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हाई-अल्टीट्यूड सूडो सैटेलाइट व्हीकल (एचएपीएस) : भारत का अपना युएवी

Utkarsh Classes Last Updated 07-02-2025
High-Altitude Pseudo Satellite Vehicle (HAPS): India's own UAV Defence 3 min read

बेंगलुरु में राष्ट्रीय एयरोस्पेस प्रयोगशाला (एनएएल) द्वारा ‘सौर ऊर्जा’ से संचालित "छद्म उपग्रह" का पहला परीक्षण सफलतापूर्वक पूर्ण किया है। हाई-अल्टीट्यूड सूडो सैटेलाइट व्हीकल (एचएपीएस) एक नए युग का मानव रहित हवाई वाहन (यूएवी) है। 

हाई-अल्टीट्यूड सूडो सैटेलाइट व्हीकल (एचएपीएस) के बारे में: 

  • यह अत्याधुनिक मानव रहित हवाई वाहन (यूएवी) है। यह भारत की सीमावर्ती क्षेत्रों में निगरानी और इसकी क्षमताओं को काफी हद तक बढ़ा सकता है।
  • एचएपीएस, अभी भी विकसित हो रही तकनीक है। भारत द्वारा हाल ही में इसका सफल उड़ान परीक्षण कर भारत को उन देशों के समूह में रख दिया जिसके पास वर्तमान में इसकी तकनीक है।

एचएपीएस की विशेषताएँ: 

  • यह जमीन से 18-20 किमी की ऊंचाई पर उड़ सकता है। यह करीब वाणिज्यिक हवाई जहाजों द्वारा प्राप्त ऊंचाई से लगभग दोगुना है।
  • एचएपीएस में सौर ऊर्जा उत्पन्न करने की क्षमता है।
  • एचएपीएस महीनों, यहां तक कि वर्षों तक हवा में रह सकता है। यह विशेषता एचएपीएस को एक उपग्रह के समतुल्य लाती है।
  • एचएपीएस को अंतरिक्ष में जाने के लिए किसी रॉकेट की आवश्यकता नहीं होती है।
  • एचएपीएस के संचालन की लागत एक उपग्रह की तुलना में कई गुना कम है। जो आमतौर पर पृथ्वी से कम से कम 200 किमी दूर स्थित होता है।

एचएपीएस के अनुप्रयोग:

  • एचएपीएस, आपदा की स्थिति में बहुत उपयोगी हो सकता है।
  • एचएपीएस का उपयोग दूरदराज के क्षेत्रों में मोबाइल संचार नेटवर्क प्रदान करने के लिए भी किया जा सकता है।
  • यहां तक कि एचएपीएस का उपयोग परिवर्तन या गतिविधियों का पता लगाने के लिए सीमा क्षेत्रों की निरंतर निगरानी में भी किया जा सकता है।

एचएपीएस के सन्दर्भ में अन्य महत्वपूर्ण तथ्य:

  • एचएपीएस को भारत के राष्ट्रीय एयरोस्पेस प्रयोगशाला (एनएएल) ने निगरानी के लिए सौर ऊर्जा से संचालित एक यूएवी के रूप में विकसित किया है।
  • एचएपीएस उपग्रह जैसी सुविधाएँ प्रदान करता है।
  • एचएपीएस ने कर्नाटक के चैलकेरे में 8.5 घंटे की परीक्षण उड़ान अवधि  प्राप्त की ।
  • बिजली उत्पादन चक्र के लिए 24 घंटे की उड़ान परीक्षण।
  • एचएपीएस के लिए तैनाती लक्ष्य  है: 2027 ।
  • सौर ऊर्जा से चलने वाले यूएवी बैटरी से चलने वाले यूएवी की तुलना में अधिक समय तक टिके रहते हैं।
  • आपदा प्रतिक्रिया और संचार सहायता के लिए भी एचएपीएस काफी उपयोगी हो सकता है।
  • एनएएल प्रौद्योगिकी और प्रोटोटाइप पर केंद्रित है; विनिर्माण को संभालने के लिए उद्योग।

राष्ट्रीय एयरोस्पेस प्रयोगशाला (एनएएल) के बारे में: 

  • एनएएल, भारत की दूसरी सबसे बड़ी एयरोस्पेस कंपनी है। इसे वैज्ञानिक एवं औद्योगिक अनुसंधान परिषद द्वारा 1959 में दिल्ली में स्थापित किया गया था। 
  • एनएएल का मुख्यालय 1960 में  बेंगलुरु ले जाया गया। 
  • एनएएल फर्म, हिन्दुस्तान एयरोनौटीकल्स लिमिटेड (एचएएल), डीआरडीओ और इसरो के साथ मिलकर काम करती है। एनएएल फर्म असैनिक विमानों के विकास के लिए उत्तरदायी है।

FAQ

उत्तर :- राष्ट्रीय एयरोस्पेस प्रयोगशाला (एनएएल)

उत्तर :- बेंगलुरु

उत्तर :- यह जमीन से 18-20 किमी की ऊंचाई पर उड़ सकता है।
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