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शुभांशु शुक्ला: अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन पर पहुंचने वाले पहले भारतीय

Utkarsh Classes Last Updated 27-06-2025
Shubhanshu Shukla: First Indian Aboard International Space Station Person in News 5 min read

भारतीय वायु सेना (आईएएफ) के ग्रुप कैप्टन शुभांशु शुक्ला ने अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) पर पहुंचने वाले पहले भारतीय गगनयात्री बनकर इतिहास रच दिया है ।

सुभांशु शुक्ला एक्सिओम-4 मिशन के 4 सदस्यीय दल का हिस्सा हैं, जो 26 जून 2025 को आईएसएस से सफलतापूर्वक जुड़ा था।

उत्तर प्रदेश के रहने वाले सुभांशु शुक्ला भारतीय वायु सेना के विंग कमांडर राकेश शर्मा के बाद अंतरिक्ष जाने वाले दूसरे भारतीय गगनयात्री हैं। राकेश शर्मा 3 अप्रैल 1984 को सोवियत संघ के रॉकेट सोयुज टी-11 पर सवार होकर अंतरिक्ष गए थे।

अंतरिक्ष यात्रियों को अंग्रेजी बोलने वाली दुनिया में एस्ट्रोनॉट कहा जाता है, जबकि सोवियत संघ/रूसी उन्हें कॉस्मोनॉट, चीनी लोग ताइकोनॉट्स और भारतीय गगनयात्री कहते हैं।

एक्सिओम 4 मिशन 

चार अंतरिक्ष यात्री - शुभांशु शुक्ला, संयुक्त राज्य अमेरिका के पैगी व्हिटसन, पोलैंड के स्लावोज़ उज़्नान्स्की-विस्नीव्स्की और हंगरी के टिबोर कपू एक्सिओम मिशन के चालक दल के सदस्य थे। 

शुभांशु शुक्ला इस मिशन के चालक हैं, और नासा के पूर्व अंतरिक्ष यात्री पैगी वॉटसन मिशन कमांडर हैं।

यह पहली बार था कि जब एक भारतीय, पोलिश और एक हंगेरियन आई.एस.एस. पर गए है ।

रॉकेट 

एक्सिओम-4 के चालक दल के सदस्य स्पेसएक्स के क्रू ड्रैगन कैप्सूल में सवार हो कर फाल्कन 9 रॉकेट के द्वारा अन्तरिक्ष में, नासा के कैनेडी स्पेस सेंटर, केप कैनावेरल, फ्लोरिडा से 25 जून, 2025 (संयुक्त राज्य अमेरिका के समय) को अंतरिक्ष में प्रक्षेपित किए गए थे। 

26 जून 2025 को यह कैप्सूल आईएसएस के हार्मनी मॉड्यूल के पोर्ट से सफलतापूर्वक डॉक किया गया।

आईएसएस पर अवधि और कार्य

  • एक्सिओम-4 मिशन, एक 14-दिवसीय नियोजित मिशन है जो आईएसएस पर पहले से मौजूद अंतरिक्ष यात्रियों के साथ करीब  60 से अधिक वैज्ञानिक प्रयोग करेगा।
  • उनके वैज्ञानिक प्रयोगों में  उन्नत विनिर्माण, कैंसर अनुसंधान, डीएनए मरम्मत आदि पर परियोजनाएँ शामिल होंगी।

अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के बारे में

अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) पृथ्वी की परिक्रमा करने वाली अब तक की सबसे बड़ा मानव निर्मित वस्तु है।

आकार - 109 मीटर (358 फीट) गुणा 51 मीटर (168 फीट)।

कक्षा - पृथ्वी से 370-460 किमी की ऊँचाई पर।

आईएसएस  का इतिहास

1984 में, संयुक्त राज्य अमेरिका में रोनाल्ड रीगन प्रशासन ने एक नए अंतरिक्ष स्टेशन के निर्माण को मंजूरी दी, जिसे बाद में अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के रूप में जाना गया।

शुरू में, संयुक्त राज्य अमेरिका, कनाडा, जापान और यूरोपीय संघ इस परियोजना में शामिल थे। रूस ,1993 में इस परियोजना में शामिल हुआ।

उस समय, रूस का अपना अंतरिक्ष स्टेशन था, जिसका नाम मीर था, जो पृथ्वी की कक्षा में था।

आईएसएस की संचालन एजेंसियाँ

भागीदार देशों की पाँच अंतरिक्ष एजेंसियाँ आईएसएस को कक्षा में बनाए रखने के लिए विशिष्ट कार्य करती हैं।

पाँच भागीदार एजेंसियाँ: कनाडाई अंतरिक्ष एजेंसी, यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी, जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी, अमेरिकी राष्ट्रीय वैमानिकी और अंतरिक्ष प्रशासन, और रूसी राज्य अंतरिक्ष निगम "रोस्कोस्मोस"।

हालाँकि, 2024 में, रूस ने घोषणा की कि वह अब आईएसएस का समर्थन नहीं करेगा।

आईएसएस के 2030 तक कक्षा में बने रहने की उम्मीद है।

शुभांशु शुक्ला के मिशन के महत्व के बारे में पढ़ें

शुभांशु शुक्ला 29 मई 2025 को अंतरराष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन के लिए उड़ान भरेंगे

FAQ

उत्तर: वे पृथ्वी की परिक्रमा करने वाले अंतर्राष्ट्रीय अंतरिक्ष स्टेशन (आईएसएस) पर पहुँचने वाले पहले भारतीय अंतरिक्ष यात्री हैं। राकेश शर्मा के बाद वे अंतरिक्ष में जाने वाले दूसरे भारतीय हैं।

उत्तर: एक्सिओम-4 मिशन। अन्य सदस्यों में संयुक्त राज्य अमेरिका की पैगी व्हिटसन, पोलैंड के स्लावोमिर उज़्नान्स्की-विस्नीव्स्की और हंगरी के टिबोर कपू शामिल थे।

उत्तर: कैनेडी स्पेस सेंटर, केप कैनावेरल, फ्लोरिडा, संयुक्त राज्य अमेरिका।

उत्तर: उत्तर प्रदेश

उत्तर: पाँच: कनाडाई अंतरिक्ष एजेंसी, यूरोपीय अंतरिक्ष एजेंसी, जापान एयरोस्पेस एक्सप्लोरेशन एजेंसी, अमेरिकी राष्ट्रीय वैमानिकी और अंतरिक्ष प्रशासन, और रूसी राज्य अंतरिक्ष निगम "रोस्कोस्मोस"।
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