त्रिपुरा सरकार के उद्योग और वाणिज्य मंत्री सनातन चकमा के अनुसार, बांग्लादेशी सरकार ने बांग्लादेश के माध्यम से त्रिपुरा और अन्य उत्तर-पूर्वी राज्यों में माल के परिवहन के लिए चार पारगमन मार्गों को मंजूरी दी है।
बांग्लादेशी सरकार ने निम्नलिखित चार पारगमन मार्गों को मंजूरी दे दी है:
चटगांव बंदरगाह-अखौरा-अगरतला,
मोंगला पोर्ट-अखौरा-अगरतला,
चटगांव-बीबीर बाजार-श्रीमंतपुर, और
मोंगला पोर्ट-बिबीर बाजार-श्रीमंतपुर
चटगांव या चट्टोग्राम बंदरगाह से अगरतला और मोंगला बंदरगाह से अगरतला त्रिपुरा राज्य से होते हुए गुजरेगा।
चटगांव-श्रीमंतपुर और मोंगला बंदरगाह से श्रीमंतपुर पश्चिम बंगाल से होकर जाएगा।
भारत को अब बांग्लादेश में चट्टोग्राम (चटगांव) और मोंगला बंदरगाहों तक पहुंच मिल गई है। यह भूमि से घिरे(लैंड लॉक्ड) उत्तर-पूर्वी राज्यों की बंगाल की खाड़ी तक पहुंच के मार्ग खोलेगा। इससे माल की आवाजाही की दूरी और लागत में काफी कमी आएगी और साथ ही क्षेत्र के आर्थिक विकास को बढ़ावा मिलेगा।
इस कदम का महत्व-
भारत के 8 उत्तर-पूर्वी राज्य, असम, सिक्किम, मेघालय, मिजोरम, मणिपुर, नागालैंड, अरुणाचल प्रदेश और त्रिपुरा देश के सबसे कम विकसित क्षेत्रों में से एक हैं।
इसके अल्प विकास का एक मुख्य कारण देश के बाकी हिस्सों और पूर्वोत्तर क्षेत्र के बीच परिवहन और जुड़ाव का कम होना है। परिवहन की समस्या के कारण वस्तुओं और सेवाओं के पहुंच में भी बाधा उत्पन्न होती है इसी वजह से वहाँ आर्थिक गतिविधि कम होती है जो कि विकास के पिछड़े होने का मुख्य कारण है।
पूर्वोत्तर क्षेत्र देश के बाकी हिस्सों से एक संकरी सड़क और रेल मार्ग के माध्यम से जुड़ा हुआ है जिसे लोकप्रिय रूप से सिलीगुड़ी कॉरिडोर या चिकन नेक कहा जाता है।
पश्चिम बंगाल के दार्जिलिंग क्षेत्र से गुजरने वाला सिलीगुड़ी गलियारा मात्र 20-22 किमी चौड़ा है।
इसलिए अगर त्रिपुरा से माल पश्चिम बंगाल के कोलकाता बंदरगाह तक पहुंचना है तो उसे सिलीगुड़ी कॉरिडोर से गुजरते हुए कम से कम 1600 किमी की यात्रा करनी होगी। इसके अलावा, इसकी संकीर्ण चौड़ाई के कारण सिलीगुड़ी कॉरिडोर पर अक्सर यातायात की भीड़ होती है जिससे माल के परिवहन में देरी होती है।
समस्या का समाधान
क्षेत्र के आठ राज्यों में से, असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम बांग्लादेश के साथ 1,879 किलोमीटर लंबी सीमा साझा करते हैं।
बांग्लादेश भौगोलिक दृष्टि से इन राज्यों के करीब है। इसलिए यदि भारत से माल बांग्लादेश के माध्यम से इन उत्तर पूर्वी राज्यों में भेजा जाता है तो यह सिलीगुड़ी कॉरिडोर का उपयोग करने की तुलना में अधिक लागत प्रभावी होगा।
उदाहरण के तौर पर अगर कोलकाता बंदरगाह से बांग्लादेशी बंदरगाह के जरिए त्रिपुरा तक माल भेजा जाए तो दूरी घटकर महज 450 किलोमीटर रह जाएगी। जो कि धन और समय दोनों ही दृष्टिकोण से ज्यादा प्रभावी होगा।
भारत सरकार का बांग्लादेश को प्रस्ताव-
भारत सरकार ने बांग्लादेश को उत्तर-पूर्व क्षेत्र में माल के परिवहन के लिए बांग्लादेश के दो सबसे बड़े बंदरगाहों यानी चटगांव और मोंगला बंदरगाहों का उपयोग करने की अनुमति माँगी थी। माल को कोलकाता बंदरगाह से इन बंदरगाहों तक भेजा जा सकता है और फिर वहां से माल को सड़क या रेल नेटवर्क द्वारा बांग्लादेश से होते हुए इन भूमि से घिरे पूर्वोत्तर राज्यों तक ले जाया जा सकता है।
भारत माल के परिवहन के लिए अपने बंदरगाहों, रेल या सड़क नेटवर्क के उपयोग के लिए बांग्लादेश को भुगतान करेगा।
बांग्लादेशी सरकार ने भारतीय प्रस्ताव को स्वीकार कर लिया और 25 अप्रैल 2023 को, बांग्लादेश के राष्ट्रीय राजस्व बोर्ड (एनबीआर) ने बांग्लादेश के दो प्रमुख बंदरगाहों पर कार्गो के पारगमन और ट्रांसशिपमेंट की सुविधा के लिए भारत के लिए एक "स्थायी पारगमन आदेश" जारी किया।
भारत और बांग्लादेश के बीच कनेक्टिविटी में सुधार के कदम-
दोनों देशों के बीच कनेक्टिविटी बढ़ाने के लिए भारत और बांग्लादेश सरकार द्वारा कई कदम उठाए गए हैं।
जिसमें से कुछ प्रमुख कदम हैं:
मार्च 2021 में, प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी और बांग्लादेश की प्रधान मंत्री शेख हसीना ने मैत्री सेतु का उद्घाटन किया। यह फेनी नदी पर 1.9 किमी लंबा पुल है जिसने दक्षिणी त्रिपुरा में सबरूम और चटगांव बंदरगाह के बीच की दूरी को घटाकर केवल 111 किमी कर दिया है।
सबरूम में एक मल्टी-मॉडल (रेल और सड़क) ट्रांजिट हब भी विकसित किया जा रहा है, जिसमें बंदरगाह तक माल के तेजी से सुलभ परिवहन के लिए सड़क और रेल कनेक्टिविटी भी शामिल है।
मेघालय में दाऊकी को तमाबिल, असम में सुतारकांडी को शेओला से बांग्लादेश के दो प्रमुख बंदरगाहों से जोड़ने का प्रस्ताव है।
कार्गो परिवहन की अनुमति देने वाले कुल 16 पारगमन मार्ग घोषित किए गए हैं, जिनके माध्यम से चारों ओर जमीन से घिरे असम, मेघालय और त्रिपुरा राज्य खुले जल मार्गों तक पहुंच सकते हैं।
भारत-बांग्लादेश अंतर्राष्ट्रीय सीमा-
भारत अपनी सबसे बड़ी अंतर्राष्ट्रीय सीमा बांग्लादेश के साथ साझा करता है। यह 4,096.7 किलोमीटर लंबी है
क्षेत्र के आठ राज्यों में से - असम, मेघालय, त्रिपुरा और मिजोरम - बांग्लादेश के साथ 1,879 किमी लंबी सीमा साझा करते हैं।
पीपुल्स रिपब्लिक ऑफ बांग्लादेश-
बांग्लादेश की सीमा पश्चिम और उत्तर में पश्चिम बंगाल, उत्तर में असम, उत्तर और उत्तर पूर्व में मेघालय और पूर्व में त्रिपुरा और मिजोरम से लगती है।
राष्ट्रपति: मोहम्मद शहाबुद्दीन चुप्पू
प्रधान मंत्री: शेख हसीना वाजिद
राजधानी: ढाका
मुद्रा: बांग्लादेशी टका