केंद्रीय मंत्रिमंडल ने 29 नवंबर 2023 को सोलहवें वित्त आयोग के लिए संदर्भ-शर्तों को मंजूरी दे दी है। हालाँकि सोलहवें वित्त आयोग के चेयरमैन व अन्य सदस्यों के सन्दर्भ में कोई निर्णय नहीं लिया गया है। 16वें वित्त आयोग की अवधि (1 अप्रैल, 2026 से 31 मार्च 2031) पाँच वर्षों की होंगी।
सोलहवें वित्त आयोग के लिए संदर्भ-शर्तें:
- संदर्भ-शर्त (टीओआर) एक परियोजना, समिति, बैठक, वार्ता, या किसी साझा लक्ष्य को पूरा करने के लिए मिलकर कार्य करने के लिए सहमत लोगों के किसी भी समान संग्रह के उद्देश्य और संरचनाओं को परिभाषित करती हैं।
- वित्त आयोग निम्नलिखित मामलों पर सिफारिशें करेगा, अर्थात:
- संघ और राज्यों के बीच करों की शुद्ध आय का वितरण, जो संविधान के अध्याय-I, भाग-XII के तहत उनके बीच विभाजित किया जाना है, या किया जा सकता है और ऐसी आय के संबंधित हिस्सेदारी का राज्यों के बीच आवंटन;
- वे सिद्धांत जो संविधान के अनुच्छेद 275 के तहत भारत की संचित निधि से राज्यों के राजस्व के सहायता अनुदान और उनके राजस्व के सहायता अनुदान के माध्यम से राज्यों को भुगतान की जाने वाली राशि को नियंत्रित करते हैं। और
- राज्य के वित्त आयोग द्वारा की गई सिफारिशों के आधार पर राज्य में पंचायतों और नगर पालिकाओं के संसाधनों के पूरक उपाय के लिए राज्य की समेकित निधि को बढ़ाने के लिए आवश्यक उपाय।
- आयोग आपदा प्रबंधन अधिनियम, 2005 (2005 का 53) के तहत गठित निधियों के संदर्भ में, आपदा प्रबंधन पहल के वित्त पोषण पर वर्तमान व्यवस्था की समीक्षा कर सकता है और उस पर उचित सिफारिशें कर सकता है।
सोलहवां वित्त आयोग अक्टूबर 2025 तक रिपोर्ट देगा:
- वित्त आयोग को अपनी सिफ़ारिशें देने में आम तौर पर लगभग दो वर्ष लगते हैं। सोलहवां वित्त आयोग 31 अक्टूबर, 2025 तक अपनी रिपोर्ट सौंपेगा और उनकी सिफारिशों पर अगले पांच साल के लिए यानी कि एक 1 अप्रैल, 2026 से 31 मार्च, 2031 तक अमल किया जाएगा।
वित्त आयोग:
- वित्त आयोग पाँच वर्ष की अवधि के लिए संघ और राज्यों के साथ-साथ राज्य-राज्य के बीच वित्तीय संसाधनों के वितरण के तरीक़े के संबंध में अनुशंसाएँ करते हैं।
- वित्त आयोग सार्वजनिक वित्त, शासन और विकास से संबंधित कई विषयों पर मार्गदर्शन एवं सलाह भी प्रदान करते हैं; उदाहरण के लिए राजकोषीय समेकन, ऋण प्रबंधन, स्थानीय निकाय, आपदा राहत, स्वास्थ्य, शिक्षा, न्याय वितरण, सांख्यिकीय प्रणाली आदि विषयों को वित्त आयोग सफलता से हल करता है।
- वित्त आयोग ने केंद्र और राज्य सरकारों की राजकोषीय स्वायत्तता, समानता एवं दक्षता को बढ़ाने के साथ ही देश में सहकारी एवं प्रतिस्पर्द्धी संघवाद को बढ़ावा देने में महत्त्वपूर्ण योगदान दिया है।
भारतीय संविधान में वित्त आयोग:
- वित्त आयोग को भारतीय संविधान में अनुच्छेद 280 के अंतर्गत प्रति पाँच वर्ष पर गठित किये जाने वाले संवैधानिक निकाय के रूप में वर्णित है जो संघ और राज्यों के बीच वित्तीय संसाधनों के वितरण पर अनुशंसाएँ प्रस्तुत करते हैं।
पंद्रहवें वित्त आयोग का गठन:
- पंद्रहवें वित्त आयोग का गठन 27 नवंबर, 2017 को किया गया था। इसने अपनी अंतरिम और अंतिम रिपोर्ट के माध्यम से एक अप्रैल, 2020 से शुरू होने वाली छह वर्षों की अवधि से संबंधित सिफारिशें कीं।
- पंद्रहवें वित्त आयोग की सिफारिशें वित्तीय वर्ष 2025-26 तक मान्य हैं।
- पंद्रहवें वित्त आयोग के चेयरमैन एन. के. सिंह हैं।
16वें वित्त आयोग की पृष्ठभूमि:
- संविधान के अनुच्छेद 280 के खंड (1) के अनुसार, वित्त आयोग का गठन हर पांचवें वर्ष या उससे पहले किया जाना है।
- चूंकि 15वें वित्त आयोग की सिफारिशें 31 मार्च 2026 तक छह साल की अवधि के बारे में हैं, इसलिए 16वें वित्त आयोग का गठन अब प्रस्तावित है।
- इससे वित्त आयोग अपनी सिफारिशों की अवधि से तुरंत पहले की अवधि के लिए संघ और राज्यों के वित्त पर विचार और मूल्यांकन करने में सक्षम हो जाएगा।
- 16वें वित्त आयोग के एडवांस सेल का गठन 21 नवंबर 2022 को वित्त मंत्रालय में किया गया था, ताकि आयोग के औपचारिक गठन तक प्रारंभिक कार्य की निगरानी की जा सके।