राजस्थान सरकार ने ग्रामीण राजस्थान में कोई भूखा ना सोए आधारित इंदिरा रसोई योजना के सपने को साकार करने का निर्णय लिया है।
मुख्यमंत्री श्री अशोक गहलोत ने कहा कि राज्य सरकार द्वारा संचालित इन्दिरा रसोई योजना के माध्यम से गरीब एवं जरूरतमंद लोगों को मात्र 8 रुपए में सम्मानपूर्वक पौष्टिक भोजन मिल रहा है। इस योजना से ‘कोई भूखा ना सोए’ का संकल्प साकार हो रहा है।
इसी दिशा में प्रदेश के हर व्यक्ति को महंगाई की मार से राहत देने तथा भरपेट भोजन उपलब्ध कराने के लिए राज्य सरकार ने अब ग्रामीण क्षेत्रों में भी 1000 इन्दिरा रसोइयां खोलने का निर्णय लिया है। इसका शुभारंभ 10 सितम्बर को टोंक जिले में निवाई के पास झिलाय से होगा।
इन सभी 1000 रसोइयों का संचालन राजीविका समूह की महिलाओं द्वारा किया जाएगा। इससे 10,000 से अधिक महिलाओं को रोजगार भी मिलेगा।
भोजन की गुणवत्ता की हो नियमित मॉनिटरिंग
श्री गहलोत ने इंदिरा रसोई योजना में परोसे जा रहे भोजन की गुणवत्ता एवं योजना में पारदर्शिता की नियमित मॉनिटरिंग करने के निर्देश दिए। उन्होंने कहा कि जनप्रतिनिधियों को भी प्रतिमाह रसोईयों में जाकर भोजन करना चाहिए ताकि गुणवत्ता की सुनिश्चितता हो सके।
- इससे यहां नियमित भोजन करने आने वाले लोगों का मान-सम्मान बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि यह योजना आज महंगाई के दौर में बाहर से आने वाले विद्यार्थियों एवं कार्मिकों के लिए एक वरदान साबित हो रही है।
- बैठक में बताया गया कि राज्य सरकार द्वारा नवीन रसोइयों की स्थापना के लिए 5 लाख रुपए की एकमुश्त राशि तथा 17 रूपए प्रति थाली अनुदान दिया जा रहा है।
- शहरी क्षेत्रों की 992 इन्दिरा रसोइयों से अब तक 13 करोड़ से अधिक पौष्टिक एवं स्वादिष्ट भोजन की थालियां आमजन को परोसी जा चुकी हैं।
- गहलोत ने कहा कि प्रदेश में 500 से अधिक स्थानीय सेवाभावी संस्थाओं के द्वारा ‘ना लाभ ना हानि’ के आधार पर रसोइयों का संचालन किया जाना सुखद बात है। इस योजना से स्थानीय लोगों को रोजगार भी मिल रहा है। उन्होंने कहा कि इंदिरा रसोई योजना में भामाशाहों द्वारा भी भोजन प्रायोजित किया जा सकता है।
इंदिरा रसोई योजना का परिचय
राजस्थान मुख्यमंत्री अशोक गहलोत द्वारा “कोई भी भूखा नहीं सोए” के संकल्प के साथ 20 अगस्त 2020 से प्रदेश के सभी 213 नगरीय निकायों में 358 रसोईयों के माध्यम से इन्दिरा रसोई योजना का शुभारम्भ किया गया।
- बजट घोषणा वर्ष 2022-23 में रसोईयों की संख्या 358 से बढ़ाकर 1000 की गई, जिन पर 250 करोड़ रुपये खर्च कर प्रतिवर्ष 9.25 करोड़ भोजन थाली परोसी जाकर जरुरतमन्दों को लाभान्वित किया जा सकेगा।
- इस योजना का नाम देश की महान नेता एवं पूर्व प्रधानमंत्री स्व. श्रीमती इन्दिरा गांधी के नाम पर रखा गया है। जिनका पूरा जीवन गरीबों और वंचितों को समर्पित रहा।
- बजट घोषणा 2023-24 में योजना की लोकप्रियता को देखते हुए इंदिरा रसोइयों का ग्रामीण कस्बों में भी विस्तार करते हुए इनकी संख्या बढाकर दो हजार करने की घोषणा।
योजना की विशेषताएं
लाभार्थी को 8 रूपये में शुद्ध, ताजा एवं पोष्टिक भोजन
- सम्मानपूर्वक एक स्थान पर बैठाकर भोजन व्यवस्था
- राज्य सरकार द्वारा 17 रूपये प्रति थाली अनुदान
- योजना हेतु प्रतिवर्ष 250 करोड रूपये का प्रावधान
- प्रतिदिन 2.30 लाख व्यक्ति एवं प्रतिवर्ष 9.25 करोड़ लोगों को लाभान्वित करने का लक्ष्य। आवश्यकता के अनुरूप इसे और बढ़ाया जा सकता है।
- स्थानीय संस्थाओं के सेवाभाव एवं सहयोग से रसोईयों का संचालन
- भोजन मेन्यू में मुख्य रूप से प्रति थाली 100 ग्राम दाल, 100 ग्राम सब्जी, 250 ग्राम चपाती एवं आचार सम्मिलित है।
- विकेन्द्रित स्वरूप - जिला स्तरीय समिति को आवश्यकतानुरूप स्थान, मैन्यू व भोजन समय के चयन की स्वतंत्रता
- रियल-टाइम ऑनलाइन मॉनिटरिंग एस.एम.एस गेटवे से लाभार्थी को सूचना एवं फिडबैक सुविधा
- प्रत्येक रसोई संचालन हेतु एकमुश्त 5 लाख रुपये आधारभूत एवं 3 लाख रुपये प्रतिवर्ष आवर्ती व्यय का प्रावधान
- राज्य/जिला स्तरीय समिति द्वारा निरीक्षण व गुणवत्ता जाँच