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भारत दुनिया की सबसे बड़ी रेडियो टेलीस्कोप परियोजना में शामिल हुआ

Utkarsh Classes Last Updated 07-02-2025
India Joins World’s Largest Radio Telescope Project Science and Technology 4 min read

केंद्र सरकार ने स्क्वायर किलोमीटर ऐरे ऑब्ज़र्वेटरी (एसकेएओ) में शामिल होने के लिए औपचारिक रूप से हस्ताक्षर किए हैं। सरकार ने 1250 करोड़ रुपए के अंतर्राष्ट्रीय मेगा विज्ञान परियोजना, स्क्वायर किलोमीटर एरे (एसकेए) में भारत की भागीदारी के लिए मंजूरी दी है।

  • एसकेएओ, एक वर्ग किलोमीटर में विस्तृत विश्व के सबसे बड़े रेडियो टेलीस्कोप के निर्माण के लिए एक महत्वाकांक्षी बहुराष्ट्रीय पहल है।

स्क्वायर किलोमीटर ऐरे ऑब्ज़र्वेटरी (एसकेएओ) के बारे में: 

  • स्क्वायर किलोमीटर एरे ऑब्ज़र्वेटरी परिषद ने फरवरी 2021 में विश्व के सबसे बड़े अपने रेडियो टेलीस्कोप/दूरबीन की स्थापना के लिये मंज़ूरी दी। 
  • यह विश्व के सबसे बड़े रेडियो टेलीस्कोप का प्रस्ताव है, जो अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया में स्थित होगा।
  • एसकेएओ एक एकल दूरबीन नहीं है, बल्कि हजारों एंटेना की एक श्रृंखला है, जो खगोलीय घटनाओं का निरीक्षण और अध्ययन करने के लिए एक बड़ी इकाई के रूप में काम करेगी।
  • दिसंबर 2020 में प्यूर्टो रिको में स्थित विश्व की सर्वाधिक प्रचलित रेडियो दूरबीन अरेसिबो के नष्ट होने के बाद इस नए उद्यम को और भी महत्त्वपूर्ण माना जा रहा है।
  • एसकेएओ एक नया अंतर-सरकारी संगठन है जो रेडियो खगोल विज्ञान को समर्पित है, इसका मुख्यालय ब्रिटेन में है।
  • एसकेएओ एक उपकरण नहीं है बल्कि दक्षिण अफ्रीका और ऑस्ट्रेलिया में हजारों दूरबीन एंटेना का एक विशाल संग्रह है। ये एकल विशाल दूरबीन सरणी के रूप में आपस में जुड़ेंगे।
  • यह खगोलविदों को, ब्रह्मांडीय समझ को आगे बढ़ाते हुए, अत्यधिक दूरी तक खगोलीय घटनाओं की जांच करने में सक्षम बनाएगा।

एसकेएओ के सदस्य देश:

  • इनमें ऑस्ट्रेलिया, कनाडा, चीन, भारत, इटली, न्यूज़ीलैंड, दक्षिण अफ्रीका, स्वीडन, नीदरलैंड, यूके शामिल है।

भारत की पूर्व में भागीदारी और योगदान: 

  • भारतीय वैज्ञानिकों ने पुणे में नेशनल सेंटर फॉर रेडियो एस्ट्रोफिजिक्स (एनसीआरए) के माध्यम से दशकों तक एसकेएओ के विकास में भाग लिया है।
  • एनसीआरए द्वारा अंतरराष्ट्रीय समूह पर डिजाइन किया गया उन्नत 'टेलीस्कोप मैनेजर' सॉफ्टवेयर है। यह तंत्रिका नेटवर्क अवलोकनों को नियंत्रित और अनुकूलित करेगा।

भारत के लिए एसकेएओ का महत्व: 

  • एसकेएओ में शामिल होने से भारत को अति-महत्वपूर्ण तकनीक के माध्यम से ब्रह्मांड के रहस्यों को समझने में अग्रिम पंक्ति में जगह मिलती है।
  • नये शोध, आकाशगंगा के विकास, तारों, ब्लैक होल इत्यादि के बारे में भारत के ज्ञान को समृद्ध करेंगे।

एसकेएओ में वैश्विक सहयोग: 

  • मेगा-विज्ञान परियोजना, विज्ञान, इंजीनियरिंग और उद्योग के क्षेत्रों में शामिल 15 से अधिक देशों को एक साथ लाती है।
  • एसकेएओ भू-राजनीति से ऊपर उठकर वैज्ञानिक एकता का प्रतीक है।

एसकेएओ का विकास:

  • एसकेएओ का विकास ‘ऑस्ट्रेलियाई स्क्वायर किलोमीटर एरे पाथफाइंडर’ (एएसकेएपी) नामक शक्तिशाली दूरबीन द्वारा किए गए विभिन्न सर्वेक्षणों से प्राप्त परिणामों का उपयोग कर किया जाना है। 
  • एएसकेएपी, ऑस्ट्रेलिया की विज्ञान एजेंसी ‘राष्ट्रमंडल वैज्ञानिक और औद्योगिक अनुसंधान संगठन’ (सीएसआईआरओ) द्वारा विकसित और संचालित है।
  • एएसकेएपी टेलीस्कोप, फरवरी 2019 से पूरी तरह से क्रियाशील है।

एसकेएओ का महत्त्व:

इस उपकरण के पूर्णतः संचालन से वैज्ञानिकों को कई क्षेत्रों में महत्वपूर्ण जानकारी प्राप्त हो सकेगी। उदहारण के लिए- 

  • ब्रह्मांड की उत्पत्ति।
  • पहले तारे का जन्म कैसे और कब हुआ।
  • आकाशगंगा का जीवन-चक्र।
  • हमारी आकाशगंगा में तकनीकी रूप से सक्रिय अन्य सभ्यताओं का पता लगाने की संभावना तलाशना।
  • यह समझना कि गुरुत्वाकर्षण तरंगें कहाँ से आती हैं।

FAQ

Answer:- स्क्वायर किलोमीटर ऐरे ऑब्ज़र्वेटरी (एसकेएओ)

Answer:- 1250 करोड़ रुपए

Answer:- ब्रिटेन।
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