भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ की अध्यक्षता वाली सर्वोच्च न्यायालय की तीन न्यायाधीशों की पीठ ने मणिपुर हिंसा से प्रभावित लोगों की राहत और पुनर्वास की निगरानी के लिए उच्च न्यायालय की तीन पूर्व महिला न्यायाधीशों की एक समिति गठित करने की घोषणा की है ।
7 अगस्त 2023 को पारित एक आदेश में भारत के मुख्य न्यायाधीश डी वाई चंद्रचूड़ ने कहा कि जम्मू-कश्मीर उच्च न्यायालय की पूर्व मुख्य न्यायाधीश गीता मित्तल समिति की अध्यक्षा होंगी तथा समिति में बॉम्बे उच्च न्यायालय की पूर्व न्यायाधीश शालिनी फणसलकर जोशी और पूर्व दिल्ली उच्च न्यायालय न्यायमूर्ति आशा मेनन भी शामिल होंगी ।
सुप्रीम कोर्ट ने मणिपुर हिंसा मामलों की जांच के लिए 42 विशेष जांच दल (एसआईटी) की स्थापना की भी घोषणा की। एसआईटी का नेतृत्व विभिन्न राज्यों के उप महानिरीक्षक (डीआईजी) रैंक के अधिकारी करेंगे। प्रत्येक डीआईजी ,6 एसआईटी का नेतृत्व करेगा।
3 मई 2023 को मणिपुर में बहुसंख्यक मैतेई समुदाय और कुकी के बीच हिंसक झड़प हुई और जारी हिंसा में 150 से ज्यादा लोगों के मारे जाने की आशंका है।
मणिपुर की जातीय संरचना
2011 की जनगणना के अनुसार, मैतेई राज्य की आबादी का लगभग 53% हिस्सा हैं और मुख्य रूप से इंफाल घाटी में केंद्रित हैं। वे मुख्य रूप से हिंदू हैं और राज्य की लगभग 10% भूमि पर निवास करते हैं।
कुकी मुख्य रूप से ईसाई धर्म मानने वाले आदिवासी हैं, और मणिपुर की आबादी का लगभग 25% हिस्सा हैं। कुकी मुख्यतः मणिपुर के पहाड़ी वन क्षेत्रों में निवास करते हैं ।
राज्य में एक और प्रमुख जनजातीय आबादी नागाओं की है। वे राज्य की आबादी का लगभग 15% हैं।
मैतेई समुदाय राजनीतिक रूप से मणिपुर की राजनीति पर हावी है, कुकी और नागाओं की तुलना में अधिक शिक्षित है और राज्य के व्यापार और राजनीति में भी उनका बेहतर प्रतिनिधित्व है।
मणिपुर में वर्तमान संघर्ष की शुरुआत
मणिपुर में मौजूदा संघर्ष उस समय शुरू हुआ जब अप्रैल 2023 में मणिपुर उच्च न्यायालय ने एक आदेश पारित किया और राज्य सरकार से मैतेई को अनुसूचित जनजाति श्रेणी के तहत शामिल करने के लिए चार सप्ताह के भीतर केंद्र को सिफारिश भेजने को कहा।
मणिपुर में कुकी और नागाओं द्वारा इसका विरोध किया जा रहा है। उनका कहना है कि मणिपुर की राजनीति में मैतेई समुदाय का पहले से ही दबदबा है और अगर उन्हें एसटी का दर्जा दिया गया तो मैतेई का सरकारी नौकरियों पर एकाधिकार हो जाएगा।
उच्च न्यायालय के फैसले के विरोध में ऑल ट्राइबल स्टूडेंट यूनियन मणिपुर (एटीएसयूएम) द्वारा आयोजित 'आदिवासी एकजुटता मार्च' के दौरान पहली बार 3 मई 2023 को चुराचांदपुर जिले के तोरबुंग इलाके में हिंसा भड़क उठी। राज्य में जारी हिंसा में अब तक 150 से ज्यादा लोगों की मौत हो चुकी है.
हालिया संघर्ष के संभावित कारण
मैतेई द्वारा अनुसूचित जनजाति का दर्जा देने की मांग
मणिपुर में मैतेई को "सामाजिक और आर्थिक रूप से पिछड़ा वर्ग" के रूप में मान्यता प्राप्त है और उनमें से कुछ को अनुसूचित जाति के रूप में मान्यता प्राप्त है। कुकी को अनुसूचित जनजाति (एसटी) श्रेणी में शामिल किया गया है।
मैतेई एसटी का दर्जा चाहते हैं। मेइतियों के अनुसार, आज़ादी से पहले उन्हें जनजाति माना जाता था लेकिन आज़ादी के बाद उन्हें ओबीसी (अन्य पिछड़ा वर्ग) माना जाने लगा क्योंकि वे हिंदू थे।
मणिपुर में, मैतेई या कोई भी गैर-आदिवासी व्यक्ति उन पहाड़ी जिलों में जमीन नहीं खरीद सकता जहां कुकी और नागा जनजातियां रहती हैं। लेकिन कुकी और नागा मणिपुर में कहीं भी जमीन खरीदने के लिए स्वतंत्र हैं, जिसमें वे क्षेत्र भी शामिल हैं जहां मैतेई रहते हैं।
मैतेई लोगों का मानना है कि एसटी दर्जे के साथ वे मणिपुर में कहीं भी जमीन खरीद सकते हैं, जिसमें जंगली क्षेत्र भी शामिल है जहां कुकी रहते हैं। कुकियों का मानना है कि अगर ऐसा हुआ तो उन्हें उन जंगली इलाकों से बेदखल कर दिया जाएगा जो परंपरागत रूप से उनका निवास स्थान रहा है।
मणिपुर में कुकी और नागाओं द्वारा इसका विरोध किया जा रहा है। उनका कहना है कि मणिपुर की राजनीति में पहले से ही मैतेई लोगों का दबदबा है और अगर उन्हें एसटी का दर्जा दिया गया तो अब मैतेई लोगों का सरकारी नौकरियों पर एकाधिकार हो जाएगा।
जनसांख्यिकी में बदलाव का डर
मैतेई को डर है कि कुकी ,राज्य की जनसांख्यिकी को बदलने का प्रयास कर रहे हैं। कुकी म्यांमार में भी पाए जाते हैं। म्यांमार में सैन्य नेतृत्व द्वारा उनके खिलाफ की गई कार्रवाई के बाद वे सीमा पार कर मणिपुर में बस गए हैं। वे मणिपुरी कुकी के समान दिखते हैं और मैतेई को डर है कि म्यांमार से अवैध कुकी आप्रवासियों की निरंतर आमद के साथ राज्य में जनसांख्यिकीय संतुलन कुकी के पक्ष में बदल जाएगा।
नशीली दवाओं का मुद्दा
आरोप है कि राज्य के पहाड़ी इलाके में अवैध कुकी प्रवासी आबादी अवैध रूप से अफीम की खेती में कर रहे है। अवैध अफीम की खेती के खिलाफ हालिया सरकारी कार्रवाई को भी कुकी के विरोध का एक कारण माना जा रहा है ।
मणिपुर के मुख्यमंत्री: एन बीरेन सिंह