केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण के हाल ही में जारी आंकड़ों के अनुसार, 2023-24 में राज्य ट्रांसमिशन कंपनियों द्वारा ट्रांसमिशन लाइनें जोड़ने के मामले में उत्तर प्रदेश नंबर एक राज्य के रूप में उभरा है । 2022-23 में भी, उत्तर प्रदेश राज्य राज्य ट्रांसमिशन कंपनियों की सूची में शीर्ष पर रहा।
सूची में राज्य विद्युत कंपनी आगे
2023-24 में, राज्य सरकार के स्वामित्व वाली बिजली कंपनियों ने 6,993 किलोमीटर ट्रांसमिशन लाइनें जोड़ीं, जो लक्ष्य का लगभग 64 प्रतिशत था। सभी निजी और राज्य सरकार की कंपनियों के लिए लक्ष्य 11,002 किलोमीटर ट्रांसमिशन लाइन का था।
राज्य द्वारा संचालित बिजली उपयोगिता कंपनियों में यूपीपीटीसीएल का प्रमुख योगदान था, जो राज्य क्षेत्र द्वारा जोड़े गए कुल ट्रांसमिशन लाइनों में उसका योगदान 20 प्रतिशत से अधिक था।
दूसरे स्थान पर रहे गुजरात के GETCO का योगदान राज्य क्षेत्र द्वारा जोड़े गए कुल ट्रांसमिशन लाइनों में योगदान लगभग 13 प्रतिशत था।
ट्रांसमिशन प्रणाली एक बिजली संयंत्र में उत्पन्न बिजली को उन उपभोक्ताओं तक पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है जो बिजली संयंत्र से बहुत दूर के क्षेत्रों में रहते हैं।
कई बिजली संयंत्र वहां स्थित होते हैं जहां कच्चा माल होता है, जैसे कोयला वाले क्षेत्रों के पास थर्मल पावर प्लांट और जल संसाधनों के पास जल विद्युत प्लांट। बिजली की खपत वाले क्षेत्र जैसे औद्योगिक संयंत्रों ,आवासीय क्षेत्र अधिकतर बिजली स्टेशनों के पास नहीं होते हैं। इस प्रकार, ऐसे क्षेत्रों में बिजली प्रदान करने के लिए, भारत सरकार ने ट्रांसमिशन गलियारे स्थापित किए हैं जहां बिजली अधिशेष क्षेत्र से घाटे वाले क्षेत्रों में स्थानांतरित की जाती है। यह पूरे देश में ट्रांसमिशन लाइनों के नेटवर्क के माध्यम से किया जाता है।
केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण एक वैधानिक निकाय है जिसे 1951 में विद्युत (आपूर्ति) अधिनियम, 1948 के तहत स्थापित किया गया था। विद्युत (आपूर्ति) अधिनियम, 1948 को विद्युत अधिनियम 2003 द्वारा प्रतिस्थापित किया गया है।
यह भारत सरकार के विद्युत मंत्रालय के अंतर्गत आता है।
यह राष्ट्रीय विद्युत नीति के अनुसार राष्ट्रीय विद्युत योजना तैयार करता है।
यह भारत में स्थापित किये जाने वाले नये जल विद्युत संयंत्र को मंजूरी देता है।
इसमें छह पूर्णकालिक सदस्य और एक अध्यक्ष है।
अध्यक्ष:घनश्याम प्रसाद
मुख्यालय: नई दिल्ली