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भारत का पहला सूर्य मिशन आदित्य एल1 सफलतापूर्वक कक्षा में स्थापित हुआ

Utkarsh Classes Last Updated 07-02-2025
India's first Sun mission Aditya L1 successfully injected into orbit Science 4 min read

भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन, इसरो ने 6 जनवरी 2024 को देश के पहले सूर्य मिशन आदित्य L1 को पृथ्वी की कक्षा में सफलतापूर्वक स्थापित कर दिया है।। आदित्य-एल1 को सूर्य-पृथ्वी लैग्रेंज प्वाइंट 1 (एल1) के चारों ओर एक प्रभामंडल कक्षा में स्थापित किया जाएगा। 

  • आदित्य को लैग्रेंज प्वाइंट 1 के चारों ओर एक प्रभामंडल कक्षा में स्थापित करने का काम 6 जनवरी को किया जाएगा। 

आदित्य-एल1 मिशन के बारे:  

  • आदित्य-एल1, 2 सितंबर 2023 को पीएसएलवी-सी57 से लॉन्च किया गया था। 
  • आदित्य-एल1, 1.5 मिलियन किमी की दूरी से सूर्य का अध्ययन करने वाला पहला अंतरिक्ष आधारित वेधशाला श्रेणी का भारतीय सौर मिशन है। एल1 बिंदु तक पहुँचने में इसे लगभग 125 दिन लगे।
  • एस्ट्रोसैट (2015) के बाद आदित्य-एल1 भी इसरो का दूसरा खगोल विज्ञान वेधशाला-श्रेणी मिशन है।
  • यह कक्षा इसलिए भी महत्वपूर्ण है, क्योंकि यह उपग्रह को ग्रहण से बचने में सक्षम बनाती है। यहाँ पृथ्वी के चुंबकीय क्षेत्र के हस्तक्षेप के बिना लगातार सौर अवलोकन करती है।
  • आदित्य-एल1 मिशन करीब 5 वर्ष की अवधि के लिए है। 

आदित्य-एल1 मिशन का उद्देश्य:

  • इस मिशन का प्राथमिक उद्देश्य सौर वायुमंडल, विशेष रूप से क्रोमोस्फीयर और कोरोना का अध्ययन करना है। कोरोनल मास इजेक्शन (सीएमई), सौर फ्लेयर्स और सौर कोरोना की रहस्यमय हीटिंग जैसी घटनाओं में अंतर्दृष्टि प्राप्त करना है।

लैग्रेंज प्वाइंट 1 (एल1) के बारे में: 

  • एल1 अंतरिक्ष में उस स्थान को कहा जाता है, जहां सूर्य और पृथ्वी का गुरुत्वाकर्षण बल एक जैसा होता है। अर्थात लैग्रेंज पॉइंट्स अंतरिक्ष में वे विशेष स्थान हैं जहाँ सूर्य और पृथ्वी जैसे दो बड़े परिक्रमा करने वाले पिंडों की गुरुत्वाकर्षण शक्तियाँ एक-दूसरे को संतुलित करती हैं।
  • यहाँ एक अंतरिक्ष यान, अपनी कक्षा को बनाए रखने के लिए अधिक ईंधन का उपयोग किए बिना इन बिंदुओं पर रह सकती है।
  • कुल पाँच लैग्रेंज पॉइंट होते हैं, इन सभी की अलग-अलग विशेषताएँ हैं। ये बिंदु एक छोटे द्रव्यमान को दो बड़े द्रव्यमानों के मध्य स्थिर पैटर्न में परिक्रमा करने में सक्षम बनाते हैं।

आदित्य-एल1 मिशन से जुड़े पेलोड: 

  • इस मिशन में  कुल सात पेलोड लगे हैं। इसमें चार पेलोड सूर्य का स्पष्ट अवलोकन करने में सक्षम होंगे। जबकि शेष तीन पेलोड इस लैग्रेंजियन बिंदु पर कणों और क्षेत्रों का यथास्थान अध्ययन करेंगे।

चार रिमोट सेंसिंग पेलोड: 

  1. दृश्यमान उत्सर्जन रेखा कोरोनाग्राफ (वीईएलसी)
  2. सौर पराबैंगनी इमेजिंग टेलीस्कोप (SUIT)
  3. सौर निम्न ऊर्जा एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (SoLEXS)
  4. उच्च ऊर्जा L1 कक्षीय एक्स-रे स्पेक्ट्रोमीटर (HEL1OS)

तीन इन-सीटू पेलोड: 

  1. आदित्य सौर पवन कण प्रयोग (एएसपीईएक्स)
  2. आदित्य के लिए प्लाज्मा विश्लेषक पैकेज (PAPA)
  3. उन्नत त्रि-अक्षीय उच्च रिज़ॉल्यूशन डिजिटल मैग्नेटोमीटर

ये संयुक्त अवलोकन सौर गतिशीलता के पीछे के रहस्यों और अंतरग्रहीय माध्यम पर उनके प्रभावों का अध्ययन करेंगे

FAQ

Answer:- भारत का पहला सूर्य मिशन आदित्य-एल1 है।

Answer:- पीएसएलवी-सी57

Answer:- 1.5 मिलियन किमी की दूरी से सूर्य का अध्ययन करेगा।

Answer:- सात
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