भारत और पाकिस्तान की सरकारें श्री करतारपुर साहिब कॉरिडोर पर समझौते की वैधता को 24 अक्टूबर 2029 तक पांच साल के लिए बढ़ाने पर सहमत हुई हैं। दोनों देशों के बीच हुए पिछला समझौता, 24 अक्टूबर 2024 को समाप्त हो रहा था।
दोनों देशों के बीच इस नए समझौते की घोषणा 22 अक्टूबर 2024 को भारतीय विदेश मंत्रालय द्वारा की गई थी।
दोनों देशों के बीच यह समझौता 15 और 16 अक्टूबर 2024 को इस्लामाबाद में आयोजित शंघाई सहयोग संगठन (एससीओ) शासनाध्यक्षों की परिषद की 23वीं बैठक के लिए विदेश मंत्री डॉ. एस जयशंकर की पाकिस्तान यात्रा की पृष्ठभूमि में हुआ है।
इस्लामाबाद में डॉ. जयशंकर ने पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ और उपप्रधानमंत्री एवं विदेश मंत्री इशाक डार से मुलाकात की थी।
इस्लामाबाद में हार्ट ऑफ एशिया सम्मेलन में भाग लेने के लिए तत्कालीन विदेश मंत्री सुषमा स्वराज की 2015 की पाकिस्तान यात्रा के बाद से यह दोनों देशों के विदेश मंत्रियों के बीच पहली सीधी बातचीत थी।
भारत और पाकिस्तान ने भारतीय तीर्थयात्रियों को पांच साल के लिए पाकिस्तान में गुरुद्वारा दरबार साहिब करतारपुर की यात्रा की सुविधा प्रदान करने के लिए 2019 में एक समझौते पर हस्ताक्षर किए थे। इस समझौते के तहत ,दोनों देशों के बीच एक गलियारा स्थापित किया गया , जिसके माध्यम से भारतीय श्रद्धालु पाकिस्तान में स्थित गुरुद्वारा श्री करतारपुर साहिब के दर्शन करेंगे और वापस देश लौटेंगे। इस गलियारे को करतापुर गलियारा कहा जाता है।
भारतीय तीर्थयात्री बिना वीज़ा के करतारपुर कॉरिडोर के माध्यम से पाकिस्तान जा सकते हैं, लेकिन उन्हें पाकिस्तान सरकार को प्रति व्यक्ति 20 डॉलर का शुल्क देना होता है ।
करतारपुर गलियारा ,एक 4.1 किमी लंबी सड़क है जो पंजाब के गुरदासपुर जिले के डेरा बाबा नानक शहर से शुरू होती है और पाकिस्तानी पंजाब प्रांत के नारोवाल जिले में स्थित गुरुद्वारा श्री करतारपुर साहिब पर समाप्त होती है।
करतारपुर, पाकिस्तानी पंजाब में रावी नदी के पश्चिमी तट पर स्थित एक शहर है। यह सिखों का एक पवित्र तीर्थ स्थान है, जहां सिख धर्म के संस्थापक गुरु नानक देव जी ने अपने जीवन के अंतिम 18 वर्ष बिताए थे।
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