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सर्वोच्च न्यायालय के फैसले के कारण स्विटजरलैंड ने भारत का एमएफएन दर्जा रद्द किया

Utkarsh Classes Last Updated 07-02-2025
Switzerland revokes MFN status to India due to Supreme Court  Ruling Economy 7 min read

स्विटजरलैंड ने घोषणा की है कि वह 1 जनवरी 2025 से भारत को कराधान में सबसे पसंदीदा राष्ट्र (एमएफ़एन) का दर्जा वापस ले लेगा। एक बयान में स्विटजरलैंड ने 2023 में नेस्ले मामले में भारत के सर्वोच्च न्यायालय के फैसले को दोहरे कराधान बचाव समझौते (डीटीएए) के तहत भारत को एमएफ़एन का दर्जा वापस लेने का मुख्य कारण बताया 

है। स्विटजरलैंड के इस फैसले से स्विटजरलैंड में काम करने वाली भारतीय कंपनियों पर लाभांश कर में 10% की वृद्धि होगी और स्विटजरलैंड में भारतीय निवेश और भारत में स्विटजरलैंड के निवेश पर असर पड़ेगा।

डीटीएए और एमएफएन के बारे में

भारत और स्विट्जरलैंड ने 2 नवंबर 1994 को डीटीएए संधि पर हस्ताक्षर किए थे, जिसे 2000 और 2010 में संशोधित किया गया था। 

डीटीएए के तहत, यदि भारत की कोई कंपनी स्विट्जरलैंड में काम कर रही है और उसने स्विट्जरलैंड में अपने निवेश पर आय अर्जित की है, तो डीटीएए समझौते के अनुसार उस आय पर भारत या स्विट्जरलैंड में एक ही जगह कर लगाया जाएगा।

इसी तरह की सुविधा स्विट्जरलैंड कोई कंपनी को दी जाएगी जिसने भारत में निवेश किया है।

डीटीएए में सबसे पसंदीदा राष्ट्र (एमएफ़एन) का मतलब है कि अगर कोई देश किसी दूसरे देश की कंपनी को रियायती कर दर सुविधा प्रदान करता है, तो वही रियायत उसी संधि में शामिल अन्य देशों को भी दी जाएगी। इससे यह सुनिश्चित होता है कि किसी भी देश की कंपनियों के साथ भेदभाव या पक्षपात नहीं किया जाएगा।

स्विट्जरलैंड की कार्रवाई का कारण

वर्ष 2010 में, भारत और स्विट्जरलैंड ने डीटीएए के लिए एक प्रोटोकॉल पर हस्ताक्षर किए थे। प्रोटोकॉल में यह प्रावधान था कि यदि भारत आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (ओईसीडी) के किसी सदस्य के साथ डीटीएए पर हस्ताक्षर करता है और कर की दर भारत-स्विट्जरलैंड डीटीएए में निर्धारित दर से कम रखता है तो कर दरें लागू होंगी।

स्विट्जरलैंड ओईसीडी का सदस्य देश है।

वर्ष 2011 में, भारत ने लिथुआनिया और कोलंबिया के साथ डीटीएए पर हस्ताक्षर किए, जिसके तहत दोनों देशों पर  5 प्रतिशत का लाभांश कर का प्रावधान किया गया ।

लिथुआनिया जुलाई 2018 और कोलंबिया अप्रैल 2020 में ओईसीडी  में शामिल हुए।

लिथुआनिया और कोलंबिया के ओईसीडी में शामिल होने के बाद, स्विट्जरलैंड ने भारत-स्विट्जरलैंड डीटीएए समझौते के प्रावधान के अनुसार 2018 से भारतीय कंपनियों पर लाभांश कर घटाकर 10% से 5% कर दिया।

नेस्ले केस और सर्वोच्च न्यायालय का फैसला 

नेस्ले स्विटजरलैंड की एक कंपनी है जिसकी भारत में एक सहायक कंपनी है।  कराधान के एक मामले में दिल्ली उच्च न्यायालय ने अपने फैसले में डीटीएए समझौते के प्रावधान के तहत नेस्ले के पक्ष में फैसला सुनते हुए उसके भारतीय कारोबार पर 5% लाभांश कर लगाने की मांग को स्वीकार किया जबकि भारत सरकार।  भारत और स्विट्जरलैंड के संधि के अनुसार 10% कर की मांग कर रही थी। 

सर्वोच्च न्यायालय ने 2023 के अपने फैसले में दिल्ली उच्च न्यायालय के फैसले को पलट दिया और कहा कि आयकर अधिनियम 1961 की धारा 90 के तहत केंद्रीय वित्त मंत्रालय द्वारा जारी अधिसूचना के बिना एमएफएन प्रावधान स्वत: रूप से लागू नहीं हो सकता।

सर्वोच्च न्यायालय ने यह भी माना कि एमएफएन केवल उन देशों पर लागू होता है जो 1994 तक ओईसीडी में शामिल हो गए थे।

चूंकि केंद्रीय वित्त मंत्रालय ने आवश्यक अधिसूचना जारी नहीं की थी और लिथुआनिया और कोलंबिया क्रमशः 2018 और 2020 में ओईसीडी में शामिल हो गए थे, इसलिए भारत में काम करने वाली स्विट्जरलैंड की कंपनियों पर 5% कर लागू नहीं होगी।

सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय की प्रतिक्रिया में स्विट्जरलैंड सरकार ने अपने पहले के निर्णय को पलटते हुए स्विट्जरलैंड में भारतीय कंपनियों के निवेश पर 10% लाभांश कर लागू करने का निर्णय लिया है।

भारत-स्विट्जरलैंड व्यापार संबंधों पर प्रभाव

कराधान संधि में अनिश्चितता का प्रतिकूल प्रभाव स्विट्जरलैंड में भारतीय कंपनियों के निवेश और भारत में स्विस कंपनियों के निवेश  पर पड़ेगा।

 इन कंपनियों की लाभप्रदता कम हो जाएगी क्योंकि उन्हें अधिक कर चुकाना पड़ेगा।

भारतीय कंपनियां स्विट्जरलैंड में अपनी निवेश योजना पर पुनर्विचार कर सकती हैं और स्विट्जरलैंड की कंपनियां भारत में निवेश पर।

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FAQ

उत्तर: स्विटजरलैंड

उत्तर: 10 प्रतिशत। पहले यह 5% था।

उत्तर: स्विटजरलैंड

उत्तर: बर्न
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