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फिल्म उद्योग को पायरेसी से सालाना 20,000 करोड़ रुपये का नुकसान

Utkarsh Classes Last Updated 07-02-2025
Film Industry Suffers A Yearly Loss Of Rs 20,000 Crore Due To Piracy Bill and Act 5 min read

पायरेसी के कारण फिल्म उद्योग को प्रतिवर्ष लगभग 20,000 करोड़ रुपये के नुकसान होने के कारण सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय ने पायरेसी रोकने के लिए कई कड़े कदम उठाए हैं।

पायरेसी को रोकने हेतु सरकार द्वारा उठाए जा रहे प्रमुख कदम:  

  • इस वर्ष मानसून सत्र के दौरान संसद द्वारा सिनेमैटोग्राफ (संशोधन) कानून, 1952 में संशोधन पारित किया है।  
  • इसके साथ ही सूचना और प्रसारण मंत्रालय ने पायरेसी के विरुद्ध शिकायतें प्राप्त करने और बिचौलियों को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर पायरेटेड सामग्री को हटाने का निर्देश देने के लिए नोडल अधिकारियों का एक संस्थागत तंत्र भी स्थापित किया है।
  • इस कानून के तहत नोडल अधिकारी से निर्देश प्राप्त करने के बाद, डिजिटल प्लेटफॉर्म 48 घंटे की अवधि के भीतर पायरेटेड सामग्री देने वाले ऐसे इंटरनेट लिंक को हटाने के लिए बाध्य होगा।

पायरेसी को रोकने हेतु क्या है क़ानूनी प्रावधान: 

  • कॉपीराइट कानून और आईपीसी के तहत अभी तक कानूनी कार्रवाई को छोड़कर, पायरेटेड फिल्मी सामग्री पर सीधे कार्रवाई करने के लिए कोई संस्थागत तंत्र मौजूद नहीं है।
  • विधेयक के बारे में संसद में केंद्रीय मंत्री अनुराग ठाकुर ने कहा कि इस कानून का उद्देश्य फिल्म पायरेसी पर अंकुश लगाने की फिल्म उद्योग की लंबे समय से चली आ रही माँग को पूरा करना है। 
  • इस कानून में 40 वर्ष बाद संशोधन किया गया, ताकि 1984 में अंतिम महत्वपूर्ण संशोधन किए जाने के बाद डिजिटल पायरेसी सहित फिल्म पायरेसी के विरुद्ध प्रावधानों को इसमें शामिल किया जा सके। 

कानून में सजा का प्रावधान: 

  • संशोधन वर्णित आपराधिक गतिविधियों में संलिप्तता की स्थिति में न्यूनतम 3 महीने की कैद और 3 लाख तक रुपये के जुर्माने की कठोर सजा का प्रावधान शामिल है,
  • सजा को अतिरिक्त 3 साल तक बढ़ाया जा सकता है और ऑडिटेड सकल उत्पादन लागत का 5 प्रतिशत तक जुर्माना लगाया जा सकता है।

पायरेसी के विरुद्ध कौन आवेदन कर सकता है? 

  • मूल कॉपीराइट धारक या इस उद्देश्य के लिए उनके द्वारा अधिकृत कोई भी व्यक्ति पायरेटेड सामग्री को हटाने के लिए नोडल अधिकारी को आवेदन कर सकता है। 
  • यदि कोई शिकायत किसी ऐसे व्यक्ति द्वारा की जाती है जिसके पास कॉपीराइट अधिकार नहीं है या कॉपीराइट धारक द्वारा अधिकृत नहीं है, तो नोडल अधिकारी निर्देश जारी करने से पहले शिकायत की वास्तविकता तय करने के लिए मामले दर मामले के आधार पर सुनवाई कर सकता है।

सिनेमैटोग्राफ (संशोधन) कानून, 2023 (2023 का 12): 

  • संसद द्वारा मानसून सत्र में पारित सिनेमैटोग्राफ (संशोधन) कानून, 2023 (2023 का 12) ने फिल्म प्रमाणन से संबंधित मुद्दों का समाधान किया, जिसमें फिल्मों की अनधिकृत रिकॉर्डिंग और फिल्म प्रदर्शन और इंटरनेट पर अनधिकृत प्रतियों के प्रसारण द्वारा फिल्म पायरेसी का मुद्दा शामिल है। 
  • यह कानून पायरेसी के लिए जिम्मेदार व्यक्ति के लिए कठोर दंड का प्रावधान करता है। 
  • यह संशोधन मौजूदा कानूनों (कॉपीराइट कानून, 1957 और सूचना प्रौद्योगिकी कानून (आईटी) 2000) के अनुरूप हैं जो फिल्म पायरेसी के मुद्दों का समाधान प्रस्तुत करते हैं।

सिनेमैटोग्राफ कानून, 1952 के मुख्य प्रावधान: 

  • सिनेमैटोग्राफ कानून, 1952 की नई सम्मिलित धारा 6AB में प्रावधान है कि कोई भी व्यक्ति किसी प्रदर्शनी स्थल पर निजी लाभ के लिए जनता के सामने प्रदर्शित करने के लिए किसी भी फिल्म के कॉपीराइट का उल्लंघन करने वाली प्रति का उपयोग नहीं करेगा 
  • या उसके लिए किसी भी अन्य व्यक्ति को नहीं उकसाएगा, जिसे इस कानून या उसके अंतर्गत बनाए गए नियम के तहत लाइसेंस/प्रमाणन नहीं प्राप्त है; 
  • या इस तरह से जो कॉपीराइट कानून, 1957 या उस समय लागू किसी अन्य कानून के प्रावधानों के तहत कॉपीराइट का उल्लंघन है। 
  • इसके अलावा, सिनेमैटोग्राफ कानून में नई सम्मिलित धारा 7(1B)(ii) में प्रावधान है कि सरकार धारा के उल्लंघन में किसी मध्यस्थ मंच पर प्रदर्शित/होस्ट की गई ऐसी उल्लंघनकारी प्रति तक पहुँच को हटाने/निष्क्रिय करने के लिए उचित कार्रवाई कर सकती है। 

FAQ

Answer:- 20,000 करोड़ रुपये

Answer:- संसद द्वारा सिनेमैटोग्राफ (संशोधन) कानून, 1952 में संशोधन पारित किया है।

Answer:- इस कानून में 40 वर्ष बाद संशोधन किया गया, ताकि 1984 में अंतिम महत्वपूर्ण संशोधन किए जाने के बाद डिजिटल पायरेसी सहित फिल्म पायरेसी के विरुद्ध प्रावधानों को इसमें शामिल किया जा सके।

Answer:- संशोधन में न्यूनतम 3 महीने की कैद और 3 लाख तक रुपये के जुर्माने की कठोर सजा शामिल है।

Answer:- इसके तहत अधिकतम सजा को 3 साल की सजा का प्रावधान है और ऑडिटेड सकल उत्पादन लागत का 5 प्रतिशत तक जुर्माना लगाया जा सकता है।
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