केंद्र सरकार ने सरकार से संबंधित मामलों में अदालत के समक्ष सरकारी अधिकारियों की उपस्थिति के लिए एक मानक संचालन प्रक्रिया (एसओपी) तैयार की है।
मानक संचालन प्रक्रिया सर्वोच्च न्यायालय, उच्च न्यायालयों और अन्य सभी अदालतों में अदालत की अवमानना सहित , सरकार से संबंधित मामलों की सभी अदालती कार्यवाही पर लागू होगी ।
केंद्र सरकार ऐसे समय में एक एसओपी लेकर आई है जब उच्च न्यायालय और सर्वोच्च न्यायालय दोनों अपने आदेशों का पालन न करने या किसी मामले से संबंधित विवरण जानने के लिए सरकारी अधिकारियों को तलब कर रहे हैं।
हाल ही में सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर के पुलिस महानिदेशक को यह जानने के लिए तलब किया कि राज्य में हिंसा को कम करने के लिए क्या किया गया है। कलकत्ता उच्च न्यायालय ने एक आदेश का अनुपालन न करने पर अंडमान और निकोबार द्वीप समूह के मुख्य सचिव को निलंबित कर दिया था।
मानक संचालन प्रक्रिया के मुख्य बिंदु
जब किसी सरकारी अधिकारी को अदालत द्वारा तलब किया जाता है तो मानक संचालन प्रक्रिया कार्रवाई के पांच सुझाए गए बिंदु बताती है।
किसी सरकारी अधिकारी को केवल असाधारण मामलों में ही अदालत में बुलाया जाना चाहिए, सामान्य मामले के रूप में नहीं। अदालत को सरकारी अधिकारियों को तलब करते समय आवश्यक संयम बरतना चाहिए।
सरकारी अधिकारी को अदालत में पेश होने से पहले अग्रिम सूचना और पर्याप्त समय दिया जाना चाहिए।
अदालतों को अधिकारियों को वर्चुअल सुनवाई लिंक के माध्यम से उपस्थित होने का विकल्प देना चाहिए। ऐसे लिंक कम से कम एक दिन पहले अधिकारी को भेजे जाने चाहिए।
ऐसे मामलों में जहां सरकार प्रतिस्पर्धी पार्टी नहीं है, किसी सरकारी अधिकारी को बुलाने से अदालतों को बचना चाहिए।
अदालत के समक्ष पेश होने वाले सरकारी अधिकारी की पोशाक/शारीरिक बनावट/शैक्षिक और सामाजिक पृष्ठभूमि पर टिप्पणी करने से अदालतों को बचना चाहिए।
एसओपी/ SOP: स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग प्रोसीजर (Standard Operating Procedure)