भारत का फार्मास्यूटिकल्स निर्यात वित्त वर्ष 24 में 10% बढ़कर हुआ $28 बिलियन
Utkarsh ClassesLast Updated
07-02-2025
Export
4 min read
देश का औषधि निर्यात वित्त वर्ष 2023-24 में वार्षिक आधार पर 9.67 प्रतिशत बढ़कर 27.9 अरब अमेरिकी डॉलर हो गया। इससे पूर्व वित्त वर्ष 2022-23 में देश का औषधि निर्यात 25.4 अरब डॉलर था।
केन्द्रीय वाणिज्य मंत्रालय के आंकड़ों के अनुसार, मार्च 2024 में दवा निर्यात 12.73 प्रतिशत बढ़कर 2.8 अरब डॉलर हो गया।
भारतीय औषधि निर्यात का शीर्ष गंतव्य देश:
वित्त वर्ष 2023-24 में भारतीय औषधि निर्यात वैश्विक स्तर पर वृद्धि देखी गई है। इस अवधि में भारतीय औषधि निर्यात का शीर्ष गंतव्य देश थे:
अमेरिका
ब्रिटेन
नीदरलैंड
दक्षिण अफ्रीका
ब्राजील
वित्त वर्ष 2023-24 में भारत के कुल औषधि निर्यात में अमेरिका की हिस्सेदारी 31 प्रतिशत से अधिक रही थी।
2030 तक भारत का दवा उद्योग 130 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक का होगा:
उद्योग विशेषज्ञों का मानना है कि भारत का दवा उद्योग का कारोबार 2030 तक 130 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक हो सकता है।
बाजार के अवसरों के विस्तार तथा विदेशी बाजारों में बढ़ती मांग के दम पर यह हो पाएगा। वित्त वर्ष 2022-23 में कारोबार 50 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक रहा था।
उद्योग विशेषज्ञों के अनुसार, अमेरिका जैसे देशों में बढ़ते बाजार अवसरों और मांग से निर्यात को मासिक आधार पर वृद्धि दर्ज करने में मदद मिल रही है।
भारत का दवा उद्योग विश्व का तीसरा सबसे बड़ा उद्योग:
भारत औसतन हर महीने दो से तीन अरब डॉलर मूल्य के औषधि उत्पादों का निर्यात करता है। भारत का दवा उद्योग दुनिया में मात्रा के हिसाब से तीसरा सबसे बड़ा उद्योग है। जबकि यह मूल्य के हिसाब से विश्व का 13वां सबसे बड़ा उद्योग है।
भारत का दवा उद्योग 60 चिकित्सीय श्रेणियों में 60,000 से अधिक जेनेरिक दवाओं का उत्पादन करता है।
भारत सरकार ने प्रमुख दवा सामग्री और जेनेरिक दवाओं के घरेलू विनिर्माण को बढ़ावा देने के लिए उत्पादन संबंधी प्रोत्साहन (पीएलआई) योजनाएं आरंभ की हैं।
दवा निर्माण को बढ़ावा देने हेतु स्वीकृत सरकारी योजनाएँ:
भारत सरकार ने दवा निर्माण को बढ़ावा देने के लिए कई सरकारी योजनाओं का संचालन कर रही है; जिनमें प्रमुखतः निम्न योजनाओं की मंजूरी दी गई हैः
बल्क ड्रग्स पार्कों को बढ़ावा देने हेतु अगले 5 वर्षों के दौरान 3,000 करोड़ रुपए से 3 बल्क ड्रग्स पार्कों में साझा अवसंरचना का निर्माण।
अगले 8 वर्षों के दौरान के 6,940 करोड़ रुपए की धनराशि से देश में महत्वपूर्ण ड्रग्स मध्यस्थ और एपीआई के घरेलू उत्पादन को बढ़ावा देने हेतु उत्पादन आधारित छूट (पीएलआई) योजना को प्रोत्साहित करना।
सक्रिय दवा सामग्री (एपीआई):
किसी रोग के उपचार, रोकथाम अथवा अन्य औषधीय गतिविधि हेतु आवश्यक दवा के निर्माण में प्रयोग होने वाले पदार्थ या पदार्थों के संयोजन को ‘सक्रिय दवा सामग्री’ कहा जाता है।
बल्क ड्रग्स पार्क को बढ़ावा देना:
राज्यों के सहयोग से भारत में 3 बल्क ड्रग्स पार्कों को विकसित करने का निर्णय लिया गया है।
प्रत्येक बल्क ड्रग्स पार्क हेतु केंद्र सरकार, राज्यों को अधिकतम 1,000 करोड़ रुपए की वित्तीय सहायता प्रदान करेगी।
इसके लिए अगले 5 वर्षों के दौरान 3,000 करोड़ रुपए की राशि स्वीकृत की गई है।
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