आयरलैंड के 45 वर्षीय पॉल लिंच द्वारा लिखित ‘प्रोफेट सॉन्ग’ ने प्रतिष्ठित 2023 बुकर पुरस्कार जीता। पॉल लिंच को बुकर पुरस्कार पहली बार मिला है।
£50,000 की विजेता पुरस्कार राशि और ट्रॉफी 26 नवंबर 2023 को लंदन में आयोजित एक समारोह में 2022 के विजेता, श्रीलंका के शेहान करुणातिलका द्वारा पॉल लिंच को प्रदान की गई।
शेहान करुणातिलका ने 2022 में अपनी पुस्तक "सेवेन मून्स ऑफ माली अल्मेडा" के लिए बुकर पुरस्कार जीता था।
पॉल लिंच को 'प्रोफेट सॉन्ग’' लिखने में 4 साल लग गए। प्रोफेट सॉन्ग’ में एक ऐसे भविष्य के परिवार की कहानी है जो दुनिया में बढ़ते अधिनायकवाद और गायब होते लोकतांत्रिक मानदंड की त्रासदी से ग्रसित दुनिया से निपट रहें है।
लेखक पॉल लिंच के अनुसार, 'प्रोफेट सॉन्ग' पुस्तक सीरियाई गृहयुद्ध और उसके बाद हुए शरणार्थी संकट से प्रेरित
है। प्रोफेट सॉन्ग पॉल लिंच की पाँचवी किताब है।
2023 बुकर पुरस्कार के लिए अन्य चयनित पुस्तकें
प्रोफेट सॉन्ग' सहित छह पुस्तकों को 2023 बुकर पुरस्कार के लिए चयनित किया गया था।
अन्य पांच नामांकित पुस्तकें थीं थे:
विजेता को पुरस्कार राशि के रूप में £50,000 (ब्रिटिश पाउंड स्टर्लिंग) मिलते हैं, जबकि अन्य पांच चयनित किए गए प्रत्येक लेखक को £2,500 की पुरस्कार राशि से सम्मानित किया जाता है।
बुकर फाउंडेशन, अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार भी प्रदान करता है। यह अंग्रेजी भाषा में अनुवादित और यूनाइटेड किंगडम या आयरलैंड में प्रकाशित पुस्तक को दिया जाता है।
अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार पहली बार 2004 में प्रदान किया गया था।
प्रारंभ में, इसे हर दो साल में प्रदान किया जाता था, लेकिन 2016 से इसे वार्षिक कर दिया गया है।
गीतांजलि श्री अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार जीतने वाली पहली भारतीय हैं ।उन्हे यह पुरस्कार उनके हिंदी उपन्यास 'टॉम्ब ऑफ सैंड' (रेत समाधि) के लिए अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार 2022 से नवाजा गया था