भारत सरकार की बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना ने 22 जनवरी 2025 को अपनी 10वीं वर्षगांठ पूरी की। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 22 जनवरी 2025 को हरियाणा के पानीपत में इस योजना की शुरुआत की थी। उस समय इस योजना का मुख्य उद्देश्य देश में जन्म के समय लिंग अनुपात में सुधार करना, कन्या भ्रूण हत्या को रोकना और बालिकाओं के अस्तित्व, सुरक्षा और शिक्षा को सुनिश्चित करना था।
जन्म के समय लिंग अनुपात प्रति 1000 जन्म लेने वाले लड़के पर जन्म लेने वाली लड़कियों की संख्या को दर्शाता है।
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना की 10वीं वर्षगांठ के अवसर पर, भारत सरकार भारत में बालिकाओं की शिक्षा, सुरक्षा और सशक्तिकरण पर ध्यान केंद्रित करते हुए देश भर में कई कार्यक्रमों का आयोजन करेगी। यह कार्यक्रम 22 जनवरी से 8 मार्च 2025 तक जारी रहेगा। 8 मार्च अंतर्राष्ट्रीय महिला दिवस है।
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना के लिए कार्यान्वयन मंत्रालय
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना के लिए केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय नोडल मंत्रालय है जो भारत सरकार के अन्य मंत्रालयों के सहयोग से इस योजना को लागू करता है।
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ अब मिशन शक्ति योजना का हिस्सा
भारत सरकार ने बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना के उद्देश्यों का विस्तार किया है और इसे 15वें वित्त आयोग की अवधि 2021-2022 से 2025-2026 के लिए केंद्रीय महिला एवं बाल विकास मंत्रालय के मिशन शक्ति का हिस्सा बनाया है।
- मिशन शक्ति महिलाओं की सुरक्षा और सशक्तिकरण के लिए सरकार का एक व्यापक कार्यक्रम है। मिशन शक्ति के दो उप-घटक हैं- संबल जो महिलाओं की सुरक्षा और संरक्षा पर केंद्रित है और सामर्थ्य जो महिला सशक्तिकरण पर केंद्रित है।
- बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ मिशन शक्ति के संबल उप-घटक का हिस्सा है।
- बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना अब एक बहु-क्षेत्रीय दृष्टिकोण पर ज़ोर देती है जिसमें शिक्षा, बाल विकास, स्वास्थ्य और सामुदायिक जागरूकता जैसे महत्वपूर्ण घटक शामिल है।
- अभी भी केंद्रीय महिला और बाल विकास मंत्रालय इस योजना के कार्यान्वयन के लिए नोडल मंत्रालय है। हालाँकि इसे केंद्र सरकार के चार अन्य अन्य मंत्रालयों- शिक्षा, अल्पसंख्यक मामले, स्वास्थ्य और परिवार कल्याण और कौशल विकास और उद्यमिता के सहयोग से लागू किया जा रहा है।
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना का लक्ष्य
भारत सरकार ने बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना के लिए निम्नलिखित लक्ष्य निर्धारित किए हैं।
- जन्म के समय लिंगानुपात में हर साल दो अंकों का सुधार करना।
- संस्थागत प्रसव को 95% या उससे अधिक तक सुधारना या बनाए रखना।
- प्रति वर्ष प्रथम तिमाही में प्रसवपूर्व देखभाल पंजीकरण में 1% की वृद्धि का लक्ष्य।
- माध्यमिक शिक्षा स्तर पर नामांकन में 1% की वृद्धि और लड़कियों/महिलाओं के कौशल विकास का लक्ष्य।
- माध्यमिक एवं उच्चतर माध्यमिक स्तर पर लड़कियों की पढ़ाई बीच में छोड़ने की दर को कम करना।
- सुरक्षित मासिक धर्म स्वच्छता प्रबंधन के बारे में जागरूकता बढ़ाना।
योजना की वित्तीय संरचना
बेटी बचाओ बेटी पढ़ाओ योजना एक केंद्र प्रायोजित योजना है, जिसमें केंद्र सरकार योजना का सारा खर्च वहन करती है।
ज़िला के लिए आवंटन
- जिस जिले में जन्म के समय लिंगानुपात 918 या उससे कम है, उसके लिए प्रति वर्ष 40 लाख रुपये।
- जिस जिले में जन्म के समय लिंगानुपात 919-952 के बीच है, उसके लिए प्रति वर्ष 30 लाख रुपये।
- जिस जिले में जन्म के समय लिंगानुपात 952 से अधिक है, उसके लिए प्रति वर्ष 20 लाख रुपये।
योजना की उपलब्धियाँ
- जन्म के समय राष्ट्रीय लिंग अनुपात में सुधार, 2014-15 में 918 से बढ़कर 2023-24 में 930 हो गया।
- लड़कियों का सकल नामांकन अनुपात 2014-15 में 75.51% से बढ़कर 2023-24 में 78% हो गया।
- संस्थागत प्रसव 2014-15 में 61% से बढ़कर 2023-24 तक 97.3% से अधिक हो गया।