तीन दिवसीय एशिया और प्रशांत क्षेत्र में 12वां क्षेत्रीय 3आर और सर्कुलर इकोनॉमी फोरम की बैठक 3-5 मार्च 2025 तक राजस्थान इंटरनेशनल सेंटर, जयपुर,राजस्थान में आयोजित किया जा रहा है।
यह दूसरी बार है जब भारत इस प्रतिष्ठित बैठक की मेजबानी कर रहा है। इससे पहले 2018 मे ,इंदौर, मध्य प्रदेश ने एशिया और प्रशांत क्षेत्र में क्षेत्रीय 3आर और सर्कुलर इकोनॉमी फोरम के 8 वें संस्करण की मेजबानी की थी।
केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्री मनोहर लाल खट्टर ने एशिया एवं प्रशांत क्षेत्र में 12वें क्षेत्रीय 3आर एवं सर्कुलर इकोनॉमी फोरम का उद्घाटन किया।
इस अवसर पर राजस्थान के मुख्यमंत्री भजन लाल शर्मा एवं अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
एशिया और प्रशांत क्षेत्र में 12वें क्षेत्रीय 3आर और सर्कुलर इकोनॉमी फोरम का विषय “एशिया-प्रशांत क्षेत्र में सतत विकास लक्ष्य और कार्बन तटस्थता प्राप्त करने की दिशा में सर्कुलर समाजों का निर्माण करना” है।
एशिया और प्रशांत क्षेत्र में 12वें क्षेत्रीय 3आर और सर्कुलर इकोनॉमी फोरम का आयोजन केंद्रीय आवास एवं शहरी मामलों के मंत्रालय, संयुक्त राष्ट्र क्षेत्रीय विकास केंद्र (यूएनसीआरडी) और जापान के वैश्विक पर्यावरण रणनीति संस्थान द्वारा संयुक्त रूप से किया गया।
2025 फोरम मीटिंग को एशिया और प्रशांत क्षेत्र के लिए संयुक्त राष्ट्र आर्थिक एवं सामाजिक आयोग (यूएनईएससीएपी), जापान के पर्यावरण मंत्रालय और विभिन्न अन्य अंतरराष्ट्रीय एवं क्षेत्रीय संगठनों का भी समर्थन प्राप्त था।
एशिया में क्षेत्रीय 3आर फोरम की स्थापना 2009 में जापान की पहल पर की गई थी, ताकि क्षेत्र के देशों को 3आर - रिड्यूस (कम करना), रीयूज (पुनः उपयोग करना) और रीसाइकिल (पुनर्चक्रण करना) में सहयोग को बढ़ावा देने के लिए एक मंच प्रदान किया जा सके।
फोरम की पहली बैठक 2009 में टोक्यो, जापान में हुई थी।
2013 में वियतनाम में आयोजित चौथी फोरम बैठक में, इसका नाम बदलकर एशिया और प्रशांत में क्षेत्रीय 3आर फोरम कर दिया गया।
2020 में आभासी रूप से आयोजित 10वीं फोरम बैठक में,इस संस्था के नाम में सर्कुलर इकोनॉमी शब्द जोड़ा गया, और यह एशिया और प्रशांत में क्षेत्रीय 3आर और सर्कुलर इकोनॉमी फोरम बन गया।
फोरम का उद्देश्य
चक्रीय अर्थव्यवस्था मॉडल आर्थिक उत्पादन और उपभोग के रैखिक मॉडल के विपरीत है।
उत्पादन और उपभोग का रैखिक मॉडल उत्पादन, उपभोग और इस्तेमाल कर फेंके जाने पर आधारित है।
यह मॉडल सस्ते माल के बड़े पैमाने पर उत्पादन पर आधारित है, जहां भरपूर मात्र में संसाधन और ऊर्जा, खपत के लिए उपलब्ध हो।
इस मॉडल अत्यधिक अपशिष्ट की समस्या पैदा करता है, संसाधनों का अत्यधिक दोहन करता है और अप्रत्यक्ष रूप से ग्लोबल वार्मिंग में योगदान देता है।
चक्रीय अर्थव्यवस्था का उद्देश्य अर्थव्यवस्था के रैखिक मॉडल की समस्याओं से बचना है।
चक्रीय अर्थव्यवस्था उत्पादों को अधिक टिकाऊ, पुन: प्रयोज्य, मरम्मत योग्य और पुनर्चक्रण योग्य बनाने के लिए अर्थव्यवस्था में उत्पादन और उपभोग को नए तरीके से डिजाइन करने का आह्वान करती है, ताकि उत्पादों को यथासंभव लंबे समय तक प्रचलन में रखा जा सके और अपशिष्ट की समस्या को कम से कम किया जा सके।
3R- पुनः उपयोग, कम करना और पुनर्चक्रण
3R- पुनः उपयोग, कम करना और पुनर्चक्रण- चक्रीय अर्थव्यवस्था की अवधारणा का केंद्र है।
3R का उद्देश्य अपशिष्ट को कम करना, संसाधनों का पुनः उपयोग करना और संसाधनों और उत्पादों का पुनर्चक्रण करना है।