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आंध्र प्रदेश के प्राकृतिक खेती मॉडल ने 2024 गुलबेनकियन पुरस्कार जीता

Utkarsh Classes Last Updated 07-02-2025
Natural Farming model of Andhra Pradesh wins Gulbenkian Prize 2024 Award and Honour 5 min read

आंध्र प्रदेश सरकार की पहल, आंध्र प्रदेश समुदाय प्रबंधित प्राकृतिक खेती (एपीसीएनएफ) ने मानवता के लिए 2024 का  गुलबेंकियन पुरस्कार जीता है। एपीसीएनएफ़  एक मिलियन यूरो की पुरस्कार राशि को प्रसिद्ध मृदा वैज्ञानिक रतन लाल और मिस्र की संस्था  एसकेईईएम (SKEEM) के साथ साझा करेगा।

उन्हें वैश्विक खाद्य सुरक्षा, जलवायु लचीलापन और पारिस्थितिकी तंत्र संरक्षण में उनके महत्वपूर्ण योगदान के लिए पुरस्कार से सम्मानित किया गया है ।

आंध्र प्रदेश समुदाय प्रबंधित प्राकृतिक खेती (एपीसीएनएफ) 

आंध्र प्रदेश सरकार ने 2016 में अपनी रायथु साधिकारा संस्था योजना के माध्यम से आंध्र प्रदेश समुदाय प्रबंधित प्राकृतिक खेती (एपीसीएनएफ) शुरू की।

  • एपीसीएनएफ के तहत  छोटे किसानों को व्यापक रूप से प्रचलित रासायनिक गहन खेती के बजाय प्राकृतिक खेती के तरीकों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करने के लिए शुरू  किया गया था। इस योजना के तहत किसानों को जैविक अवशेषों का उपयोग करने, मिट्टी के स्वास्थ्य में सुधार के लिए जुताई कम करने, स्वदेशी बीजों का उपयोग करने और वृक्षारोपण सहित फसलों में विविधता लाने के लिए प्रोत्साहित किया जाता है।
  • योजना का मुख्य उद्देश्य कृषि आर्थिक संकट और जलवायु परिवर्तन के कारण किसानों के संकट का स्थायी समाधान खोजना है। 
  • यह कार्यक्रम अगले 10 वर्षों में आंध्र प्रदेश के सभी 80 लाख किसान परिवारों को कवर करेगा। 
  • आंध्र प्रदेश सरकार वित्तीय वर्ष 2024-25 में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए भारत के 12 अन्य राज्यों को भी मदद कर रही है।
  • राज्य सरकार ने घोषणा की है कि वह पुरस्कार राशि का उपयोग पांच देशों में प्राकृतिक खेती को बढ़ावा देने के लिए करेगी।

मानवता के लिए गुलबेंकियन पुरस्कार

मानवता के लिए गुलबेंकियन पुरस्कार की स्थापना 2020 में पुर्तगाल के कैलोस्टे गुलबेंकियन फाउंडेशन द्वारा की गई थी।

यह पुरस्कार उन व्यक्तियों और संगठनों को उनके उत्कृष्ट योगदान के लिए दिया जाता है जिंहोने जलवायु परिवर्तन की चुनौती से निपटने के लिए एक स्थायी समाधान प्रदान करने की आशा को प्रेरित किया है।

कुल पुरस्कार राशि एक मिलियन यूरो है, जिसे पुरस्कार विजेताओं के बीच वितरित किया जाता है।

प्राकृतिक खेती क्या है?

प्राकृतिक खेती प्रणालियाँ बायोमास मल्चिंग, साल भर हरित आवरण और स्वदेशी गाय-आधारित गोबर और मूत्र निर्माण के पारंपरिक तरीकों पर आधारित हैं। 

यह जैविक खेती से भिन्न है, जो प्राकृतिक रूप से खनन किए गए खनिजों के माध्यम से आवश्यकता-आधारित मिट्टी सुधार के उपयोग ,वर्मीकम्पोस्ट, जैव-उर्वरक की अनुमति देता है। खेती के दोनों तरीकों में रासायनिक उर्वरकों और कीटनाशकों का उपयोग नहीं किया जाता है।

भारत में प्राकृतिक खेती के चार स्तंभ हैं

  • जीवामृत (बीज उपचार के लिए खेत पर उत्पादित सूक्ष्मजीवी निर्माण ) और घनजीवामृत (मिट्टी को समृद्ध करने के लिए खेत पर बने सूक्ष्मजीवी इनोक्युलेंट का इस्तेमाल) 
  • बीजामृत (स्थानीय बीज और स्थानीय किस्मों का उपयोग)  
  • पौधों की सुरक्षा के लिए मल्चिंग और वनस्पति का उपयोग
  • व्हापासा (व्हापासा का अर्थ है दो मिट्टी के कणों के बीच गुहा में 50% वायु और 50% जल वाष्प का मिश्रण)

परम्परागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई)

भारत सरकार ने 2015-16 में देश में प्राकृतिक खेती को प्रोत्साहन देने के लिए  परम्परागत कृषि विकास योजना (पीकेवीवाई) शुरू की।

  • इसे पूर्वोत्तर राज्यों को छोड़कर पूरे भारत में लागू किया जा रहा है। 
  • पीकेवीवाई योजना को क्लस्टर मोड (न्यूनतम 20 हेक्टेयर खेत के आकार के साथ) में कार्यान्वित किया जा रहा है।
  • यह योजना किसानों को उत्पादन से लेकर प्रसंस्करण, प्रमाणीकरण और विपणन और प्रसंस्करण सहित फसल कटाई के बाद प्रबंधन सहायता तक मदद करती है। 
  • सरकार किसानों को तीन साल तक प्रति हेक्टेयर 50,000 रुपये की वित्तीय सहायता प्रदान करती है।

FAQ

उत्तर: आंध्र प्रदेश समुदाय प्रबंधित प्राकृतिक खेती (एपीसीएनएफ), रतन लाल और मिस्र के एसकेईईएम।

उत्तर: एक मिलियन यूरो

उत्तर: पुर्तगाल का कैलोस्टे गुलबेंकियन फाउंडेशन।

उत्तर: 2015-16

उत्तर: जीवामृत और घनजीवामृत, बीजामृत, पौधों की सुरक्षा के लिए वानस्पतिक पदार्थों का उपयोग और मल्चिंग तथा वाह्प्सा।

उत्तर: 2016 में आंध्र प्रदेश सरकार द्वारा ।
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