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वाराणसी में काशी तमिल संगमम के दूसरे चरण का उद्घाटन

Utkarsh Classes Last Updated 07-02-2025
Inauguration Of The Second Phase Of Kashi Tamil Sangamam In Varanasi Place in News 4 min read

काशी तमिल संगमम 2023 का उद्घाटन प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी द्वारा 17 दिसंबर 2023 को नमो घाट, वाराणसी में किया गया I 

  • यह कार्यक्रम, "आज़ादी का अमृत महोत्सव" के भाग के रूप में और एक भारत श्रेष्ठ भारत की भावना को बनाए रखने के लिये भारत सरकार द्वारा की गई एक पहल है।
  • काशी तमिल संगमम का दूसरा चरण 17 से 30 दिसंबर, 2023 तक आयोजित किया जा रहा है I
  • इस कार्यक्रम में तमिलनाडु के विभिन्न हिस्सों से विभिन्न क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करने वाले लगभग 1400 लोगों (प्रत्येक 200 व्यक्तियों के 7 समूह) के भाग लेने की संभावना है।
  • इन 7 समूहों का नाम भारत की सात पवित्र नदियों के नाम पर रखा गया है I 
  • छात्रों (गंगा), शिक्षकों (यमुना), पेशेवरों (गोदावरी), आध्यात्मिक लोगों(सरस्वती), किसानों और कारीगरों (नर्मदा), लेखकों (सिंधु) और व्यापारियों और व्यावसायियों (कावेरी)।

काशी तमिल संगमम

परिचय: 

  • भारत सरकार का शिक्षा मंत्रालय इस आयोजन के लिए नोडल एजेंसी होगा। 
  • इसमें संस्कृति, पर्यटन, रेलवे, कपड़ा, खाद्य प्रसंस्करण (ओडीओपी), एमएसएमई, सूचना एवं प्रसारण, कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय, आईआरसीटीसी और उत्तर प्रदेश सरकार के संबंधित विभागों की भी भागीदारी होगी।
  • आईआईटी मद्रास और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) कार्यान्वयन एजेंसी के रूप में कार्य करेगा।
  • काशी तमिल संगमम भारत के उत्तर और दक्षिण के बीच ऐतिहासिक एवं सभ्यतागत संबंधों के कई पहलुओं का जश्न है।
  • इसका व्यापक उद्देश्य ज्ञान और सांस्कृतिक परंपराओं (उत्तर एवं दक्षिण की) को करीब लाना, हमारी साझा विरासत की समझ विकसित करने के साथ इन क्षेत्रों के लोगों के बीच संबंध को और मज़बूत करना है।

सांस्कृतिक महत्त्व:

  • 15वीं शताब्दी में मदुरै के आसपास के क्षेत्र पर शासन करने वाले राजा पराक्रम पांड्या, भगवान शिव का एक मंदिर बनाना चाहते थे और उन्होंने एक शिवलिंग लाने के लिये काशी (उत्तर प्रदेश) की यात्रा की।
  • वहाँ से लौटते समय वे रास्ते में एक पेड़ के नीचे विश्राम करने के लिये रुके और फिर जब उन्होंने यात्रा हेतु आगे बढ़ने की कोशिश की तो शिवलिंग ले जा रही गाय ने आगे बढ़ने से बिल्कुल मना कर दिया।
  • पराक्रम पंड्या ने इसे भगवान की इच्छा समझा और शिवलिंग को वहीं स्थापित कर दिया, जिसे बाद में शिवकाशी, तमिलनाडु के नाम से जाना जाने लगा।
  • जो भक्त काशी नहीं जा सकते थे उनके लिये पांड्यों ने काशी विश्वनाथर मंदिर का निर्माण करवाया था, जो आज दक्षिण-पश्चिमी तमिलनाडु में तेनकासी के नाम से जाना जाता है। यह स्थान केरल और तमिलनाडु की सीमा के करीब स्थित है।

काशी तमिल संगमम का पहला चरण:

  • काशी तमिल संगमम का पहला चरण 16 नवंबर से 19 दिसंबर‚ 2022 के मध्य वाराणसी (काशी) में आयोजित किया गया था I 

FAQ

Ans. वाराणसी (उत्तर प्रदेश)

Ans. दूसरा संस्करण

Ans. शिक्षा मंत्रालय

Ans. आईआईटी मद्रास और बनारस हिंदू विश्वविद्यालय (बीएचयू) काशी तमिल संगमम 2023 में कार्यान्वयन एजेंसी के रूप में कार्य करेंगे।
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