हाल ही में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मंडी व पलक्कड़ के शोधकर्ताओं ने डूबने का पता लगाने वाला रोबोट विकसित किया है। यह शोध पानी के भीतर काम कर सकने वाले रोबोट के प्रोटोटाइप के विकास और जांच संबंधित उपयोग में इसके प्रदर्शन को आंकने पर केंद्रित है।
इसकी आवश्यकता क्यों?
- वर्तमान में समुद्र और बांधों के तल की जांच, निगरानी और खोज अभियानों को मौजूदा मशीनों के जरिये अंजाम देना मुश्किल होता है। इन महंगे खोज अभियानों में शामिल गोताखोरों की जान को भी कई खतरे होते हैं। इसी के समाधान निकालने के लिए प्रतिष्ठित भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) मंडी व पलक्कड़ के अध्ययनकर्ताओं ने समुद्री रोबोट तैयार किया है।
- इस सन्दर्भ में आईआईटी मंडी में एआई व रोबोटिक्स सेंटर के सहायक आचार्य व अध्ययनकर्ता जगदीश कादियाम ने महत्वपूर्ण जानकारी दी है। उनका शोध पानी के भीतर काम कर सकने वाले रोबोट के प्रोटोटाइप के विकास और जांच व खोज संबंधित उपयोग में इसके प्रदर्शन को आंकने पर केंद्रित था।
- इस रोबोट को समुद्र और पृथ्वी पर मौजूद जलाशयों व बांधों में भी काम करने के लिए बनाया गया है।
रोबोट ने कई स्तर पर अपनी योग्यता साबित की:
- इसके कई प्रयोग व सिम्युलेशन (कंप्यूटर पर जांच) में इसने अपनी योग्यता साबित की। विभिन्न हालात में रोबोट के प्रदर्शन के परीक्षणों में उन विशिष्ट उपकरणों व उनके समन्वय को समझने में मदद मिली, जो किसी खास मिशन के लिए जरूरी होंगे।
रोबोट से होने वाले लाभ:
- रोबोट्स समुद्र, जलाशयों व बांधों के भीतर भेजे जा सकेंगे। अभियानों की लागत कम करेंगे, ज्यादा प्रभावशाली साबित होंगे और खतरे घटाएंगे। पनबिजली परियोजनाओं की निगरानी, जांच, राहत अभियानों में हो सकता है।
रोबोट के तैयार करने में आने वाली चुनौतियां:
पलक्कड़ के अध्ययनकर्ता शांताकुमार के अनुसार समुद्री अभियानों के लिए रोबोट्स विकसित करना चुनौतीपूर्ण है। इन प्रमुख चुनौतियों को निम्नलिखित बिन्दुओं में देखा जा सकता है:
- उन तत्वों का चुनाव करना जिनमें आसानी से जंग न लगे,
- उपकरणों को वाटरप्रूफ बनाना,
- समुद्र की गहराई में पानी का अत्याधिक दबाव सहने योग्य ढांचा तैयार करना।
भविष्य में समुद्री रोबोट्स पर बढ़ती निर्भरता:
- नई तकनीकों के आने से निकट भविष्य में समुद्री रोबोट्स पर हमारी निर्भरता बढ़ती जाएगी।
- दूसरी ओर दुनिया भर में कई बड़े बांध पुराने हो रहे हैं, इनकी निरंतर निगरानी जरूरी है।
- इनकी मजबूती जांचने के लिए पारंपरिक के बजाय आधुनिक तरीके अपनाने होंगे।
भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) के बारे में:
- भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान इंजीनियरिंग शिक्षा और अनुसंधान के लिए शीर्ष संस्थान हैं। वर्तमान में, तेईस भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (आईआईटी) हैं।
- सभी प्रौद्योगिकी संस्थान अधिनियम, 1961 द्वारा शासित हैं। जिससे इन्हें "राष्ट्रीय महत्व के संस्थान" के रूप में घोषित किया गया है। यह अधिनियम उनकी शक्तियों, कर्तव्यों, शासन के लिए रूपरेखा आदि निर्धारित करता है। आईआईटी के मुख्य उद्देश्यों में प्रमुखतः शामिल हैं:
- इंजीनियरिंग और प्रौद्योगिकी में विश्व स्तर की शिक्षा प्रदान करना।
- प्रासंगिक क्षेत्रों में अनुसंधान करना।
- अधिगम और ज्ञान के प्रसार को आगे बढ़ाना।
- ये संस्थान बुनियादी विज्ञान और मानविकी में शिक्षा और अनुसंधान में भी महत्वपूर्ण योगदान दे रहे हैं।