भारत में अब तक आयोजित अपनी तरह का अनूठा वैश्विक आध्यात्मिकता सम्मेलन 17 मार्च 2024 को हैदराबाद, तेलंगाना में समपान हुआ। 14-17 मार्च 2024 तक आयोजित चार दिवसीय सम्मेलन में हैदराबाद में स्थित दुनिया के सबसे बड़े ध्यान केंद्र, कान्हा शांति वनम में सभी धर्मों के आध्यात्मिक नेताओं ने हिस्सा लिया । इस कार्यक्रम में भारत की राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू भी शामिल हुई तथा उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ ने समापन सत्र को संबोधित किया।
सम्मेलन में देश और दुनिया भर से 300 से अधिक आध्यात्मिक गुरुओं ने भाग लिया। उन्होंने धर्म, आध्यात्मिकता और यह कैसे मानव जाति की मदद करता है, से संबंधित विभिन्न विषयों पर चर्चा की।
केंद्रीय संस्कृति मंत्रालय ने हार्टफुलनेस इंस्टीट्यूट और आर्ट ऑफ लिविंग फाउंडेशन, रामकृष्ण मिशन, माता अमृतानंदमयी मठ, परमार्थ निकेतन, हैदराबाद के आर्कबिशप और अन्य संगठनों की मदद से वैश्विक आध्यात्मिकता सम्मेलन का आयोजन किया।
वैश्विक आध्यात्मिकता सम्मेलन का विषय 'आंतरिक शांति से विश्व शांति' था।
विषय सम्मेलन के उद्देश्य: हमारे वैश्विक अस्तित्व के लिए एक नया प्रक्षेप पथ बनाते हुए चेतना के विकास ,सामाजिक सद्भाव और सतत विकास पर इसके प्रभाव का पता लगाना, पर प्रकाश डालता है।
इस अवसर पर बोलते हुए, केंद्रीय संस्कृति मंत्री जी किशन रेड्डी ने कहा कि सम्मेलन सभी वर्गों, जातियों और धर्मों के बीच एकजुटता के साथ देश की 'वसुधैव कुटुंबकम' विचारधारा को जारी रखने की शृंखला में एक कदम है।
कान्हा शांति वनम गैर-लाभकारी संगठन हार्टफुलनेस इंस्टीट्यूट का मुख्यालय है। कान्हा शांति वनम दुनिया का सबसे बड़ा ध्यान केंद्र भी है।
2019 में, केंद्र को विश्व स्तरीय पर्यावरण अनुकूल प्रथाओं का पालन करने के लिए भारतीय ग्रीन बिल्डिंग काउंसिल से प्लैटिनम पुरस्कार मिला। ऐसी मान्यता प्राप्त करने वाला यह दुनिया का पहला ध्यान केंद्र है।
हार्टफुलनेस इंस्टीट्यूट की स्थापना 1945 में शाहजहाँपुर के राम चंद्र, जिन्हें बाबूजी के नाम से भी जाना जाता है, द्वारा एक गैर-लाभकारी संगठन के रूप में की गई थी। संस्थान ने योगिक परंपरा पर आधारित ध्यान तकनीकों की एक सार्वभौमिक शृंखला विकसित की है जो आधुनिक दिन के जीवन की आवश्यकताओं के अनुकूल है।