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14 अप्रैल अम्बेडकर जयंती 2024: जीवन इतिहास और महत्व

Utkarsh Classes Last Updated 07-02-2025
14 April Ambedkar Jayanti 2024: Life History and Significance Important Day 4 min read

डॉ. भीमरावराव अम्बेडकर, जिन्हें बाबासाहेब अम्बेडकर के नाम से भी जाना जाता है, को भारतीय संविधान का मसौदा तैयार करने वाले दूरदर्शी व्यक्ति के रूप में ख्याति प्राप्त है। 

  • उन्होंने जवाहरलाल नेहरू के मंत्रिमंडल में भारत के पहले कानून मंत्री के रूप में कार्य किया। 1990 में, डॉ. अम्बेडकर को मरणोपरांत भारत रत्न से सम्मानित किया गया, जो भारत का सर्वोच्च नागरिक सम्मान है। 
  • भारतीय समाज द्वारा उनकी विरासत और योगदान का सम्मान करते हुए, उनके जन्मदिन को हर साल अंबेडकर जयंती के रूप में मनाया जाता है।

अम्बेडकर जयंती 2024: तिथि और इतिहास

अंबेडकर जयंती हर साल 14 अप्रैल को पूरे देश में बड़े हर्षोल्लास के साथ मनाई जाती है। डॉ. बी.आर. अम्बेडकर का जन्म 14 अप्रैल, 1891 को इंदौर के पास महू में हुआ था, जो वर्तमान मध्यप्रदेश में पड़ता है। 

अम्बेडकर के जन्मदिन का पहला सार्वजनिक उत्सव 14 अप्रैल, 1928 को पुणे में कार्यकर्ता जनार्दन सदाशिव रानापिसे द्वारा आयोजित किया गया था।

तभी से इस दिन को अम्बेडकर जयंती या भीम जयंती के रूप में मनाया जाता है। डॉ. अम्बेडकर को देश में सबसे प्रमुख कानूनविद में से एक के रूप में जाना जाता है। 31 मार्च 2011 को, भारत सरकार ने डॉ. बी.आर. के सम्मान में 14 अप्रैल को सार्वजनिक अवकाश घोषित किया।

अम्बेडकर जयंती 2024: महत्व

विदेश में अपनी पढ़ाई पूरी करके भारत लौटने के बाद, भीमराव अंबेडकर ने देखा कि जातिगत भेदभाव देश में विखंडन का प्रमुख कारण बना हुआ है। दलितों के उत्थान के लिए अम्बेडकर ने दलितों और अन्य धार्मिक समुदायों के लिए आरक्षण लागू करने की वकालत की।

1923 में, उन्होंने दलितों के बीच शिक्षा और संस्कृति का प्रसार करने, उनकी आर्थिक स्थिति में सुधार करने और समाधान खोजने के लिए उनकी समस्याओं को प्रमुख मंचों पर उठाने के लिए 'बहिष्कृत हितकारिणी सभा (बहिष्कृत कल्याण संघ)' की स्थापना की।

1927 में, उन्होंने चौदार टैंक पर महाड मार्च का नेतृत्व किया, जिसने जाति-विरोधी और पुजारी-विरोधी आंदोलन की शुरुआत की। 1930 में नासिक के कालाराम मंदिर में डॉ. अम्बेडकर द्वारा शुरू किया गया मंदिर प्रवेश आंदोलन मानव अधिकारों और सामाजिक न्याय के संघर्ष में एक मील का पत्थर सिद्ध हुआ था।

डॉ. अम्बेडकर ने लंदन में तीनों गोलमेज़ सम्मेलनों में भाग लिया और हर बार 'अछूतों' के हितों की पुरजोर वकालत की। उन्होंने दलित वर्गों से अपने जीवन स्तर को बढ़ाने और यथासंभव अधिक से अधिक राजनीतिक शक्ति हासिल करने का आग्रह किया।

अनुच्छेद 32 संविधान की हृदय और आत्मा

डॉ. अम्बेडकर का मानना ​​था कि संविधान के विभिन्न प्रावधानों में से अनुच्छेद 32 सबसे महत्वपूर्ण है। संविधान सभा की बहसों में उन्होंने इसे संविधान की "हृदय और आत्मा" कहा, जिसके बिना संविधान अर्थहीन होगा। अनुच्छेद 32 संविधान के भाग III में निहित मौलिक अधिकारों के कार्यान्वयन की गारंटी देता है, जिसमें समानता, जीवन और भेदभाव से मुक्ति का अधिकार शामिल है।

FAQ

उत्तर: 14 अप्रैल

उत्तर: अनुच्छेद 32
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