प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत और रूस के बीच पारंपरिक रूप से मजबूत विशेष और रणनीतिक द्विपक्षीय संबंधों को बढ़ावा देने की प्रतिबद्धता और विभिन्न समझौतों पर हस्ताक्षर करके अपनी दो दिवसीय (8 और 9 जुलाई 2024) रूस यात्रा सफलतापूर्वक संपन्न की।
प्रधान मंत्री मोदी अपनी दो देशों - रूस और ऑस्ट्रिया की यात्रा के दूसरे चरण में मास्को से वियना, ऑस्ट्रिया के लिए रवाना हुए।
लगातार तीसरी बार प्रधानमंत्री पद की शपथ लेने के बाद रूस की यात्रा मोदी की पहली विदेशी द्विपक्षीय यात्रा थी। प्रधानमंत्री मोदी इससे पहले,14 जून 2024 को इटली में जी 7 शिखर बैठक की आउटरीच बैठक में शामिल हुए थे , लेकिन यह द्विपक्षीय यात्रा नहीं थी।
प्रधानमंत्री मोदी 22वीं वार्षिक भारत-रूस शिखर बैठक में भाग लेने के लिए रूस गए थे । यह बैठक दो साल के अंतराल के बाद आयोजित की गई थी।
21वीं भारत-रूस शिखर बैठक दिसंबर 2021 में नई दिल्ली में आयोजित की गई थी। आम तौर पर, दोनों देश बारी-बारी से वार्षिक शिखर बैठक की मेजबानी करते हैं। लेकिन रूस के यूक्रेन युद्ध और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की युद्ध में व्यस्तता के कारण द्विपक्षीय वार्षिक शिखर बैठक स्थगित कर दी गई थी ।
रूस-यूक्रेन युद्ध 24 फरवरी 2022 को शुरू हुआ जब रूस ने यूक्रेन में अपनी सेना भेजी और यह युद्ध अभी भी जारी है।
रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन की मेजबानी में 22वीं वार्षिक शिखर बैठक मॉस्को के क्रेमलिन में आयोजित की गई थी ।
यात्रा के दौरान, दोनों नेताओं ने भारत-रूस स्थायी और विस्तारित साझेदारी शीर्षक से एक संयुक्त घोषणा जारी की।
दोनों देशों के बीच विभिन्न क्षेत्रों में सहयोग को आगे बढ़ाने के लिए नौ समझौता ज्ञापनों (एमओयू) पर भी हस्ताक्षर किए गए।
संयुक्त घोषणा के मुख्य बिंदु इस प्रकार हैं:
भारत-रूस विशेष रणनीतिक साझेदारी को मजबूत और गहरा करना।
यात्रा के दौरान, रूसी राष्ट्रपति पुतिन ने नरेंद्र मोदी को रूस के सर्वोच्च राष्ट्रीय पुरस्कार, "द ऑर्डर ऑफ सेंट एंड्रयू द एपोस्टल" से सम्मानित किया। इस पुरस्कार की घोषणा 2019 में की गई थी लेकिन इसे 2024 में प्रदान किया गया।
रूस के पहले सम्राट पीटर द ग्रेट ने 1699 में "ऑर्डर ऑफ सेंट एंड्रयू द एपोस्टल" की स्थापना की थी। रूस में बोल्शेविक क्रांति के बाद 1918 में इस पुरस्कार को समाप्त कर दिया गया था। 1998 में बोरिस येल्तसिन की सरकार द्वारा इस पुरस्कार को फिर से शुरू किया गया था।
रूस ने यह भी घोषणा की है कि वह उन सभी भारतीय नागरिकों को रिहा कर देगा जो उसकी सेना में भर्ती हैं और यूक्रेन में युद्ध ड्यूटी पर तैनात हैं।
भारतीय विदेश सचिव विनय क्वात्रा के अनुसार, लगभग 35-50 भारतीय रूसी सेना में भर्ती हैं, जिनमें से 10 वापस भारत लौट आए हैं।
भारतीयों को रूसी सेना में गैर-लड़ाकू नौकरियों का वादा किया गया था, लेकिन बाद में उन्हें यूक्रेन में सक्रिय युद्ध में शामिल होने के लिए मजबूर किया गया और अभी तक इस लड़ाई में कम से कम चार भारतीय मारे गए हैं ।
भारतीय पक्ष ने इस मुद्दे को रूसी पक्ष के समक्ष उठाया और रूस अपनी सेना से शेष भारतीयों को रिहा करने पर सहमत हो गया है ।
रूस की राजधानी -मास्को
रूस की मुद्रा- रूबल