भारत और नेपाल ने सीमा पार बिजली पारेषण अवसंरचना विकसित करने के लिए एक समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए हैं, जो नेपाल से बिजली की निकासी और भारत को इसकी आपूर्ति को सुविधाजनक बनाएगा।
हाल ही में केंद्रीय बिजली और आवास एवं शहरी मामलों के मंत्री मनोहर लाल खट्टर की नेपाल यात्रा के दौरान समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए गए। उन्होंने भारत द्वारा वित्तपोषित अरुण 3 जलविद्युत परियोजना का भी दौरा किया और परियोजना स्थल पर इलेक्ट्रोमैकेनिकल कार्यों का उद्घाटन किया।
पावर ग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (पावर ग्रिड) और नेपाल इलेक्ट्रिसिटी अथॉरिटी (एनईए) के बीच समझौता ज्ञापन (एमओयू) पर हस्ताक्षर किए गए।
एमओयू के तहत दो संयुक्त उद्यम कंपनियां स्थापित की जाएंगी। एक नेपाल में और एक भारत में होगी।
प्रस्तावित परियोजनाओं में:
पावर ग्रिड कॉरपोरेशन ऑफ इंडिया एक महारत्न केंद्रीय सार्वजनिक क्षेत्र उद्यम (सीपीएसई) है। इसकी स्थापना 1989 में कंपनी अधिनियम 1956 के तहत की गई थी।
यह केंद्रीय विद्युत मंत्रालय के अधीन है।
मनोहर लाल खट्टर ने नेपाल के संखुवासभा जिले में 900 मेगावाट की अरुण-3 पनबिजली परियोजना का भी दौरा किया, जिसे भारत की सहायता से विकसित किया जा रहा है।
अरुण 3 पनबिजली बिजली परियोजना नेपाल के संखुवासभा जिले में अरुण नदी पर बनाई जा रही है।
इसे सतलुज जल विद्युत निगम अरुण-III पावर डेवलपमेंट कंपनी (एसएपीडीसी) द्वारा विकसित किया जा रहा है।
एसएपीडीसी सतलुज जल विद्युत निगम लिमिटेड (एसजेवीएन) की एक सहायक कंपनी है।
एसजेवीएन भारत सरकार और हिमाचल प्रदेश सरकार का एक संयुक्त उद्यम है।
इस परियोजना से नेपाल सरकार को 29% बिजली मुफ्त मिलेगी, जबकि बाकी भारत को निर्यात की जाएगी।
वर्ष 2014 में भारत और नेपाल ने भारत-नेपाल विद्युत व्यापार समझौते पर हस्ताक्षर किए थे, जिसके तहत नेपाल को अपनी अधिशेष जलविद्युत भारत को निर्यात करनी थी।
वर्तमान में भारत नेपाल में 28 जलविद्युत परियोजनाओं से 941 मेगावाट बिजली आयात करता है।
भारत ने नेपाल के साथ अगले 10 वर्षों में 10,000 मेगावाट बिजली आयात करने के लिए एक दीर्घकालिक ऊर्जा समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं, जिसकी शुरुआत 2024 से होगी।
वर्तमान में, नेपाल से भारत में बिजली दो ट्रांसमिशन लाइनों के माध्यम से पहुंचाई जाती है;
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