दिल्ली विश्वविद्यालय के हिंदू कॉलेज से स्नातक करने वाली श्रीमती हरिनी अमरसूर्या को 24 सितंबर 2024 को राष्ट्रपति अनुरा कुमार डिसनायके द्वारा श्रीलंका के नए प्रधान मंत्री के रूप में शपथ दिलाई गई। इसी साल सितंबर में हुए श्रीलंकाई राष्ट्रपति चुनाव में विजयी होने के बाद, अनुरा कुमार डिसनायके ने 22 सितंबर को श्रीलंका के 9वें राष्ट्रपति के रूप में शपथ ली थी।
श्रीमती हरिनी अमरसूर्या ने दिनेश गुणवर्धने का स्थान लिया है , जिन्होंने पिछले राष्ट्रपति रानिल विक्रमसिंघे के राष्ट्रपति चुनाव हारने के बाद अपने पद से इस्तीफा दे दिया था।
1978 के श्रीलंकाई संविधान के अनुसार, सरकार की कार्यकारी शक्ति राष्ट्रपति में निहित है, जो सीधे लोगों द्वारा चुना जाता है। राष्ट्रपति, प्रधानमंत्री और मंत्रिपरिषद की नियुक्ति करता है। प्रधान मंत्री और मंत्रिपरिषद के सदस्यों को श्रीलंकाई संसद का सदस्य होना अनिवार्य है
श्रीमती हरिनी अमरसूर्या श्रीलंका की 16वीं प्रधान मंत्री हैं। वह राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके के नेतृत्व वाले सत्तारूढ़ नेशनल पीपुल्स पावर गठबंधन की सदस्य हैं।
वह सिरिमावो भंडारनायके और चंद्रिका कुमारतुंगा के बाद श्रीलंका की प्रधान मंत्री के रूप में नियुक्त होने वाली तीसरी महिला हैं।
सिरिमावो भंडारनायके, 1960 में श्रीलंका और दुनिया की पहली महिला प्रधान मंत्री बनी थीं।
श्रीमती हरिनी अमरसूर्या को न्याय, उद्योग, विज्ञान और प्रौद्योगिकी, स्वास्थ्य और निवेश विभाग भी आवंटित किए गए हैं
54 वर्षीय श्रीमती हरिनी अमरसूर्या 1991 से 1994 तक हिंदू कॉलेज, दिल्ली विश्वविद्यालय की छात्रा थीं। उन्होंने दिल्ली विश्वविद्यालय से समाजशास्त्र में स्नातक की उपाधि प्राप्त की।
बाद में, वह श्रीलंका में विश्वविद्यालय व्याख्याता बन गईं। वह श्रीलंका की प्रधान मंत्री बनने वाली पहली शैक्षणिक-राजनीतिज्ञ हैं।
वह पहली बार 2020 में श्रीलंकाई संसद के लिए चुनी गईं।
राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके ने 24 सितंबर को श्रीलंकाई संसद को भंग कर दिया और 14 नवंबर 2024 को देश में नया संसदीय चुनाव करवाने की घोषणा की।
भंग संसद का गठन 2020 में पांच साल के कार्यकाल के साथ किया गया था। राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके के नेशनल पीपुल्स पार्टी गठबंधन के पास 225 सदस्यीय श्रीलंकाई संसद में केवल तीन सदस्य थीं।
राष्ट्रपति अनुरा कुमारा दिसानायके ने चुनाव के दौरान ,श्रीलंका में कई सुधारों का वादा किया है और उन्हें पूरा करने के लिए लोगों से जनादेश मांग रहे हैं। राष्ट्रपति द्वारा संसद को समय से पहले भंग करने का यही मुख्य कारण था।
श्रीलंका में 225 सदस्यीय एकसदनीय संसद है जिसका कार्यकाल पाँच वर्ष का होता है।