भारत को अंतर्राष्ट्रीय समुद्री नेविगेशन सहायता संगठन (आईएएलए) के उपाध्यक्ष पद के लिए चुना गया है। 18-21 फरवरी 2025 को सिंगापुर में आयोजित अंतर्राष्ट्रीय समुद्री नेविगेशन सहायता संगठन (आईएएलए) की पहली आम सभा में भारत को इस पद के लिए चुना गया था।
22 अगस्त 2024 को एक अंतर सरकारी संगठन बनने के बाद से यह आईएएलए की पहली महासभा थी। आईएएलए की स्थापना 1957 में एक गैर सरकारी संगठन (एनजीओ) के रूप में स्थापित किया गया था।
अंतर-सरकारी संगठन बनने के बाद संगठन का नाम बदलकर नेविगेशन में समुद्री सहायता के लिए अंतर्राष्ट्रीय संगठन कर दिया गया है।
सिंगापुर के बैठक में भारतीय प्रतिनिधिमंडल का नेतृत्व बंदरगाह, जहाजरानी और जलमार्ग मंत्रालय के सचिव के.रामचंद्रन ने किया।
बैठक में 65 देशों के लगभग 400 प्रतिनिधियों ने भाग लिया, जिनमें वरिष्ठ सरकारी अधिकारी और उद्योग संघों और कंपनियों के समुद्री नेता शामिल थे।
महासभा की बैठक ने हितधारक को नौ परिवहन में सहायता, पोत यातायात सेवाओं, उभरती प्रौद्योगिकियों और समुद्री स्वायत्त सतह जहाजों के उपयोग जैसे उभरते क्षेत्रों में शासन से संबंधित मुद्दों पर चर्चा करने के लिए एक मंच प्रदान किया।
समुद्री स्वायत्त सतह जहाजों का मतलब उन वाणिज्यिक जहाजों से है जो रिमोट कंट्रोल के जरिए संचालित होते हैं। जहाज को चलाने के लिए जहाज पर कोई मानव दल नहीं होता है।
महासभा ने 2025 से 2027 की अवधि के लिए आईएएलए परिषद के सदस्यों को भी चुना।
परिषद ,आईएएलए की सर्वोच्च निर्णय लेने वाली संस्था है जिसमें 21 निर्वाचित सदस्य और तीन गैर-निर्वाचित पार्षद होते हैं।
आईएएलए की स्थापना 1957 में लाइटहाउस अधिकारियों के एक संघ के रूप में की गई थी।
आईएएलए का मुख्य उद्देश्य सदस्य लाइटहाउस अधिकारियों और इस उद्योग से जुड़े कंपनियों को समुद्री नौ परिवहन में सहायता प्रदान करने वाले क्षेत्र में हुए तकनीकी विकास पर विचारों का आदान-प्रदान करने और नौ परिवहन को सुरक्षित बनाने के लिए एक मंच प्रदान करना था।
अब, यह एक वैश्विक निकाय है जो नौ परिवहन, पोत यातायात सेवाओं और ई-नौ परिवहन के लिए समुद्री सहायता पर मानक, सिफारिशें और दिशानिर्देश विकसित करता है।
मुख्यालय: पेरिस, फ्रांस
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