अमेरिकी कंपनी एप्पल ने उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (पीएलआई) के तहत 2023-24 में भारत से रिकॉर्ड 10 बिलियन डॉलर के आईफोन निर्यात किया है । यह पिछले साल के निर्यात से लगभग दोगुना है। आईफोन का निर्यात भारत से किसी भी कंपनी द्वारा एकल ब्रांडेड उत्पाद का अब तक का सबसे बड़ा निर्यात है।
पीएलआई योजना के तहत इलेक्ट्रॉनिक कंपनियों के निर्यात को बढ़ावा देने का लक्ष्य होता है।
पीएलआई के तहत एप्पल के लिए निर्यात लक्ष्य 10 बिलियन डॉलर था जो उसे 2024-25 तक हासिल किया जाना था। लेकिन एप्पल ने एक साल पहले यानी 2023-24 में ही यह लक्ष्य हासिल कर लिया है। 2023-24 में एप्पल के कुल आईफोन उत्पादन का 70 प्रतिशत हिस्सा निर्यात किया जाता है।
भारत में आईफोन के तीन सप्लायर्स में सबसे ज्यादा योगदान फॉक्सकॉन का था। फॉक्सकॉन ने 2023-24 में अपने कुल आईफोन उत्पादन का 60 प्रतिशत निर्यात किया। इसके अन्य आपूर्तिकर्ता पेगाट्रॉन ने अपने कुल उत्पादन का 74 प्रतिशत निर्यात किया और विस्ट्रॉन के मालिक टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स ने अपने कुल उत्पादन का 97 प्रतिशत निर्यात किया है ।
वित्तीय वर्ष 2023-24 में, तीन आपूर्तिकर्ताओं के लिए पीएलआई योजना के तहत संचयी निर्यात लक्ष्य 7.2 बिलियन डॉलर था।
2023-24 में भारत से मोबाइल फोन का कुल निर्यात 15 अरब डॉलर को पार करने की उम्मीद है। एप्पल भारत से मोबाइल फोन का सबसे बड़ा निर्यातक है जिसका कुल मोबाइल फोन निर्यात में लगभग दो-तिहाई का योगदान है।
एप्पल अपने फ़ोन या टैबलेट का निर्माण खुद नहीं करता है। एप्पल मुख्य रूप से अपने उत्पादों को डिज़ाइन करता है और सॉफ्टवेयर बनाता है जो डिजिटल उपकरणों को चलाता है। एप्पल अपने हार्डवेयर को विभिन्न विक्रेताओं से आउटसोर्स करता है।
भारत में आईफोन के तीन निर्माता
एप्पल ने 2020 में भारत में कॉन्ट्रैक्ट पर अपने फोन की उत्पादन शुरू की थी। पहली कंपनी फॉक्सकॉन थी। भारत में आईफोन की सबसे बड़ी निर्माता ताइवानी कंपनी फॉक्सकॉन है। भारत में उत्पादित लगभग 67% आईफोन फॉक्सकॉन द्वारा बनाए जाते हैं।
भारत में निर्मित कुल आईफोन में एक और ताइवानी कंपनी पेगाट्रॉन का योगदान 17% है।
भारत में आईफोन बनाने वाली एकमात्र भारतीय कंपनी विस्ट्रॉन है। विस्ट्रॉन कंपनी को 2023 में टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स द्वारा अधिग्रहित किया गया था।
टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स तमिलनाडु के होसुर में ऐप्पल का सबसे बड़ा असेंबली प्लांट बना रहा है। इसका कर्नाटक में कोलार के पास मालूर में एक मौजूदा संयंत्र भी है।
भारत में आईफोन 12,13,14 और 15 मॉडल का निर्माण किया जा रहा है। 2023-24 में भारत में लगभग 14 बिलियन डॉलर मूल्य के आईफोन का उत्पादन हुआ जो इसके वैश्विक उत्पादन का 14 प्रतिशत था।
दुनिया में बनने वाले सात आईफोन में से एक का निर्माण भारत में होता था।
2023-24 में भारत से इलेक्ट्रॉनिक निर्यात
केंद्रीय वाणिज्य मंत्रालय के अनुसार, 2023-24 (एफ़वाई 24) के दौरान भारत से इलेक्ट्रॉनिक्स सामानों का कुल निर्यात 29.12 बिलियन डॉलर था। पिछले साल की तुलना में इलेक्ट्रॉनिक्स सामानों के निर्यात में वृद्धि दर 23.6% रही।
हालाँकि, 2023-24 में, कुल व्यापारिक निर्यात में लगभग 3% की नकारात्मक वृद्धि दर देखी गई। 2022-23 में कुल भारत से कुल माल का निर्यात 451.07 अरब डॉलर था, जबकि 2023-24 में यह 437.06 डॉलर था।
शीर्ष पाँच निर्यात गंतव्य 2023-24
भारतीय इलेक्ट्रॉनिक सामानों के मुख्य खरीदार, घटते क्रम में, संयुक्त राज्य अमेरिका, संयुक्त अरब अमीरात, नीदरलैंड, यूनाइटेड किंगडम और इटली थे।
पहली बार, भारत ने मोंटेनेग्रो, केमैन द्वीप, अल साल्वाडोर, तुर्कमेनिस्तान, मंगोलिया, होंडुरास और सेंट विंसेंट जैसे देशों को इलेक्ट्रॉनिक सामान निर्यात किया।
उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (पीएलआई)
भारत सरकार ने भारत में विनिर्माण क्षेत्र को बढ़ावा देने के लिए अपने आत्मनिर्भर भारत अभियान के हिस्से के रूप में मार्च 2020 में उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजना को मंजूरी दी। पीएलआई नीति 1 अप्रैल 2020 को अधिसूचित की गई थी।
पीएलआई योजना का उद्देश्य
पीएलआई योजना का मुख्य उद्देश्य:
पीएलआई के तहत क्षेत्र
वर्तमान में, पीएलआई योजना के तहत 14 सेक्टर को शामिल किया गया हैं। प्रारंभ में सरकार ने मार्च 2020 में पीएलआई के तहत तीन क्षेत्रों को अधिसूचित किया। बाद में नवंबर 2020 में 10 और क्षेत्र जोड़े गए, और 14वां क्षेत्र, ड्रोन और ड्रोन घटक, सितंबर 2021 में जोड़ा गया।
पीएलआई के तहत पहले तीन सेक्टर थे:
(1) मोबाइल विनिर्माण और निर्दिष्ट इलेक्ट्रॉनिक घटक,
(2) चिकित्सा उपकरणों का विनिर्माण
(3) महत्वपूर्ण प्रारंभिक सामग्री/औषधि मध्यस्थ और सक्रिय फार्मास्युटिकल सामग्री,
अन्य सेक्टर हैं
(4) आटोमोबाइल और आटो कलपुर्जे,
(5) दवाइयां,
(6) स्पेशियल्टी स्टील,
(7) दूरसंचार और नेटवर्किंग उत्पाद,
(8) इलेक्ट्रानिक/टेक्नोलॉजी उत्पादों
(9) व्हाइट गुड्स (एसी और एलईडी),
(10) खाद्य उत्पाद,
(11) कपड़ा उत्पादोंः एमएमएफ श्रेणी और तकनीकी कपड़े,
(12) उच्च आवृत्ति के सौर पीवी माड्यूल,
(13) एडवांस कैमिस्ट्री सेल (एसीसी) बैटरी, और
(14) ड्रोन और ड्रोन कलपुर्जे
योजना का कुल परिव्यय
भारत सरकार ने 13 क्षेत्रों के लिए 2021-22 से शुरू होने वाले अगले 5 वर्षों की अवधि में 1.97 लाख करोड़ रुपये (26 बिलियन अमेरिकी डॉलर से अधिक) खर्च करने की प्रतिबद्धता जताई है।
ड्रोन और ड्रोन घटकों के लिए परिव्यय 120 करोड़ रुपये है।
पीएलआई योजना के तहत प्रोत्साहन
पीएलआई योजना में पात्र कंपनियों को घरेलू भारतीय कंपनियों और विदेशी कंपनियों में विभाजित किया गया है।
इन कंपनियों को भारत में उत्पाद बनाने और उसकी बढ़ती बिक्री पर प्रोत्साहन दिया जाता है।
प्रोत्साहन अलग-अलग उत्पादों में अलग-अलग होता है लेकिन वे आम तौर पर बिक्री के 4% से 6% की सीमा में होते हैं।
महत्वपूर्ण फ़ुल फॉर्म
पीएलआई /PLI :प्रोडक्शन लिंक्ड इंसेंटिव स्कीम (Production Linked Incentive)