्य सौर हवाओं का अध्ययन करना है, जो पृथ्वी पर कई तरह की बाधा उत्पन्न कर सकती हैं और जिन्हें आमतौर पर "ऑरोरा" के रूप में देखा जाता है।
वैज्ञानिकों को उम्मीद है कि मिशन के दीर्घकालिक डेटा से पृथ्वी के जलवायु पैटर्न पर सूर्य के प्रभाव को बेहतर ढंग से समझने में मदद मिल सकती है।
हाल ही में, शोधकर्ताओं ने कहा कि यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी/नासा सोलर ऑर्बिटर अंतरिक्ष यान ने कोरोना ( सूर्य के बाहरी वातावरण ) से रुक-रुक कर निकलने वाले आवेशित कणों के कई अपेक्षाकृत छोटे जेट का पता लगाया है , जो सौर हवा की उत्पत्ति पर प्रकाश डालने में मदद कर सकते हैं।
आदित्य के वैज्ञानिक पेलोड
अंतरिक्ष यान सात उन्नत पेलोड से सुसज्जित है जो सूर्य की विभिन्न परतों, प्रकाशमंडल और क्रोमोस्फीयर से लेकर सबसे बाहरी परत, कोरोना तक की जांच करने के लिए डिज़ाइन किया गया है। येः सभी उपकरण देश में विकसित किए गए हैं।
इसे एल 1 क्यों कहा जाता है?
अंतरिक्ष में ऐसे पाँच विशेष बिंदु हैं जहाँ एक छोटा द्रव्यमान दो बड़े द्रव्यमानों के साथ एक स्थिर पैटर्न में परिक्रमा कर सकता है। लैग्रेंज पॉइंट ऐसी स्थितियाँ हैं जहाँ दो बड़े द्रव्यमानों का गुरुत्वाकर्षण खिंचाव एक छोटी वस्तु को उनके साथ चलने के लिए आवश्यक सेंट्रिपेटल बल के बराबर होता है।
पृथ्वी-सूर्य प्रणाली का L1 बिंदु सूर्य का निर्बाध दृश्य प्रदान करता है
इनका उपयोग अंतरिक्ष यान द्वारा स्थिति में बने रहने के लिए आवश्यक ईंधन की खपत को कम करने के लिए किया जा सकता है।
लैग्रेंज पॉइंट्स का नाम इतालवी-फ्रांसीसी गणितज्ञ जोसेफी-लुई लैग्रेंज के सम्मान में रखा गया है।
भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो)
इसकी स्थापना 15 अगस्त 1969 को की गई थी
यह भारत की राष्ट्रीय अंतरिक्ष एजेंसी है।
मुख्यालय: बेंगलुरु
अध्यक्ष: एस.सोमनाथ
प्रथम अध्यक्ष: विक्रम साराभाई