केन्द्रीय पेट्रोलियम एवं प्राकृतिक गैस और आवास एवं शहरी कार्य मंत्री हरदीप सिंह पुरी ने कहा कि भारत वैश्विक जैव-ईंधन गठबंधन (जीबीए) के माध्यम से विश्व को जैव-ईंधन पर एक नया मार्ग दिखाएगा। 
केन्द्रीय मंत्री पुरी ने कहा कि 'वसुधैव कुटुंबकम' मंत्र के अनुरूप, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का यह प्रयास निश्चित रूप से दुनिया भर में पेट्रोल और डीजल पर निर्भरता को कम करेगा।
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वैश्विक ऊर्जा क्षेत्र में इतिहास रचते हुए, प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने 10 सितंबर 2023 को जी20 शिखर सम्मेलन के अवसर पर वैश्विक जैव-ईंधन गठबंधन (जीबीए) के शुभारंभ की घोषणा की।
 
जीबीए में शामिल देश और संस्थाएं:
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19 देशों और 12 अंतर्राष्ट्रीय संगठनों ने पहले ही जीबीए में शामिल होने की सहमति व्यक्त की है।
 
	- जीबीए, जैव-ईंधन को अपनाने में सुविधा प्रदान करने के क्रम में सरकारों, अंतर्राष्ट्रीय संगठनों और उद्योग जगत का गठबंधन विकसित करने के लिए भारत के नेतृत्व में एक पहल है।
 
	- जैव-ईंधन के विकास और उपयोग के लिए जैव-ईंधन के सबसे बड़े उपभोक्ताओं और उत्पादकों को एक मंच पर लाते हुए, इस पहल का उद्देश्य जैव-ईंधन को ऊर्जा स्रोतों में बदलाव के प्रमुख घटक के रूप में स्थापित करना और नौकरियों और आर्थिक विकास में योगदान देना है।
 
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केन्द्रीय मंत्री पुरी ने कहा कि जी20 शिखर सम्मेलन के अवसर पर जीबीए के लॉन्च के साथ स्वच्छ और हरित ऊर्जा के लिए दुनिया के प्रयास को ऐतिहासिक गति मिली है।
 
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वैश्विक जैव-ईंधन गठबंधन के गठन की शुरूआत करने के लिए भारतीय पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्री ने अमेरिका के ऊर्जा विभाग की सचिव जेनिफर ग्रानहोम, ब्राजील के ऊर्जा मंत्री अलेक्जेंड्रे सिल्वेरा और यूएनआईसीए ब्राजील के अध्यक्ष और सीईओ डॉ. इवांड्रो गुस्सी के प्रति आभार व्यक्त किया।
 
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केन्द्रीय मंत्री पुरी ने कहा कि दूरदर्शी वैश्विक जैव-ईंधन गठबंधन को जी20 देशों और ऊर्जा से संबंधित वैश्विक संगठनों जैसे अंतर्राष्ट्रीय ऊर्जा एजेंसी (आईईए), अंतर्राष्ट्रीय नागरिक उड्डयन संगठन (आईसीएओ), विश्व आर्थिक मंच (डब्ब्ल्यूईओ), और विश्व एलपीजी एसोसिएशन सहित अन्य संगठनों द्वारा समर्थन दिया गया है। 
 
किसानों को 'अन्नदाता से ऊर्जादाता' बनने में मदद:
- इससे वैश्विक जैव-ईंधन व्यापार और सर्वोत्तम तौर-तरीकों को मजबूत करने तथा सदस्यों को ऊर्जा की न्यायसंगत आपूर्ति में मदद मिलेगी।
 
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इस कदम से किसानों को 'अन्नदाता से ऊर्जादाता' बनने में मदद मिलेगी और उन्हें आय का एक अतिरिक्त स्रोत भी प्राप्त होगा। 
 
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पिछले 9 वर्षों में सरकार ने किसानों को 71,600 करोड़ रुपये दिए हैं। 2025 तक ई20 कार्यान्वयन के साथ, भारत तेल आयात में लगभग 45,000 करोड़ रुपये और सालाना 63 मीट्रिक टन तेल की बचत करेगा।
 
	- जीबीए, पूरी मूल्य श्रृंखला में क्षमता-निर्माण अभ्यास और राष्ट्रीय कार्यक्रमों के लिए तकनीकी सहायता और नीति अनुभव साझाकरण को बढ़ावा देकर स्थायी जैव-ईंधन के विश्वव्यापी विकास और उपयोग का समर्थन करेगा।
 
	- यह उद्योगों, देशों, इकोसिस्टम की कंपनियों, प्रमुख हितधारकों को मांग और आपूर्ति के मानचित्रण में सहायता करने के साथ-साथ प्रौद्योगिकी प्रदाताओं को अंतिम उपयोगकर्ताओं से जोड़ने के लिए एक वर्चुअल बाज़ार जुटाने की सुविधा प्रदान करेगा। 
 
	- यह जैव-ईंधन अपनाने और व्यापार को प्रोत्साहित करने के लिए, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मान्यता प्राप्त मानकों, कोड, स्थायी सिद्धांतों और विनियमों के विकास, अपनाये जाने और कार्यान्वयन की सुविधा भी प्रदान करेगा।
 
जीबीए भारत के लिए कई तरह से लाभदायक होंगे:
- यह पहल, भारत के लिए कई मोर्चों पर फायदेमंद रहेगी। जी20 की अध्यक्षता के एक ठोस परिणाम के रूप में जीबीए, विश्व स्तर पर भारत की स्थिति को मजबूत करने में मदद करेगा। 
 
	- इसके अलावा, गठबंधन सहयोग पर ध्यान केंद्रित करेगा और प्रौद्योगिकी निर्यात तथा उपकरण निर्यात के रूप में भारतीय उद्योगों को अतिरिक्त अवसर प्रदान करेगा।
 
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यह भारत के वर्तमान जैव-ईंधन कार्यक्रमों जैसे पीएम-जीवनयोजना, एसएटीएटी और गोबरधन योजना में तेजी लाने में मदद करेगा।
 
	- यह किसानों की आय में वृद्धि करने, नौकरियां पैदा करने और भारतीय इकोसिस्टम के समग्र विकास में योगदान देगा। 
 
वैश्विक इथेनॉल बाजार में तेजी से होगा विकास:
- वर्ष 2022 में वैश्विक इथेनॉल बाजार का मूल्य 99.06 बिलियन डॉलर था। अनुमान है कि इथेनॉल बाजार वर्ष 2032 तक 5.1% की सीएजीआर से बढ़ेगा और वर्ष 2032 तक 162.12 बिलियन डॉलर को पार कर जाएगा।
 
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आईईए के अनुसार, नेट ज़ीरो के लक्ष्य के कारण वर्ष 2050 तक जैव-ईंधन में 3.5-5 गुनी वृद्धि होने की संभावना है, जिससे भारत के लिए बड़े अवसर पैदा होंगे।
 
जैव ईंधन क्या है?
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बायोफ्यूल (biofuel) इंग्लिश के दो शब्दों से बना है यथा - बायो (bio) + फ्यूल (fuel)। बायो से तात्पर्य पौधे, शैवाल और पशुओं के अपशिष्ट पदार्थ से, जबकि फ्यूल का अर्थ ईंधन है। अर्थात पौधे, शैवाल और पशुओं के अपशिष्ट पदार्थ से ईंधन तैयार करना ही बायोफ्यूल या जैव ईंधन कहलाता है। 
 
	- इस प्रकार के ईंधनों की प्राकृतिक रूप से जीवन चक्र द्वारा अनवरत पूर्ति होती रहती है, इसलिए इन्हें ऊर्जा का नवीकरणीय स्रोत माना जाता है।
 
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कोई भी हाइड्रोकार्बन ईंधन जो किसी कार्बनिक पदार्थ से कम समय में उत्पन्न होता है, जैव ईंधन माना जाता है। यह ठोस, तरल या गैसीय तीनों ही प्रकृति का हो सकता है।
	
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ठोस:  लकड़ी, सूखे पौधों की सामग्री और खाद
 
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तरल: बायोएथेनॉल और बायोडीजल
 
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गैसीय: बायोगैस
 
	
 
जैव ईंधन से लाभ:
- स्थिर ऊर्जा आपूर्ति सुनिश्चित करने के साथ-साथ जलवायु सुरक्षा में भी योगदान देता है।  
 
	- जैव ईंधन पारंपरिक जीवाश्म ईंधन की तुलना में काफी स्वच्छ हैं।