भारत सरकार के स्वामित्व वाला केनरा बैंक ने सभी बचत बैंक खातों के लिए औसत मासिक शेष (एएमबी) की आवश्यकता को खतम करने वाला नवीनतम सार्वजनिक क्षेत्र का बैंक बन गया है। 1 जून 2025 से, बैंक अपने ग्राहकों से उनके बचत खातों में औसत मासिक शेष राशि न बनाए रखने पर शुल्क नहीं लेगा।
न्यूनतम औसत मासिक शेष राशि वह न्यूनतम राशि है जो ग्राहक को हर महीने अपने बचत खाते में रखनी होती है। यदि ग्राहक आवश्यक औसत मासिक शेष राशि बनाए रखने में विफल रहता है तो बैंक जुर्माना लगा सकते हैं। जुर्माने की राशि बैंक दर बैंक अलग-अलग होती है।
भारत के सबसे बड़े बैंक, भारतीय स्टेट बैंक ने भी 11 मार्च 2020 से न्यूनतम शेष राशि आवश्यकता को खतम कर दिया था।
भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बैंकों को खुद ही बचत खातों के लिए न्यूनतम शेष राशि की आवश्यकता तय करने की अनुमति दी है।
हर बैंक अपनी बोर्ड नीति के अनुसार औसत शेष राशि न बनाए रखने पर ग्राहक पर जुर्माना लगा सकता है।
हालांकि, आरबीआई के अनुसार, शुल्क उचित होने चाहिए।
बैंक बेसिक सेविंग्स बैंक डिपॉजिट अकाउंट्स (बीएसबीडीए) के तहत खोले गए बचत खातों के लिए न्यूनतम शेष राशि की आवश्यकता तय नहीं कर सकता है।
इसके अलावा, प्रधानमंत्री जन धन योजना (पीएमजेडीवाई) के तहत बचत खातों में न्यूनतम शेष राशि की आवश्यकता नहीं होती है।
पीएमजेडीवाई के तहत खोले गए खातों को जन धन खाते कहा जाता है।
जन धन खाता एक बीएसबीडीए खाता है, जिसमें 2 लाख रुपये का दुर्घटना बीमा (28 अगस्त 2018 के बाद खोले गए खाते), 30,000 रुपये का जीवन बीमा कवर (15 अगस्त 2014 और 31 जनवरी 2015 के बीच खोले गए खाते) और पात्र ग्राहकों के लिए 10,000 रुपये की ओवरड्राफ्ट सुविधा जैसी अतिरिक्त सुविधाएं हैं।
उद्यमी अम्मेम्बल सुब्बा राव पई ने केनरा बैंक की स्थापना की।
केनरा बैंक ने जुलाई 1906 में मैंगलोर में एक निजी बैंक के रूप में अपना बैंकिंग परिचालन शुरू किया।
केनरा बैंक उन 14 निजी बैंकों में से एक था, जिनका 1969 में भारत सरकार द्वारा राष्ट्रीयकरण किया गया था।
सिंडिकेट बैंक का 1 अप्रैल 2020 को केनरा बैंक में विलय हो गया।
प्रबंध निदेशक (एमडी) और मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ)- के सतनारायण राजू
मुख्यालय - बेंगलुरु
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