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बाल विवाह रोकने के लिए सरपंच जिम्मेदार: राजस्थान उच्च न्यायालय

Utkarsh Classes Last Updated 17-05-2024
Sarpanch responsible for stopping child marriage: Rajasthan HC Rajasthan 5 min read

राजस्थान में बाल विवाह को रोकने के लिए कदम उठाते हुए, राजस्थान उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ ने एक आदेश पारित कर राज्य सरकार को राज्य में बाल विवाह को रोकने के लिए कदम उठाने का निर्देश दिया है। हाई कोर्ट ने यह भी कहा कि जिस गांव में बाल विवाह होगा, उस गांव के सरपंच और पंचायत सदस्य को  जिम्मेदार माना जाएगा।

हाई कोर्ट का आदेश अक्षय तृतीया त्योहार की पूर्व संध्या पर आया है, जो इस साल 10 मई को मनाया जा रहा है।राज्य में अधिकांश बाल विवाह अक्षय तृतीया पर्व के अवसर पर किये जाते हैं।

बाल विवाह पर राजस्थान उच्च न्यायालय का आदेश

उच्च न्यायालय की खंडपीठ राज्य में बाल विवाह पर एक जनहित याचिका (पीआईएल) पर सुनवाई कर रही थी। याचिकाकर्ता की ओर से अदालत को एक सूची सौंपी गई थी, जहां अक्षय तृतीया के दौरान राज्य में होने वाले बाल विवाह के निर्धारित स्थानों का बारे में बताया गया था ।

अदालत ने राज्य में बाल विवाह की संख्या कम करने में राज्य प्रशासन के प्रयास की सराहना की लेकिन कहा कि अभी भी बहुत कुछ करने की जरूरत है।

हाईकोर्ट ने कहा कि राजस्थान पंचायती राज नियम 1996 के तहत गांव में बाल विवाह पर रोक लगाना गांव के सरपंच का कर्तव्य है।

कोर्ट ने कहा कि बाल विवाह रोकने की जिम्मेदारी सूची में अंकित गांव के सरपंच और पंचायत सदस्य की होगी।

अदालत ने राज्य सरकार को निर्देश दिया इन गांवों के सरपंच और पंच को जागरूक किया जाना चाहिए और सूचित किया जाना चाहिए कि यदि वे बाल विवाह को रोकने में विफल रहते हैं तो बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 की धारा 11 के तहत उन्हें जिम्मेदार ठहराया जाएगा।

बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006

भारत में, बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006 लड़कियों और लड़कों के लिए विवाह की न्यूनतम आयु निर्धारित करता है। लड़कियों के लिए विवाह की न्यूनतम आयु 18 वर्ष और लड़कों के लिए 21 वर्ष है। यदि कोई न्यूनतम आयु से कम उम्र में शादी करता है, तो शादी को अवैध नहीं  माना जाता है, लेकिन कानून बाल विवाह करने, अनुमति देने या बढ़ावा देने वालों के लिए सजा का प्रावधान करता है।

भारत में बाल विवाह

  • भारत में बाल विवाह पर नवीनतम आंकड़े राष्ट्रीय परिवार स्वास्थ्य सर्वेक्षण (एनएफएचएस)-5 द्वारा प्रदान किया गया है, जिसमें से कुछ महत्वपूर्ण बातें इस प्रकार हैं:
  • देश में बाल विवाह 2005-06 में 47.4 प्रतिशत से घटकर 2015-16 में 26.8 प्रतिशत हो गया है, जो पिछले 10 वर्षों में 21 प्रतिशत की गिरावट दर्शाता है।
  • पिछले पांच वर्षों में बाल विवाह में 3.5 प्रतिशत की गिरावट आई है।
  • बिना शिक्षा प्राप्त लड़कियों में से, 48 प्रतिशत लड़कियों की शादी 18 वर्ष से कम उम्र में हुई, जबकि उच्च शिक्षा प्राप्त करने वाली लड़कियों में केवल 4 प्रतिशत की शादी हुई।
  • सबसे अधिक बाल विवाह अनुसूचित जाति और अनुसूचित जनजाति आबादी के बीच देखा गया। इन समुदायों में 26 फीसदी शादियां तय कानूनी उम्र से कम उम्र में होती हैं।
  • पश्चिम बंगाल, बिहार और त्रिपुरा शीर्ष तीन राज्यों में से थे जहां बाल विवाह का प्रचलन राष्ट्रीय औसत से ऊपर था। इन तीन राज्यों में 20-24 वर्ष की आयु की 40 प्रतिशत से अधिक महिलाओं की शादी 18 वर्ष से कम उम्र में हुई।
  • अन्य पांच राज्य जहां बाल  विवाह का औसत राष्ट्रीय औसत से ऊपर हैं  - झारखंड, असम, आंध्र प्रदेश, राजस्थान और तेलंगाना हैं।

FAQ

उत्तर: बाल विवाह निषेध अधिनियम 2006।

उत्तर: राजस्थान उच्च न्यायालय।

उत्तर : राजस्थान पंचायती राज नियम 1996।

उत्तर: पश्चिम बंगाल

उत्तर: अनुसूचित जनजातियाँ और अनुसूचित जाति।
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