मिंट अखबार में प्रकाशित एक रिपोर्ट के अनुसार, भारत सरकार किसानों से सीधे 400,000 टन तुअर दाल और 200,000 टन मसूर दाल, न्यूनतम सुनिश्चित खरीद मूल्य (एमएपीपी) या गतिशील बफर खरीद मूल्य (डीबीपीपी) पर, जो भी अधिक हो ,पर खरीदने की योजना बना रही है।
एमएपीपी किसी जिले के पिछले तीन कारोबारी दिनों का भारित औसत मूल्य है। डीबीपीपी (i) खरीद के दिन (ii) तीन पिछले दिन, और (iii) तीन बाद के व्यापारिक दिनों का भारित औसत मूल्य है।
जनवरी 2024 में, अमित शाह की अध्यक्षता में केंद्रीय सहकारिता मंत्रालय ने एक बहुभाषी पोर्टल लॉन्च किया था , जहां पंजीकृत किसान सीधे सरकार को अपनी तुअर और मसूर दाल बेच सकते हैं। भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन महासंघ (नाफेड ) और भारतीय राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता महासंघ लिमिटेड (एनसीसीएफ़) इस उद्देश्य के लिए खरीद एजेंसियां हैं।
रिपोर्ट के मुताबिक, दोनों एजेंसियों ने अब तक करीब 8,000 टन तुअर की खरीद कर ली है जबकि मसूर की खरीद मार्च में शुरू की जाएगी।
भारतीय राष्ट्रीय कृषि सहकारी विपणन महासंघ लिमिटेड (नाफेड) की स्थापना 2 अक्टूबर 1958 को हुई थी।
यह केंद्रीय कृषि एवं किसान कल्याण मंत्रालय के अंतर्गत आता है।
नाफेड को बहु-राज्य सहकारी सोसायटी अधिनियम 2002 के तहत पंजीकृत किया गया है।
कृषि उपज के सहकारी विपणन को बढ़ावा देकर किसानों को लाभ पहुंचाने के लिए नाफेड की स्थापना की गई थी। किसान नाफेड के मुख्य सदस्य हैं ।
मुख्यालय: नई दिल्ली
अध्यक्ष: डॉ. बिजेंद्र सिंह
भारतीय राष्ट्रीय सहकारी उपभोक्ता संघ लिमिटेड (एनसीसीएफ) की स्थापना 16 अक्टूबर 1965 को हुई थी।
यह देश में उपभोक्ता सहकारी समितियों का शीर्ष निकाय है और बहु-राज्य सहकारी सोसायटी अधिनियम 2002 के तहत पंजीकृत है।
यह केंद्रीय उपभोक्ता मामले, खाद्य और सार्वजनिक वितरण मंत्रालय के अंतर्गत आता है।
यह देश के विभिन्न हिस्सों में 24 शाखा कार्यालयों के नेटवर्क के माध्यम से संचालित होता है।
मुख्यालय: नई दिल्ली.
अध्यक्ष: विशाल सिंह
परीक्षा के लिए महत्वपूर्ण फुल फॉर्म
नेफेड/NAFED: नेशनल एग्रिकल्चरल कोऑपरेटिव मार्केटिंग फ़ैडरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (National Agricultural Cooperative Marketing Federation of India ltd.)
एनसीसीएफ/NCCF: नेशनल कोऑपरेटिव कंज्यूमर फ़ैडरेशन ऑफ इंडिया लिमिटेड (National Cooperative Consumers Federation of India limited)