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न्यायमूर्ति सत्येन्द्र कुमार सिंह ने मप्र के नये लोकायुक्त के रूप में शपथ ली

Utkarsh Classes Last Updated 07-02-2025
Justice Satyendra Kumar Singh Sworn as the new Lokayukta of MP Madhya Pradesh 4 min read

न्यायमूर्ति सत्येन्द्र कुमार सिंह को मध्य प्रदेश का नया लोकायुक्त नियुक्त किया गया है। उन्हें राजभवन में राज्यपाल मंगूभाई पटेल ने शपथ दिलाई। 

  • पूर्व लोकायुक्त एनके गुप्ता का कार्यकाल पिछले साल 17 अक्टूबर को समाप्त हो गया था और तब से अब तक नई नियुक्ति नहीं की गई थी। शुरूआत में यह माना जा रहा था कि राज्य लोकसभा चुनाव के बाद ही नए लोकायुक्त की नियुक्ति करेगा। हालांकि लोकायुक्त पद पर पूर्व न्यायमूर्ति सत्येन्द्र कुमार सिंह की नियुक्ति आचार संहिता लागू होने से पहले ही कर दी गयी। 
  • जस्टिस सत्येन्द्र कुमार सिंह हाईकोर्ट में मुख्य रजिस्ट्रार समेत कई महत्वपूर्ण पदों पर रहने के बाद 2023 में हाईकोर्ट जज के पद से सेवानिवृत्त हुए। 
  • इसके अतिरिक्त वे भोपाल जिला न्यायालय में एडीजे के पद पर भी रह चुके हैं। मध्य प्रदेश के राज्यपाल मंगूभाई पटेल ने  लोकायुक्त पद पर जस्टिस सत्येन्द्र कुमार सिंह की नियुक्ति के आदेश जारी किये। 
  • यदि वर्तमान लोकायुक्त का कार्यकाल पूरा होने के बाद नये लोकायुक्त की नियुक्ति नहीं की जाती है, तो वर्तमान लोकायुक्त का कार्यकाल स्वतः ही आगे विस्तारित हो जाता है। यह विस्तार एक साल तक का हो सकता है, लोकायुक्त एनके गुप्ता का कार्यकाल 17 अक्टूबर 2023 को पूरा हो गया था। 

लोकायुक्त के बारे में

  • मध्य प्रदेश में लोकायुक्त की स्थापना राज्य विधानमंडल द्वारा मध्य प्रदेश लोकायुक्त और उप-लोकायुक्त अधिनियम, 1981 के अधिनियमन के बाद फरवरी 1982 में की गई थी।
  •  "लोकपाल" के समान एक स्वतंत्र संगठन बनाने का विचार 1970 के दशक के मध्य से ही चल रहा था, जब राज्य प्रशासनिक सुधार आयोग ने सिफारिश की थी कि राज्य सतर्कता आयोग को वैधानिक शक्तियों वाले एक संगठन द्वारा प्रतिस्थापित किया जाए। 
  • आयोग, जो पहले भ्रष्टाचार को रोकने और जाँच करने के लिए ज़िम्मेदार था, उसकी संवैधानिक या वैधानिक मान्यता की स्थिति के अभाव में कुछ सीमाएँ थीं। यह देखा गया कि यह सरकार के एक विभाग के रूप में कार्य कर सकता है।
  • भारत सरकार की सिफारिशों और एआरसी की टिप्पणियों के आधार पर, 1975 में विधान सभा में एक विधेयक पेश किया गया। 
  • इसके पारित होने के बाद इसे राष्ट्रपति की सहमति के लिए भेजा गया लेकिन केंद्र सरकार के स्तर पर कुछ पुनर्विचार के कारण इसे राज्य सरकार को पुनर्विचार के लिए वापस कर दिया गया। फिर विधेयक को कुछ संशोधनों के साथ अप्रैल 1981 में पारित किया गया और उसी वर्ष सितंबर में राष्ट्रपति की सहमति प्राप्त हुई।
  • लोकायुक्त की स्थापना एक अधिनियम के तहत की गई थी और अब यह कार्यकारी प्रभाव से पूरी तरह से मुक्त है। 
  • यह विधायिका द्वारा कार्यपालिका पर नियंत्रण के एक साधन के रूप में कार्य करता है, इसकी वार्षिक रिपोर्ट राज्य विधान सभा में समीक्षा और चर्चा के लिए राज्यपाल को सौंपी जाती है।

FAQ

उत्तर : न्यायमूर्ति सत्येन्द्र कुमार सिंह

उत्तर : मध्य प्रदेश लोकायुक्त एवं उप-लोकायुक्त अधिनियम, 1981

उत्तर: फरवरी 1982
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