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आयरिश लेखक पॉल लिंच को ‘प्रोफेट सॉन्ग' के लिए 2023 बुकर पुरस्कार मिला

Utkarsh Classes Last Updated 07-02-2025
Irish writer Paul Lynch wins 2023 Booker Prize for 'Prophet Song Award and Honour 5 min read

आयरलैंड के 45 वर्षीय पॉल लिंच द्वारा लिखित ‘प्रोफेट सॉन्ग’ ने प्रतिष्ठित 2023 बुकर पुरस्कार जीता। पॉल लिंच को बुकर पुरस्कार पहली बार मिला है।

£50,000 की विजेता पुरस्कार राशि और ट्रॉफी 26 नवंबर 2023 को लंदन में आयोजित एक समारोह में 2022 के विजेता, श्रीलंका के शेहान करुणातिलका द्वारा पॉल लिंच को प्रदान की गई।

शेहान करुणातिलका ने 2022 में अपनी पुस्तक "सेवेन मून्स ऑफ माली अल्मेडा" के लिए बुकर पुरस्कार जीता था।

प्रोफेट सॉन्ग किताब

पॉल लिंच को 'प्रोफेट सॉन्ग’' लिखने में 4 साल लग गए। प्रोफेट सॉन्ग’ में एक ऐसे भविष्य के परिवार की कहानी है जो दुनिया में बढ़ते अधिनायकवाद और गायब होते लोकतांत्रिक मानदंड की त्रासदी से ग्रसित दुनिया से निपट रहें है।

लेखक पॉल लिंच के अनुसार, 'प्रोफेट सॉन्ग' पुस्तक सीरियाई गृहयुद्ध और उसके बाद हुए शरणार्थी संकट से प्रेरित

है। प्रोफेट सॉन्ग पॉल लिंच की पाँचवी किताब है।

2023 बुकर पुरस्कार के लिए अन्य चयनित पुस्तकें

प्रोफेट सॉन्ग' सहित छह पुस्तकों को 2023 बुकर पुरस्कार के लिए चयनित  किया गया था।

अन्य पांच नामांकित पुस्तकें थीं  थे:

  • द बी स्टिंग, लेखक पॉल मरे (आयरलैंड)
  • वेस्टर्न लेन, लेखक,चेतना मारू (ब्रिटेन)
  • दिस अदर ईडन, लेखक पॉल हार्डिंग (अमेरिकी)
  • इफ आई सर्वाइव यू, लेखक जोनाथन एस्कोफ़री (अमेरिकी)
  • स्टडि फॉर ओबेडियन्स ,लेखक सारा बर्नस्टीन (कनाडा

 

विजेता को पुरस्कार राशि के रूप में £50,000 (ब्रिटिश पाउंड स्टर्लिंग) मिलते हैं, जबकि अन्य पांच चयनित किए गए प्रत्येक लेखक को £2,500 की पुरस्कार राशि से सम्मानित किया जाता है।

बुकर पुरस्कार

  • बुकर पुरस्कार एक साहित्यिक पुरस्कार है जो अंग्रेजी में लिखे गए और यूनाइटेड किंगडम या आयरलैंड गणराज्य में प्रकाशित सर्वश्रेष्ठ उपन्यास के लिए दिया जाता है। 
  • बुकर पुरस्कार की स्थापना 1968 में 'बुकर पुरस्कार फॉर फिक्शन' के रूप में की गई थी, जिसे एक ब्रिटिश बहुराष्ट्रीय कंपनी, बुकर मैककोनेल ने प्रायोजित थी।
  • 2002 में, यह पुरस्कार एक स्वतंत्र दान संस्था, 'बुकर प्राइज़ फाउंडेशन' को हस्तांतरित कर दिया गया। इसे मैन ग्रुप द्वारा वित्त पोषित किया गया था, और इस पुरस्कार को 'मैन बुकर पुरस्कार' कहा गया था।
  • 2020 में, मैन ग्रुप ने इस प्रायोजित करना बंद कर दिया और वर्तमान में, एक धर्मार्थ फाउंडेशन, क्रैंकस्टार्ट, इसे वित्त पोषित कर रहा है।
  • अरबपति दंपति ,सर माइकल मोरित्ज़ और संयुक्त राज्य अमेरिका की हैरियट हेमैन ने क्रैंकस्टार्ट की स्थापना की
  •  है ।
  • पहला बुकर पुरस्कार 1969 में ब्रिटेन के पीएच न्यूबी को उनकी पुस्तक "समथिंग टू आंसर फॉर" के लिए प्रदान किया गया था।

बुकर पुरस्कार के भारतीय विजेता

  • बुकर पुरस्कार पाने वाली पहली भारतीय अरुंधति रॉय थीं। 1997 में प्रकाशित उनकी पुस्तक द गॉड ऑफ स्मॉल थिंग्स के लिए उन्हे यह पुरस्कार दिया गया था। 
  • 2006 में अपनी पुस्तक "द इनहेरिटेंस ऑफ लॉस" के लिए यह पुरस्कार पाने वाली किरण देसाई दूसरी भारतीय थीं।
  • 2008 में अपनी  पुस्तक "द व्हाइट टाइगर" के लिए पुरस्कार पाने वाले तीसरे भारतीय अरविंद अडिगा थे।

अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार

बुकर फाउंडेशन, अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार भी प्रदान करता है। यह अंग्रेजी भाषा में अनुवादित और यूनाइटेड किंगडम या आयरलैंड में प्रकाशित पुस्तक को दिया जाता है।

अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार पहली बार 2004 में प्रदान किया गया था।

प्रारंभ में, इसे हर दो साल में प्रदान किया जाता था, लेकिन 2016 से इसे वार्षिक कर दिया गया है।

गीतांजलि श्री अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार जीतने वाली पहली भारतीय हैं ।उन्हे यह पुरस्कार उनके  हिंदी उपन्यास 'टॉम्ब ऑफ सैंड' (रेत समाधि) के लिए अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार 2022 से नवाजा गया था

FAQ

उत्तर: आयरलैंड के 45 वर्षीय पॉल लिंच द्वारा लिखित 'प्रोफेट सॉन्ग’ ने प्रतिष्ठित 2023 बुकर पुरस्कार जीता।

उत्तर: आयरलैंड. उन्होंने अपनी पुस्तक 'प्रोफेट सॉन्ग’' के लिए यह पुरस्कार जीता।

उत्तर: अरुंधति रॉय को 1977 में उनकी पुस्तक "द गॉड ऑफ स्मॉल थिंग्स' के लिए बुकर पुरस्कार मिला था। अन्य भारतीयों में बुकर पुरस्कार ,2006 में अपनी पुस्तक "द इनहेरिटेंस ऑफ लॉस" के लिए किरण देसाई और 2008 में अपनी पुस्तक "द व्हाइट टाइगर" के लिए अरविंद अडिगा को मिला हैं।

उत्तर: साहित्य

उत्तर: गीतांजलि श्री अपने हिंदी उपन्यास 'टॉम्ब ऑफ सैंड' (रेत समाधि) के लिए अंतर्राष्ट्रीय बुकर पुरस्कार 2022 जीतने वाली एकमात्र भारतीय लेखिका हैं।

उत्तर: £50,000(ब्रिटिश पाउंड स्टर्लिंग)

उत्तर: श्रीलंका के शेहान करुणातिलका ने 2022 में अपनी पुस्तक "सेवन मून्स ऑफ माली अल्मेडा'' के लिए पुरस्कार जीता।
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